SIDHI. बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने जनपद अध्यक्ष चुनाव में अपने ही पार्टी नेताओं पर विपक्षी नेताओं की तरह काम करने का आरोप लगाया है। तीखे तेवरों के लिए जगजाहिर शुक्ला ने जहां संगठन को कागजी बताया है वहीं सीधी सांसद, चुरहट विधायक और बीजेपी जिलाध्यक्ष पर जनपद अध्यक्ष चुनाव में विपक्षी नेताओं की तरह काम करने का आरोप मढ़ा है। उन्होंने कहा की पंजा छाप भाजपाइयों के कारण पार्टी की हालत खराब हो रही है,जनाधार घटने के पीछे पार्टी में व्याप्त गुटबाजी कारण है। संगठन के क्रियाकलाप केवल अखबारों तक सीमित हैं।
केदारनाथ शुक्ला की दूसरे नेताओं से नहीं जमती
सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला अकेले ऐसे नेता हैं जिनकी पार्टी के दूसरे नेताओं से नहीं जम पाती है। सांसद रीती पाठक से उनकी अनबन विख्यात ही है। चुरहट विधायक शरदेन्दु तिवारी से भी खटास कमजोर नहीं है। इसी तरह बीजेपी जिलाध्यक्ष इन्द्रशरण सिंह भी उनके खेमे से अलग माने जाते हैं। दूसरे नेताओं से पटरी न बैठ पाने के कारण ही वे अलग ही राग अलापते देखे जाते हैं। बीजेपी को जनपद अध्यक्ष चुनाव में मिली करारी हार के बाद विधायक तब और आक्रामक हो गए जब वे कड़े संघर्ष के बाद अपने खास समर्थक धर्मेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाने में कामयाब हो गए। दूसरे नेताओं का सहयोगी रुख न रहने के कारण ही विधायक अब अपने ही पार्टी नेताओं पर खुलकर भितरघात करने का आरोप लगा रहे हैं।
पंजा छाप भाजपाई होने का आरोप
विधायक केदारनाथ शुक्ला ने एक कार्यक्रम में पंजा छाप भाजपाइयों के कारण पार्टी की दुर्गति होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा की बीजेपी संगठन की सारी गतिविधियां केवल अखबारों तक ही सीमित हैं। धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा है। जनपद अध्यक्ष के चुनाव में तो सांसद (राज्यसभा,लोकसभा) चुरहट विधायक, बीजेपी जिलाध्यक्ष सभी उनके प्रत्याशी के खिलाफ थे। कांग्रेस ने जिसे उम्मीदवार बनाया था उसी का सहयोग कर रहे थे। दरअसल में पंजा छाप भाजपाइयों के संगठन में प्रभावी हो जाने से दुर्गति हो रही है। उन्होंने कहा की भितरघात की ऊपर के नेताओं को इसकी जानकारी दे दी गई है।
हर चुनाव में उठते हैं इस तरह के सवाल
बीजेपी में भितरघात के आरोप हर चुनाव में लगते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में विधायक केदारनाथ शुक्ला सांसद पर भितरघात का आरोप लगा चुके हैं तो लोकसभा चुनाव में विधायक शुक्ला पर इसी तरह के आरोप लगे थे। ये अलग बात है की पार्टी ने इन आरोपों के खिलाफ कोई कार्रवाही नहीं की थी। अब पंचायत, निकाय चुनाव में फिर से यही आरोप लग रहे हैं। विधायक द्वारा भितरघात के अलावा संगठन की निष्क्रियता के आरोप लगाकर आरोपो को गंभीर बनाने का काम किया है पर लगता नहीं की ऊपर तक कुछ खास हलचल हो पाएगी।
नगर पालिका चुनाव में हो चुकी है किरकिरी
नगर पालिका चुनाव में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। बीजेपी के जहां 6 पार्षद चुनाव जीते हैं तो कांग्रेस के 14 पार्षद विजयी हुए हैं। अब 12 अगस्त को अध्यक्ष का चुनाव होना है। जाहिर है अध्यक्ष के चुनाव में पार्षद संख्या के हिसाब से कांग्रेस का ही अध्यक्ष चुना जाएगा। बीजेपी तोड़-भांजकर अपना अध्यक्ष बनाने की फिराक में है पर कांग्रेस की मजबूत किलेबंदी से सम्भव नहीं दिख रहा है। पार्षद चुनाव से लेकर अध्यक्ष बनाने की ज्यादा जिम्मेदारी विधायक पर ही है ऐसे में मुमकिन है की इस चुनाव बाद फिर इस तरह के आरोप पार्टी नेतृत्व तक पहुंचे। फिलहाल विधायक द्वारा लगाए गए आरोपों पर पार्टी के नेता प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। निकाय अध्यक्ष चुनाव बाद ही शायद कुछ बोलेंगे।