हरीश दिवेकर, BHOPAL. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हर उस मुद्दे का तोड़ मिल गया है जिसके दम पर उमा भारती मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी का रास्ता तलाश रही हैं। दिलचस्प बात ये है कि शराबबंदी और प्रीतम लोधी जैसे मुद्दों को खत्म करने के लिए खुद उमा भारती शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच साझा करने वाली हैं। इस बार गांधी जयंती पर शिवराज सिंह चौहान ने ऐतिहासिक सियासी मंच सजाने की रणनीति तैयार की है। ऐतिहासिक इसलिए कि लंबे अरसे बाद शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम उमा भारती एक साथ एक मंच पर नजर आएंगे। मौका होगा नशा मुक्ति अभियान के आगाज का। दो साल से लगातार शराबबंदी के मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार पर हमलावर रहीं, उमा भारती को साथ लाकर शिवराज एक साथ तीन मोर्चे साध लेंगे जिसमें से एक मुद्दा प्रीतम लोधी का भी होगा जो अभी बुंदेलखंड और चंबल अंचल में पार्टी के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।
सियासत में बेमतलब और बेमानी कुछ नहीं होता
ये सियासत की दुनिया है। जहां बेमतलब और बेमानी कुछ नहीं होता। नेताओं का एक-दूसरे पर तंज कसना और कभी गले मिल जाना सबका कोई न कोई सबब होता है। उमा भारती के मध्यप्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद उनसे सामना करने की कोशिश में रहने वाले शिवराज सिंह चौहान खुद उन्हें अपने साथ मंच पर लेकर आ रहे हैं। इस साल की शुरुआती 4 महीनों में दोनों की तल्खी सोशल मीडिया और बयानों में साफ झलकती रही। हालांकि बीच में ये खबर जरूर आई कि संगठन से मिली फटकार के बाद उमा भारती के तेवर कुछ कम हुए हैं। इसके बाद ओरछा में शिव और साधना उमा भारती के साथ नदी किनारे आरती भी करते दिखाई दिए। इसके बाद अब ये मौका 2 अक्टूबर को फिर दिखाई देने वाला है। नशा मुक्ति के मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान उमा भारती के साथ मंच साझा करेंगे। भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर इस मुद्दे पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित होगा। ये तो समझा ही जा सकता है कि नशा मुक्ति अभियान का पहले ही अभिवादन कर चुकी उमा भारती मंच पर शिवराज सिंह चौहान के इस कदम की तारीफ करते सुनाई देंगी। यही बीजेपी का पड़ा गेम प्लान भी है। उमा के साथ मंच साझा कर बीजेपी के तीन उल्लू सीधे हो जाएंगे। जिन्होंने अभी उमा की तरह ही पूरे प्रदेश की सियासत में उधम मचाया हुआ है।
उमा का नाम, बीजेपी का काम
- उमा भारती के शराबबंदी और नशा मुक्ति के मुद्दे को शिवराज आसानी से कैप्चर कर लेंगे।
नशा मुक्ति सिर्फ एक बहाना नहीं
इस हिसाब से देखा जाए तो नशा मुक्ति को सिर्फ एक बहाना भर माना जा सकता है। असल में शिवराज सिंह चौहान उस मुद्दे से जान छुड़ाना चाहते हैं जो फिलहाल पूरी बीजेपी का पारा हाई कर रहा है। ये मुद्दा है प्रीतम लोधी। प्रीतम लोधी वही नेता हैं जिन्हें राजनीति में लाने का श्रेय उमा भारती को जाता है। ये बात अलग है कि प्रीतम लोधी चुनाव नहीं जीत सके लेकिन ब्राह्मणों पर दिए एक आपत्तिजनक बयान के बाद अचानक लोधी समाज का बड़ा चेहरा