SATNA. नगर निगम का चुनावी संग्राम अपने चरमोत्कर्ष पर है। मुकाबला तीन दलों के बीच फंसा हुआ। वजह है कि तीनों दलों भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने अपने-अपने हिसाब से दमदार प्रत्याशियों को किला लड़ाने मैदान में उतारा है। इसके बाद भी स्थितियों को भांपते हुए दो प्रमुख दलों के मुख्यमंत्री मोर्चा संभाल रहे हैं। भाजपा की ओर से स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगुवा हैं तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी दौरे पर दौरा कर रहे है लेकिन बसपा अब तक कोई बड़ा नेता नहीं बुला सकी लेकिन अपने 'पैरेंट वोट' के भरोसे पर वह मैदान जीतने को बेताब नजर आ रही है। इधर, भारतीय जनता पार्टी ने टिकट वितरण से नाखुश अपने नेताओं को साधने के लिए मिशन अम्ब्रेला चला रखी है। जिस कारण स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को एक नहीं दो-दो बार सतना का दौरा करना पड़ा। दूसरे दौरे में मुख्यमंत्री ने रोड शो किया। खास यह रहा कि नाराज नेताओं को लेकर चलाए गए मिशन अम्ब्रेला के सफलता की झलक देखने को मिली। रोड शो के दौरान मुख्यमंत्री के साथ पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी, पूर्व पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य लक्ष्मी यादव, पूर्व जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह आदि गाड़ी में ही चढ़े दिखे। यही नहीं सांसद गणेश सिंह का परिवार भी रोड शो में नजर आया। इससे पहले 23 जून को जब मुख्यमंत्री आए थे तो वह असंतुष्टों के घर भी गए थे लेकिन वह दौरा इतना असरकारक नहीं दिखा था। यही कारण है वह 'मिशन अम्ब्रेला' (एक छाते के नीचे लाने का अभियान) को पूरी तरह से सफल बनाने दोबारा आए लेकिन सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री का 'मिशन अम्ब्रेला' पूरा हो गया?इधर रोड शो के दौरान जो भीड़ थी वह वोट में कितना कन्वर्ट होगी यह तो वक्त ही बताएगा। शिवराज सिंह का अलावा कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सतना में सभा कर चुके हैं। उन्होंने विधायक को टिकट देना उचित बताया था।
पार्षदों में बागी और असंतुष्टों की फौज
नगर निगम का चुनाव वास्तव में भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा बना हुआ है। निगम में कब्जे के लिए दाव पेंच लड़ा रही भाजपा के लिए बागी और असंतुष्टों की फौज को साधना मुश्किल होने वाला है। यह लड़ाई पार्षदी में ज्यादा है। सतना नगर निगम के वार्ड एक से भाजपा पार्षद रहीं मीना माधव की जगह बाल मुकुंद भारती को टिकट दे दी गई। मीना टिकट कटने से नाराज हो गई और निर्दलीय पर्चा भर दिया। आरोप है कि मीना पर सांसद नाराज थे। मीना कीे एक कार्यक्रम के दौरान सांसद से बहस हो गई थी। इसी तरह वार्ड क्रमांक 17 से भाजपा से बागी होकर शिखा तिवारी ने पार्षद का चुनाव लड़ रही हैं। इस वार्ड में भाजपा ने रतन देवी शर्मा को मैदान में उतारा है। वार्ड 17 में इससे पहले गंगा कुशवाहा पार्षद थे। कुशवाहा ने निर्दलीय चुनाव डला था इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार बगावत कर अपनी पत्नी भरोसानंद को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा है। वार्ड क्रमांक 40 से राजू अग्रवाल बगावत कर चुनाव मैदान में हैं। वह पूर्व विधायक शंकर लाल के समर्थक कहे जाते हैं। इस क्रम में वार्ड क्रमांक 7 के कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप ताम्रकार का है वह भाजपा की टिकट पर पार्षद रह चुके हैं। वार्ड क्रमांक 37 से प्रवीण सिंह बीजेपी से कांग्रेस में चली गईं। इनकी जगह भाजपा ने ज्योति अग्रवाल को टिकट दी है।
कांग्रेस के काम आएंगे म्युनिसिपल मास्टर पुष्कर ?
भारतीय जनता पार्टी ने ऑपरेशन अम्ब्रेला के लिए मुख्यमंत्री को इसलिए भी आगे कर दिया क्योंकि सतना में उसका गुणा भाग लगभग प्रभावित होता दिख रहा था। वजह यह रही कि कांग्रेस ने सतना के म्युनिसिपल मास्टरमाइंड माने जाने वाले पुष्कर सिंह तोमर को साध लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा में कांग्रेस ने पूर्व महापौर पुष्कर सिंह को अपनी ओर से 'लांच' किया था। पुष्कर ने बसपा की टिकट पर महापौरी जीत लाए थे वह अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के राजकुमार मिश्रा से करीब 4 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह भगवा चोला धारण कर लिए थे लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान वह फिर से हाथी की सवारी करने लगे थे लेकिन बसपा ने महापौर की टिकट कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे सईद अहमद को थमा दी जिससे वह नाराज हो गए और बसपा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। यहां के राजनीतिक पंडित मानते हैं कि पुष्कर बसपा के कोर वोट पर पकड़ रखते हैं लेकिन अब जब बसपा ने अपना प्रत्याशी उतार रखा है तो पूर्व महापौर रहे पुष्कर का म्युनिसिपल मास्टरमाइंड कांग्रेस के कितने काम आ सकता है?