BHOPAL. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर दिग्विजय सिंह की तल्खी अक्सर सामने आती रहती है। 5 अक्टूबर यानी दशहरे के दिन संघ मुख्यालय में कार्यक्रम में पूर्व पर्वतारोही संतोष यादव को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया। इस पर दिग्विजय ने कई ट्वीट कर संघ प्रमुख मोहन भागवत से कई सवाल पूछे। दिग्विजय ने पूछा कि क्या सच में आरएसएस अपना चरित्र बदल रहा है।
दिग्विजय ने पूछा- क्या संघ में एसी, एसटी, ओबीसी को संघ प्रमुख बनाया जाएगा?
क्या आरएसएस बदल रहा है? क्या तेंदुए के शरीर के निशान बदल सकते हैं? अगर वे सच में संघ का चरित्र बदलने के लिए गंभीर हैं तो मेरे मोहन भागवत जी कुछ सवाल हैं? क्या अगला सरसंघचालक एक गैर चितपावन ब्राह्मण हो सकता है? क्या किसी ओबीसी, एससी और एसटी सरसंघचालक के रूप में स्वीकार किए जाएंगे, क्या उन्हें संघ में सामान्य सदस्यता मिलेगी? क्या वे अल्पसंख्यकों को सदस्यता देने की शुरुआत करेंगे? भागवत जी, मेरे प्रश्नों/शंकाओं को स्पष्ट करें। मुझे आरएसएस से कोई दिक्कत नहीं होगी। भागवत जी, अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो मैं आपकी तारीफ करूंगा।
दिग्विजय के संघ विरोधी बयान
10 जनवरी 2022 (इंदौर में)- आप ऐसे संगठन से लड़ रहे हैं, ये ऊपर से नहीं दिखता। जैसे दीमक घर में या किसी वस्तु में लगती है, उस तरह से (संघ) काम करता है। जब मैं ऐसा कहूंगा तो सबसे ज्यादा गालियां मैं खाऊंगा, क्योंकि मैंने RSS की तुलना दीमक से कर दी। आरएसएस के लोग मुझसे बहस करें, उनका संगठन है कहां? तुम्हारा अस्तित्व कहां है, रजिस्टर्ड संस्था कहां है? ये केवल गुपचुप तरीके से काम करते हैं। छोटे-छोटे काम करेंगे और खुलेआम कुछ नहीं करेंगे। गुप्त रूप से बात करेंगे, कानाफूसी करेंगे, गलत भावना फैलाएंगे। मैं पूछना चाहता हूं कि आरएसएस ने संगठन के रूप में कोई धरना दिया, आंदोलन किया। कभी, कहीं आम जनता, किसान, मजदूर की लड़ाई लड़ी। कभी ऊपर से नहीं आएंगे। वो आपके घर आएंगे और चाय पीकर जाएंगे।
25 सितंबर 2021 (नीलम पार्क, भोपाल): जिसने बचपन से सरस्वती शिशु मंदिर से लोगों के दिल और दिमाग में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत पी हो। वही नफरत का बीज धीरे-धीरे आगे बढ़कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ता है। सांप्रदायिक कटुता और धार्मिक उन्माद पैदा करता है। इससे देश में दंगे-फसाद होते हैं।
एक बार दिग्विजय ने संघ प्रमुख भागवत पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था- कामकाजी महिलाओं को लेकर क्या तालिबान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों में समानता नहीं हैं? दोनों को इस पर सोचने की जरूरत है। इंदौर में मोहन भागवत ने कहा था कि पत्नी का पति से सौदा तय होता है। आप लोग इसे शादी संस्कार कहते हैं। पति, पत्नी से कहता है कि तुम घर संभालो, मैं तुम्हारे खाने-पीने की व्यवस्था कर दूंगा। जब तक कॉन्ट्रैक्ट रहता है, तब तक पति, पत्नी को रखता है। किसी कारण से पति कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं कर सकता तो उसके छोड़ दो। ऐसे ही चलता है। सब बातों में सौदा है।
Is RSS changing?
Can a Leopard ever change its spots?
If they are really serious about changing the basics of RSS’ character, I have few questions to Mohan Bhagwat ji?
1/n
@RSSorg
@BJP4India
@INCIndia
@RahulGandhihttps://t.co/RlflNRfZAL pic.twitter.com/Xy29AZXa4D
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 5, 2022
Would an OBC/SC/ST Sarsanghchalak be acceptable to rank and file of Sarsanghchalak? Would they register RSS?
Would they have regular membership of RSS?
Would they open their membership to Minorities?
3/n@RSSorg @BJP4India @RahulGandhi @INCIndia @Jairam_Ramesh
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 5, 2022
If the answer to all my questions/doubts are clarified positively I shall have no problem with RSS!!
Mohan Bhagwat ji if you can do it I shall become your admirer!!
4/n@RSSorg @BJP4India @INCIndia @RahulGandhi @Jairam_Ramesh
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 5, 2022
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