बन गए हैं जिनके समर्थन में अब एससी, एसएसटी और ओबीसी वोटर भी सड़क पर उतर चुका है। प्रीतम लोधी के नाम पर कुछ राजनीतिक रोटियां सेंकनी की कोशिश तो उमा भारती ने भी की थी। शिवराज सिंह चौहान ये समझ चुके हैं कि लोधी को नेता बनाने वाली उमा भारती जब उनके साथ खड़ी होंगी तो लोधी समाज में भी मैसेज कुछ और जाएगा। इस वजह से उमा भारती के दम पर इस बखेड़े पर काबू पाने की भी कोशिश है। इसी उम्मीद पर शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर उमा भारती के साथ मंच साझा करने जा रहे हैं।
शराबबंदी के मुद्दे पर सक्रिय उमा भारती
तकरीबन दो साल से उमा भारती लगातार शराबबंदी के मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं। शायद इस मुद्दे के जरिए उमा भारती दोबारा मध्यप्रदेश में वापसी का रास्ता बनाने की कोशिश में रही हैं लेकिन खुद अपने ही मिजाज के चलते कभी मुखर रहीं तो कभी यू टर्न लेना पड़ा। दुकानों पर हमलावर हुईं तो संगठन की फटकार तक झेली और उसके बाद सुर भी बदले। शिवराज के लिए उमा की तल्खी और कभी उन्हें अपना प्रिय भाई बताने जैसे पल-पल बदले पोस्ट की गवाही तो ट्विटर की चिड़िया ही दे देगी। इस बीच जब प्रीतम लोधी टीआरपी गेन करते दिखे तो मीडिया से मुखातिब हो उमा भारती प्रीतम लोधी का जिक्र करना भी नहीं भूलीं। कोशिश ये जताने की थी कि लोधी उनके हाथ के नीचे का नेता है। बस यही बात शिवराज सिंह भांप गए हैं शायद जो ये नया पांसा चल दिया है।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री और प्रीतम लोधी हुए आमने-सामने
कुछ ही दिन पहले की उमा भारती एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबके सामने थीं। बातों-बातों में जता दिया कि प्रीतम लोधी छोटे कद के नेता हैं। उन पर निशाना साधने वाले बागेश्वर धाम के महाराज बड़े नेता थे लेकिन अब वो भी लोधी के कद के हो गए। इस दौरान उमा भारती ने ये भी जता दिया कि बागेश्वर धाम के जो महाराज प्रीतम लोधी से आमने-सामने हैं, उमा भारती के सामने उनका कद भी कुछ नहीं। कुल जमा उमा भारती तजुर्बे और ओहदे में दोनों से आगे हैं। बस प्रीतम लोधी का तोड़ ढूंढने के लिए शिवराज सिंह चौहान के लिए ये इशारा ही काफी था।
उमा भारती का प्रचंड मिजाज
अपनी स्पीच से लोगों के खून में उबाल ला देने वाली प्रचंड वक्ता उमा भारती का ये मिजाज ट्विटर पर भी खूब नजर आता है। एक बार उमा भारती ट्वीट करना शूरू करती हैं तो मन की भड़ास निकलने तक ट्वीट करती चली जाती हैं। 4 अप्रैल 2022 को भी उमा भारती ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए जिसमें शराबबंदी पर शिवराज सिंह को लेकर तल्खी साफ दिखाई दी। उमा ने लिखा कि मेरे हिमालय प्रवास पर या किसी भजन के याद आने पर शिवराज जी हमेशा मुझे फोन करते थे। अब दो साल से शराबबंदी पर बात कर रही हूं तो उन्होंने मुझे से अबोला ही कर लिया है। ऐसे नजारे एक बार नहीं कई बार दिखे। शराबबंदी पर उमा भारती वाकई गंभीर हैं या ये उनके लिए सिर्फ एक सियासी मुद्दा था जो प्रदेश में एंट्री आसान करे। इस पर अपना अपना मत हो सकता है। लेकिन ये तय है कि इस बहाने उमा भारती ने एकबार फिर अपने तूफानी तेवर दिखाने की पूरी कोशिश की। जिसकी शुरूआत राजधानी भोपाल की एक शराब