INDORE: इंदौर की राजनीतिक गलियारे में का बड़ा सवाल- मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या विजयवर्गीय आखिर किसके हैं महापौर भार्गव

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Vivek Sharma
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INDORE: इंदौर की राजनीतिक गलियारे में का बड़ा सवाल- मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष या विजयवर्गीय आखिर किसके हैं महापौर भार्गव

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की राजनीतिक गलियारे में आजकल एक बडा सवाल महापौर पुष्यमित्र भार्गव को लेकर चल रहा है, कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Chief Minister Shivraj Singh Chouhan), प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा(VD Sharma) या फिर बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय(BJP National General Secretary Kailash Vijayvargiya) आखिर वह किसके हैं? इन सभी के साथ उनके पुराने और हाल-फिलहाल के संबंधों को देखें तो राजनीतिक गलियारे में यह तो साफ है कि वह किसी के भी हों लेकिन कम से कम मुख्यमंत्री चौहान के गुट में तो नहीं है। वहीं नगर निगम चुनाव के प्रत्याशी चयन से लेकर उनकी जीत, एमआईसी गठन और 19 अगस्त के एक आयोजन में एक साथ भजन गाना, यह सभी बातें तो फिलहाल यही बता रहा है कि विजयवर्गीय ने निगम और भार्गव पर अपनी मुहर लगा दी है। दो महीने के घटनाक्रम में विजयवर्गीय अभी फिलहाल सभी पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। हालांकि वह संघ से बचपन से जुडे रहे हैं, ऐसे में संघ से भी उन्हें हमेशा सहयोग मिला है। मालवा प्रांत टोली में वह रहे हैं। 



विजयवर्गीय ने इस तरह लगाई अपनी मुहर




  • जुलाई में जब महापौर प्रत्याशी के चयन की कवायद चल रही थी तो सीएम की पसंद डॉ. निशांत खरे थे, विजयवर्गीय ने रमेश मेंदोला का नाम आगे बढ़ाया लेकिन पार्टी गाइडलाइन में वह हट गए, लेकिन कह दिया कि खरे तो नहीं चलेंगे। तब प्रदेशाध्यक्ष शर्मा की ओर से भार्गव का नाम आया, वह विजयवर्गीय के साथ करीब 20 साल से जुड़े थे तब तत्काल विजयवर्गीय ने हां भर दी, चुनाव जिताने की जिम्मेदारी भी ले ली। 


  • चुनाव प्रचार के लिए वह सड़कों पर उतर आए, रोड शो किए, विधानसभा एक से डर था तो वहां कांग्रेस नेता कमलेश खंडेलवाल को साथ ले आए। प्रचार दौरान हाथ में कील लगी तो भी प्रचार जारी रखा। चुनाव में मेंदोला को संयोजक बनाया। नतीजा 1.33 लाख की जीत।

  •  चुनाव नतीजों के बाद एक इंटरव्यू में बोले विजयवर्गीय कि कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला जिस तरह से चुनाव लड़ रहे थे, इसके लिए उन्हें भार्गव के लिए मैदान में आना पड़ा। यह कहकर उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर भार्गव की जीत पर अपनी मुहर लगा दी। साथ ही सीएम पर तंज कहा जितना भरोसा वह अधिकारियों पर करते हैं, कार्यकर्ताओं पर करते तो बेहतर होता। 

  •  इसके बाद निगम सभापति चुनाव में अपने व्यक्ति को निर्विरोध जिताना, एमआईसी में अपनों को विरोध के बाद भी जगह दिलाना, यह सब निगम में उनके दखल को बता रहा है। 



  • मुख्यमंत्री की दूरी




    मुख्यमंत्री प्रत्याशी चयन के बाद इंदौर के प्रचार से लगभग दूर हो गए, वह नामांकन रैली के दौरान ही कुछ घंटे के लिए आए, इसके बाद रोड शो नहीं हुए, लेकिन संगठन के दबाव के बाद वह मतदान से तीन दिन पहले इंदौर आकर रोड शो करके गए। इसके बाद भार्गव शपथ समारोह का इंतजार करते ही रहे और सीएम हाउस से मिलने का समय भी नहीं मिला, एक बार भोपाल भी गए, लेकिन सीएम के नहीं मिलने पर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलकर लौट आए। फिर शपथ के लिए न्यौता देने गए तो सीएम ने हां कर दी और फिर एक रात पहले इंकार कर दिया, हालांकि वह भोपाल में रहे। शपथ समारोह के कुछ बाद जरूर इंदौर आए और ब्रिज का उद्घाटन किया। 



    प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से संबंध



    वीडी शर्मा और भार्गव के संबंध विजयवर्गीय जितने ही पुराने हैं, जब शर्मा एबीवीपी में थे, तब भार्गव भी एबीवीपी से जुड़े हुए थे। इसी समय से उनके संबंध मधुर है और भार्गव का नाम आगे बढ़ाने में भी शर्मा ने साथ दिया। वह भार्गव के नामांकन रैली, चुनाव प्रचार और फिर शपथ समारोह में सभी जगह मौजूद रहे, जिस तरह भोपाल जाकर वह शर्मा के गले मिले, वह फोटो उन दोनों के संबंधों की आत्मीयता को बताता है।


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