इस फैसले से खत्म हुआ CM के चेहरे का संकट, जानें 3 राज्यों में BJP का नया प्लान

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Rahul Garhwal
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इस फैसले से खत्म हुआ CM के चेहरे का संकट, जानें 3 राज्यों में BJP का नया प्लान


हरीश दिवेकर, Bhopal. बड़ी जीत के लिए बड़े फैसले लेने पड़ते हैं। सख्ती दिखानी पड़ती है और कुछ दिल तोड़ने भी पड़ते हैं। अगले साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने भी कुछ ऐसे ही बड़े फैसले लेने का फैसला कर लिया है। इन पांच राज्यों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। इन तीनों राज्यों में बीजेपी के सामने चेहरे का बड़ा संकट है। एमपी में शिवराज, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और राजस्थान में वसुंधरा का नाम छोड़ दें तो और कोई नेता लीडर बनने लायक नहीं दिखाई देता। लेकिन बीजेपी फिलहाल नए चेहरे की खोज में उलझने वाली नहीं है। इस कमी से निपटने के लिए बीजेपी के थिंकटैंक्स ने नई रणनीति तैयार की है।



क्या है बीजेपी का मेगा प्लान ?



ये मेगा प्लान जब पार्टी के हर कार्यकर्ता के हाथ में होगा तब हैरानी देखने लायक होगी। क्योंकि बीजेपी पिछले कई सालों से जिस स्ट्रेटजी पर चुनाव लड़ रही है। उस स्ट्रेटजी को पूरी तरह बदलकर मैदान में उतरने वाली है। हाल ही में हुए चुनाव से पहले बीजेपी ने कई प्रदेशों के सीएम बदले और चुनाव लड़ा। इस चुनाव ने बीजेपी को ऐसा मंत्र दे दिया जो सीएम शिवराज सिंह चौहान समेत दूसरे प्रदेशों के उन नेताओं पर भारी पड़ेगा जो सीएम पद की दावेदारी पेश कर सकते हैं। प्लान ऐसा है कि असंतोष की कोई जगह भी नहीं बचेगी।



बीजेपी के पास जीत की गारंटी वाला चेहरा



मिशन-2023 के लिए बीजेपी ऐसा चेहरा चुन रही है जो फिलहाल जीत की गारंटी बन चुका है। 2022 में चार राज्यों में जीत इसी चेहरे के दम पर मिली है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत का क्रेडिट भी इसी चेहरे को दे दिया जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। ये चेहरा है पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा। जिनके नेतृत्व में बीजेपी हर चुनाव में जीत का परचम लहरा रही है। चुनाव से पहले के सारे आंकलन और मतदान के बाद आने वाले सारे एग्जिट पोल इस एक चेहरे की लोकप्रियता के आगे फेल नजर आ रहे हैं। जिसके बाद बीजेपी ने पांच राज्यों के चुनाव इसी चेहरे पर लड़ने का फैसला कर लिया है।



मिशन-2023 पर बीजेपी की नजरें



चार राज्यों में मिली बंपर जीत के बाद बीजेपी अगले मिशन पर निकल चुकी है। नजर 2023 के पांच राज्यों पर है। क्योंकि इन राज्यों के कुछ ही दिन बाद लोकसभा चुनाव होंगे। इन विधानसभा चुनावों का असर लोकसभा चुनाव पर जरूर नजर आएगा। इसलिए बीजेपी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। 2023 के विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में बीजेपी का सबसे बड़ा संकट नेतृत्व को लेकर है। मध्यप्रदेश में बीजेपी शिवराज सिंह चौहान को रिपीट नहीं करना चाहती। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और राजस्थान में वसुंधरा राजे को भी सूबे की कमान सौंपने का कोई प्लान फिलहाल नहीं है। ऐसे में मोदी के चेहरे की लोकप्रियता भुनाने से बेहतर सीधा और फिलहाल सटीक नजर आ रहा कोई तरीका बीजेपी के पास नहीं है। ये सिर्फ बीजेपी की रणनीति का ही टेस्ट नहीं होगा बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की लोकप्रियता भुनाने का लिटमस टेस्ट भी होगा।



क्या केंद्र की राजनीति करेंगे शिवराज !