दुकान पर पत्थर बरसाने से शुरू हुई। इस पत्थर पर बीजेपी बर्फ-सी ठंडी नजर आई। लेकिन असर तूफान संगठन में आया था। जिसे उमा भारती की ये हरकत कतई नागवार गुजरी। खबरे आईं कि उमा भारती को ये ड्रामा बंद करने के लिए फटकार लगी है और शिवराज को भी इस मुद्दे पर समझौता करने या कम से कम शांति बनाए रखने के लिए ताकीद किया गया है। इस फटकार के बाद उमा भारती ने उस आंदोलन को टाल दिया जिसे वो महिला दिवस से शुरू करने वाली थीं। शराबबंदी पर आंदोलन तो टला लेकिन खामोशी ज्यादा दिन नहीं चली।
धरने पर भी बैठीं उमा भारती
कुछ ही दिन बाद उमा भारती फिर भोपाल की ही एक शराब दुकान पर पहुंची। इस बार पत्थर तो उछाल नहीं सकती थीं लेकिन धरना पर बैठ गईं। मिसरोद थाना प्रभारी को वॉर्निंग भी दे दी कि तीन बाद वो दोबारा आएंगी। दुकान फिर नजर आई तो चुप नहीं बैठेंगी। ये भी कहा कि पत्थर नहीं बरसाएंगी ये अपराध लेकिन कुछ और जरूर बरसा कर जाएंगी। हालांकि तीन दिन बाद उमा की वापसी नहीं हुई। इसके बाद फिर कुछ दिन की शांति रही। जून के महीने में ओरछा पहुंची उमा भारती रामराजा मंदिर के पास स्थित शराब दुकान को देखकर बिफर गईं। गाड़ी रोकी और दुकान पर गोबर फेंका। इसके बाद फिर सफाई दी कि ये पत्थर नहीं है। पत्थर बरसाना अपराध है इसलिए मैंने गोबर फेंका है। तसल्ली इतने पर भी नहीं हुई 8 जुलाई 2022 को उन्होंने गांधी जयंती पर शराबबंदी का आंदोलन शुरू करने के ऐलान के अगले दिन पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को 3 पेज लंबा पत्र लिख दिया।
मध्यप्रदेश को नशे में नहीं देख सकतीं उमा भारती
पत्र में उमा भारती ने लिखा कि पंजाब में नशे से हाल बेहाल हैं। वो मध्यप्रदेश को इस हाल में नहीं देख सकतीं। उमा भारती ने अपने बयानों से साफ कहा कि शराब की वजह से परेशानी झेल रही महिलाओं के साथ मिलकर वो आंदोलन करेंगी और किसी ने साथ नहीं दिया तो अकेले ही शराब दुकानों के बाहर जाकर खड़ी रहेंगी। ये भी साफ कर दिया कि बीच में लंबी खामोशी की वजह नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव थे लेकिन अब वो चुप नहीं रहेंगी। अपने आंदोलन के लिए उमा भारती जो तारीख खुद चुनी थी। उसी तारीख पर उमा भारती के साथ शिवराज सिंह चौहान मंच साझा करते दिखाई देंगे। इसके बाद उमा भारती के पास शिवराज सिंह चौहान के विरोध का कोई कारण नहीं बचेगा। सोशल मीडिया पर कभी गुस्सा जाहिर करने और कभी शिवराज की तारीफों के पुल बांधने वाली उमा भारती को नशा मुक्ति के लिए आगे बढ़े शिवराज की तारीफ तो करनी ही होगी। इसके बाद ये मुद्दा उनके हाथ से तकरीबन फिसल ही जाएगा।
उमा के बहाने 3-3 मुश्किलों का हल ढूंढ लेगी शिवराज सरकार
एक उमा के बहाने शिवराज सरकार तीन-तीन मुश्किलों का हल ढूंढ लेगी। 2 साल से लगातार शराबबंदी की रट लगाने वाली उमा इस मुद्दे पर खामोश रहेंगी, इसके साथ ही उनके आंदोलन की भी हवा निकल ही जाएगी। इसके अलावा बुंदेलखंड और चंबल में लोधी वोटर्स की नाराजगी झेल रही सरकार ये मैसेज देने में भी कामयाब होगी कि उनकी सबसे बड़ी नेता उमा भारती अब भी पार्टी के साथ हैं। बीजेपी का काम तो बन जाएगा लेकिन इन मुद्दों के बहाने प्रदेश में वापसी की कोशिश कर रही उमा भारती की उम्मीदों पर फिर पानी फिर सकता है।