चंडीगढ़. पंजाब सरकार और प्रदेश कांग्रेस (Congress) में भारी गड़बड़ चल रही है। 28 सितंबर को नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख (PCC Chief) के पद से इस्तीफा (Resign) दे दिया। पहले खबर आई थी कि पार्टी आलाकमान ने सिद्धू का इस्तीफा मंजूर नहीं किया। अब खबर आ रही है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत दौरा रद्द किया जा रहा है। हाईकमान पूरी तरह से चरणजीत सिंह चन्नी के साथ ही है। अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू की जा रही है। मामले को लेकर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने 29 सितंबर को बैठक बुलाई है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्किंग प्रेसिडेंट कुलजीत नागरा और लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का नाम नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में आगे चल रहा है।
सिद्धू के समर्थन में इस्तीफे
सिद्धू के समर्थन में मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी चन्नी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। रजिया सिद्धू के सलाहकार और पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं। उन्होंने 28 सितंबर ही चार्ज संभाला था। इधर, पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष गुलजार इंद्र सिंह चहल और महासचिव योगेंद्र ढींगरा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
चन्नी मुख्यमंत्री बने तो सिद्धू ‘सेंटी’ हो गए
सिद्धू से तनातनी के चलते ही 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amrinder Singh) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। 20 सितंबर को जब चरणजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सिद्धू भावुक (Sentimental) हो गए और खुद को संभाल नहीं पाए। चन्नी से हाथ मिलाकर सिद्धू ने एकजुटता (Bonding) भी दिखाई थी। इतना ही नहीं, 7 दिन पहले चन्नी के साथ प्राइवेट जेट में बैठकर दिल्ली जाने से पहले 'इन लाइन ऑफ ड्यूटी' की बात भी सिद्धू ने कही थी।
सिद्धू स्थिर आदमी नहीं हैं- अमरिंदर
माना जा रहा था कि चन्नी को पहला दलित मुख्यमंत्री (CM) बनाकर कांग्रेस ने पंजाब में बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला, लेकिन 8 दिन में ही सिद्धू ने इसकी हवा निकाल दी। सिद्धू के इस्तीफा देने पर अमरिंदर ने कहा, 'मैंने पहले ही कहा था वो स्थिर आदमी नहीं हैं। पंजाब जैसे सीमा से सटे राज्य के लिए सिद्धू फिट नहीं हैं।' सिद्धू को लेकर अब यही सवाल उठ रहा है कि आखिर वो इतना छोड़ते क्यों हैं? उनका राजनीतिक करियर अभी तक ऐसा ही रहा है।
अब तक ऐसा रहा सिद्धू का पॉलिटिकल करियर
- 2004- सिद्धू बीजेपी में आए
कयासों की कहानी
बताया जा रहा है कि सिद्धू ने पंजाब में जिस सत्ता पाने की कोशिश में दिल्ली आलाकमान तक दौड़भाग करके की, उसे सिद्धू के सामने से चन्नी ले उड़े। पंजाब में 20 तारीख को राहुल ने चन्नी का हाथ पकड़ा और चन्नी का हाथ सिद्धू ने पकड़ रखा था। लेकिन अतिमहत्वाकांक्षी (Highly Ambitious) बताए जाने वाले सिद्धू को जब लगने लगा कि चन्नी ही चेहरा हो चुके हैं तो उन्हें अपना चेहरा पीछे होता दिखने लगा। बस, सिद्धू ने पंजाब की भलाई और समझौते से इनकार करने के नाम पर इस्तीफा तो दे दिया।
जानकार कहते हैं कि असली कहानी कुछ और ही है। सिद्धू सीएम पद नहीं मिलने से नाराज थे। फिर कैप्टन के करीबियों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से नाराजगी बढ़ी। दावा है कि एडवोकेट जनरल और डीजीपी की नियुक्ति में भी सिद्धू की नहीं चली। इसके अलावा सीएमओ (CMO) में भी अफसरों की नियुक्ति को लेकर भी चन्नी ने भी खुद ही फैसला लिया, जिससे सिद्धू खुश नहीं थे।