टेक्निकली देखा जाए तो बीजेपी ने साल 2019 का विधानसभा चुनाव जीता नहीं था। वो तो कमलनाथ के सितारे गर्दिश में थे जो शिवराज सिंह चौहान सत्ता में वापसी कर सके। अब बीजेपी प्रदेश में नया नेतृत्व विकसित करना चाहती है। जिसके तहत शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में केंद्र की राजनीति करने भेजे जा सकते हैं। बीजेपी ये मानने लगी है कि जब तक शिवराज सिंह चौहान रहेंगे तब तक नया नेतृत्व विकसित नहीं हो सकेगा। युवा चेहरों को आगे लाने के लिए अब बीजेपी ने ये फैसला किया है। वैसे भी एमपी बीजेपी के लिए बहुत अहम राज्य है। जिसे बीजेपी खोना नहीं चाहती। लेकिन ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आता जिसे सीएम फेस बनाकर चुनाव लड़ा जा सके। बीजेपी में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद लगातार बढ़ा है। लेकिन उन्हें प्रदेश में भेजने से असंतोष पनप सकता है। लिहाजा बीजेपी ये गलती कभी नहीं करेगी।



छत्तीसगढ़ का गणित भी उलझा



छत्तीसगढ़ में रमन सिंह 2004 से लेकर नवंबर 2018 तक लगातार तीन बार CM रहे। दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में BJP को हार का सामना करना पड़ा। वहां कांग्रेस की सरकार बन गई। ऐसे में बीजेपी अब छत्तीसगढ़ में किसी नए चेहरे को सामने लाना चाहती है, जो पार्टी के लिए लंबी पारी खेल सके। इसी के साथ ये भी तय है कि बीजेपी 2023 के पहले किसी नए चेहरे को सामने नहीं लाएगी। इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ने का खतरा रहेगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव तो मोदी के नेतृत्व में ही होगा। चुनाव नतीजे आने के बाद ही नया चेहरा सामने लाया जाएगा।



राजस्थान में बीजेपी की संभावनाएं



राजस्थान वैसे तो रोटी पलट तर्ज के चुनावों के लिए जाना जाता है। जिससे इस बार वहां बीजेपी के आने के चांसेस बढ़ गए हैं। लेकिन पार्टी में वसुंधरा गुट और दूसरे गुटों के बीच चल रही खींचतान का असर पार्टी चुनावी नतीजों पर पड़ते नहीं देखना चाहती है। वसुंधरा समर्थक तो उन्हें सीएम चेहरा बनाने की मांग लगातार कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी ये बात जानती है कि नया चेहरा लाने का फायदा नहीं नुकसान ही उठाना पड़ सकता है। ऐसे में यहां भी नरेंद्र मोदी के चेहरे से बेहतर कोई ऑप्शन नहीं है। इन तीन मुख्य राज्यों में बीजेपी का फैसला यही माना जा रहा है कि नया चेहरा चुनाव में जीत के बाद ही लॉन्च किया जाए।



हिमाचल प्रदेश भी जीतना चाहेगी बीजेपी



हिमाचल प्रदेश को भी छोटा राज्य मानकर बीजेपी उसे छोड़ना नहीं चाहती। पिछले साल नंवबर में यहां उपचुनाव हुए। मंडी लोकसभा, अर्की के अलावा जुब्बल कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। जिसके बाद यहां भी बीजेपी सीएम जयराम ठाकुर के चेहरे पर गंभीरता से विचार कर रही है। यहां भी यही माना जा रहा है कि नेतृत्व परिवर्तन होगा लेकिन ऐसे हर राज्य में बीजेपी चुनाव तक इंतजार करेगी। चुनावी नतीजों के बाद ही ये तय होगा कि सत्ता की बागडोर अब किस नए चेहरे के हाथ में सौंपी जाए।



मध्यप्रदेश में शिवराज के बाद कौन ?



अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो शिवराज के बाद कौन। इस सवाल का जवाब बीजेपी के लिए तलाशना वाकई मुश्किल है। ये हाल सिर्फ बीजेपी का ही नहीं कांग्रेस का भी है। जिनके पास कमलनाथ के अलावा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो पार्टी को बांधकर रख सके। अफसोस है कि राज्य के स्तर पर और केंद्र के स्तर पर दोनों ही जगह कांग्रेस इस कमी से जूझ रही है, जिसका पूरा फायदा बीजेपी को ही मिलने की उम्मीद है।

 


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