एक महकमा और 9 आईएएस
यह शायद ही पहले हुआ हो, लेकिन सरकार नवाचार ना करे तो बात ही क्या है? स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विभाग में 9-9 आईएएस पदस्थ किए गए हैं। हालिया दिनों स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव कह रहे थे कि पंचायत विभाग जैसा मसला अब तक स्वास्थ्य विभाग में नहीं है। लगता है 'किसी' ने चुनौती के रूप में ले लिया है।
सीलबंद लिफाफे का मसला
राज्य के बहुचर्चित कोयला घोटाला और अवैध वसूली मामले में हाईकोर्ट में दिया गया सीलबंद लिफाफा खुला और बचाव पक्ष के वकीलों को दे दिया गया है। अब रायपुर के स्पेशल कोर्ट में भी सीलबंद लिफाफे के मजमून को बचाव पक्ष के वकीलों को दे दिया गया है। यह ईडी का अहम अभिलेख है, जिसमें बयान के साथ-साथ व्हाट्सएप चैट के डीटेल और डायरी में दर्ज रकम के निवेश के ब्यौरे तथ्यात्मक रूप मौजूद हैं। खबरें हैं कि इसे पढ़ने के बाद परेशानी थोड़ी ज्यादा महसूस हो रही है।
माओवादी की विज्ञप्ति कौन लिख रहा है?
नक्सलियों की विज्ञप्ति बीते 3 बरसों में व्यापक परिवर्तनों के साथ सामने आ रही हैं। कर्मचारियों की मांगें पूरी करने का मसला हो या प्रदेश के दिगर मसले, माओवादियों की विज्ञप्ति आने लगी हैं। इन विज्ञप्तियों की भाषा शैली और व्याकरण बेहद परिष्कृत है। जबकि ऐसा पहले नहीं था। हफ्ते के आखिर में फिर एक विज्ञप्ति जारी हुई है, इसमें दिल्ली में रेसलर विवाद पर विषय है। इसमें बिलकिस बानो से लेकर हिंदू राष्ट्र सबका जिक्र है। इस विज्ञप्ति में मांग की जा रही है कि बीजेपी सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। बीजेपी की आइडियोलॉजी के प्रति नक्सलियों की चिढ़ हमेशा जाहिर रही है, लेकिन जिस अंदाज में अब यह विज्ञप्तियां आ रही हैं, उससे सवाल कई लोगों के जेहन में कौंधने लगा है आखिर विज्ञप्ति लिख कौन रहा है।
नहींऽऽऽ सर.. इसमें तो ऐसा नहीं है
एक जिले के कप्तान साहब हैं। उनकी हाजिर जवाबी से आला अधिकारी हैरान भी हैं और परेशान भी। कप्तान साहब से जब भी किसी घटना को लेकर दरयाफ्त हो तो एक जवाब तत्काल आता है 'नहींऽऽऽऽऽ सर, इसमें तो ऐसा नहीं है' दरयाफ्त चोरी के मसले को लेकर हो या फिर किसी और वारदात की, जवाब सबसे पहले यही आता है। इस हाजिर जवाबी से खीजे अधिकारी ने पलट के कहा एसपी साहब ये आपका ऐसा तो नहीं है वाला जवाब सही है तो ये जो घटना है ये एफआईआर तो आपके ही जिले के थाने में खींची हुई है। तो आपका जवाब सही है या एफआईआर।
चल ब्लॉक-ब्लॉक खेलेगा
छुटपन में पहले झगड़ा होता था तो कट्टी हो लेते थे, फिर समय बदला, मोबाइल आया तो लोग अब ब्लॉक-ब्लॉक खेलते हैं, लेकिन सियासत में थोड़ा मसला और ऊपर जाता है। यह है बायकॉट का। कांग्रेस ने बीजेपी के 2 प्रवक्ताओं के बायकॉट की सूचना मीडिया को भेजी तो अब बीजेपी ने सीधे कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष और एक तेज तर्रार प्रवक्ता के बायकॉट की सूचना मीडिया को भेज दी है।
इसे सजा और उसे इनाम.. लेकिन क्यों?
