REWA. जिला पंचायत रीवा में भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार फिर कब्जा कर लिया है। भाजपा की सियासी बिसात पर कांग्रेस के दोनों मोहरे बुरी तरह से पिट गए। महापौर चुनाव की जीत की खुमारी में मस्त संगठन और कांग्रेस के रणनीतिकारों की चाल भाजपा के मुकाबले बेहद कमजोर साबित हुई। महापौर के चुनाव में झटका खाने के बाद पूर्व मंत्री, विधायक राजेन्द्र शुक्ल ने वरिष्ठ विधायक नागेन्द्र सिंह को साथ लेकर जिला पंचायत के चुनाव की रणनीतिक कमान संभाली। यहाँ संगठन मंत्री रह चुके। खादी ग्रामोद्योग निगम के अध्यक्ष जीतेंद्र लिटोरिया ने समन्वय का काम देखा जहाँ भाजपा के चार अधिकृत सदस्य थे चुनाव होते-होते बढ़कर 23 पहुंच गए। इनके कांग्रेस की रणनीति धराशाई हो गए। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा जिला पंचायत हथियाने को लेकर एकजुट रही, वहीं कांग्रेस छितर-बितर नजर आयी। भाजपा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवारों को 23-23 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशियों को मात्र 9 वोट तक सीमित रहे। जिला पंचायत के नतीजों से कांग्रेस में फिर मायूसी छा गई, वहीं भाजपा नगर निगम की हार के सदमे से उबर आई है।
भाजपा के खाते में पड़े 23 वोट
जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को कलेक्ट्रेट के सभागार में 11 बजे से चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई। इसके पहले भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद के लिए नीता कोल और उपाध्यक्ष पद के लिए प्रणव प्रताप सिंह को प्रत्याशी घोषित किया गया। उधर कांग्रेस की ओर से सुमन आदिवासी अध्यक्ष और पूर्णिमा तिवारी उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार बनाए गये। दोनो दलों के नामांकन फार्म भरे जाने के बाद दोपहर 12 बजे से पहले अध्यक्ष और बाद में उपाध्यक्ष पद के लिए सदस्यों द्वारा वोट डाले गये। करीब 3 घंटे चली प्रक्रिया का परिणाम भाजपा के पक्ष में रहे। भारतीय जनता पार्टी की नीता कोल को कांग्रेस की सुमन कोल के मुकाबले 23 वोट और प्रणव प्रताप सिंह को भी पूर्णिमा तिवारी के विरुद्ध इतने ही मत प्राप्त हुए। कांग्रेस के दानों दावेदारों को 9-9 वोट ही मिल पाए।इस तरह जिला पंचायत पर भाजपा कब्जा बनाए रखने में फिर सफल रही।
कोरा साबित हुआ कांग्रेस का दावा
जिला पंचायत के 32 वार्डों के चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी की ओर से 13 सदस्यों पर दावा किया गया था, लेकिन वोटिंग में कांग्रेस की सुमन कोल और पूर्णिमा तिवारी को मात्र 9 वोट ही मिले हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस का दावा कोरा शिगूफा रहा अथवा पार्टी के सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की । कांग्रेस को इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। सबसे अहम बात यह रही कि कांग्रेस में चुनाव जीतने जैसी कोई सरगर्मी दिखाई ही नहीं दी। पार्टी के संगठन प्रभारी प्रताप भानु शर्मा एवं स्थानीय संगठन पूरे चुनाव में तटस्थ बना रहा। इसके मुकाबले भाजपा पूरी ताकत से जुटी रही । पार्टी के रणनीतिकारों ने 4 घोषित एवं तीन अघोषित सदस्यों के साथ 7 का आंकड़ा हासिल किया और बाद में 2 बीएसपी और 10 निर्दलीय को मिलकर जिला पंचायत फतह कर ली। भाजपा लगातार तीसरी बार जिला सरकार बनाने में सफल रही।
अलग-थलग विस अध्यक्ष पड़े
जिला पंचायत के चुनाव से बेटे राहुल गौतम को राजनीतिक विरासत सौंपने का मंसूबा रखने वाले विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम एक बार फिर मात खा गए। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि भाजपा की वार्ड 32 से पार्टी की समर्थित प्रत्याशी उर्मिला गोंड को हराने वाली निर्दलीय बूटी कोल को भाजपा में लाकर विस अध्यक्ष ने जिला पंचायत में अध्यक्षी के लिए दावेदारी करवाई थी लेकिन वे पार्टी संगठन और नेताओं को नहीं साध पाए। अंतिम क्षणों में गिरीश गौतम अलग-थलग पड़ गए। पार्टी के सारे विधायक और जिले के पदाधिकारी एकजुट होकर नीता कोल और प्रणव सिंह को जिता ले गए।