हालिया IAS ट्रांसफर लिस्ट में 2 नाम को लेकर खासी चर्चा है। एक जिले के हाकिम को हटाकर मंत्रालय में संटिग पोस्टिंग दे दी गई तो दूसरे को छोटे जिले से उठाकर चकित करने वाला जिला दे दिया गया। माना जा रहा है कि यह सजा और इनाम का मसला है, लेकिन किस बात पर सजा मिली और किस बात पर इनाम इसे लेकर चुप्पी है।
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी..!
कुछ साल पुरानी बात है, एक विभाग में गड़बड़ झाला हुआ। बताने वाले इसे आरामिल घोटाला बताते हैं। मसला कोर्ट तक गया था। हालिया दिनों एक अधिकारी की विभाग प्रमुख की नियुक्ति के बाद यह मसला बोतल में कैद जिन्न की तरह बाहर आ गया है। इस मामले को लेकर एक बार फिर से हाईकोर्ट में कुछ हचचल होने की खबरें हैं। इस मामले को लेकर खबरें हैं कि इस घोटाले के फेर में तत्कालीन वन मंत्री ने जांच और एफआईआर के आदेश दे दिए थे, लेकिन इसके पहले कि मंत्री जी अपने आदेश का क्रियान्वयन देख पाते, मिनिस्टर साहब का पोर्टफोलियो ही बदल गया।
बीजेपी वालों आपने साय जी को सुना क्या
कद्दावर बीजेपी नेता नंद कुमार साय ने जशपुर में एक जिला पंचायत सदस्य के साथ पुलिसकर्मियों की हुज्जतबाजी के बाद बीजेपी के बंद के आह्वान को असफल करार दिया है। इस मसले पर बीजेपी के नेताओं के द्वारा अपनाए गए तौर तरीकों पर नंद कुमार साय ने नाराजगी जताई है। विधानसभा लोकसभा राज्यसभा सदस्य रह चुके नंद कुमार साय ट्राइबल कमीशन के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। इन्हीं नंद कुमार साय ने जिला पंचायत सदस्य के साथ घटी घटना को प्रशासनिक आंतकवाद बताए जाने पर जशपुर कुमार दिलाप सिंह जूदेल के करीबी के साथ 2011 में हुई उस घटना की याद दिलाई है जिसके बाद जूदेव ने इसे प्रशासनिक आतंकवाद करार दिया था। साय जी ने पूछा है डीडीसी के साथ घटना को प्रशासनिक आतंकवाद कहने वाले बीजेपी के नेता 2011 में चुप क्यों थे। साय जी का यह सारा बौद्धिक उनके फेसबुक पर लाइव चला और आज भी मौजूद है।
शौक-ए-दीदार है तो नजर पैदा कर
ये इबारत एक पैम्पलेट के जरिए एक थाने में चस्पा है। थाने के बड़े दरोगा एक बड़े साहेब और उनके मुंहलगों से परेशान हैं। शोहदों से परेशान महिलाएं थाने पहुंचें और जिनसे कार्रवाई चाहिए वो ही चड्डा-बनियान में टहलते दिखें तो आप मियां फजीहत। अब बड़े दरोगा ने एक-दो बार दबी ज़ुबान से कहा, लेकिन बड़े साहब ने सुना ही नहीं। बड़े दरोगा ने थाने में 4 जगह इश्तेहारनुमा पैम्पलेट ही चेंप दिया है।
सुनो भई साधो
1. डीएमएफ की केंद्रीय सोशल ऑडिट टीम के लिए छत्तीसगढ़ के कौनसे 3 जिले निशाने पर माने जा रहे हैं ?
2. साहेब पीसीसीएफ भी नहीं है, लेकिन फिर भी साहेब को जंगल विभाग का सबसे बड़ा साहब बनाया गया है, यह जादू किसके फोन से हुआ है ?