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DELHI. पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी (West Bengal Minister Partha Chatterjee) की करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) के दूसरे फ्लैट से भी भारी मात्रा में कैश मिलने की खबर आ रही है। ईडी की टीम मौके पर पहुंची है। पैसे गिनने के लिए यहां भी मशीनें मंगाई गई हैं। अर्पिता का ये दूसरा घर कोलकाता (Kolkata) के बेलघरिया टाउन क्लब में है। इससे पहले अर्पिता मुखर्जी के एक घर से लगभग 21 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम मिली थी और महत्वपूर्ण कागजात हाथ लगे थे। 27 जुलाई को हुई छापेमारी में अब तक 20 करोड़ रुपए की गिनती हो चुकी है।
नोटों की गिनती के आरबीआई (RBI) से पांच मशीनों मंगाई गईं है। इससे पहले टालीगंज के डायमंड सिटी कंप्लेक्स में छापामारी के दौरान ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से 21 करोड़ रुपए से ज्यादा नकद बरामद किया था। बुधवार ईडी ने बेलघरिया स्थित अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट, कसबा राजडांगा, बारासात की साड़ी दुकान सहित छह ठिकानों पर छापा मारा। अर्पिता के बेलघरिया स्थित फ्लैट पर 15 अधिकारियों की टीम पहुंची। अर्पिता के बेलघरिया हाउसिंग में कुल दो फ्लैट हैं। ईडी कई और दूसरे ठिकानें पर भी छापेमारी कर रही है।
ईडी को अदृश्य हाथों की तलाश
बंगाल शिक्षक घोटाला (Bengal teacher scam) मामले में गिरफ्तार बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद अदृश्य हाथों की तलाश है, जिन हाथों तक घोटाले के पैसे पहुंचे हैं। ईडी सूत्रों की मानें तो दोनों से पूछताछ और अर्पिता के घर से मिली डायरी से पता चला है कि घोटाले के पैसे कुछ अदृश्य हाथों तक पहुंचे हैं, और ईडी इन तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अर्पिता के घर से कुल तीन डायरियां मिली हैं। ईडी सूत्रों का दावा है कि इन डायरियों में कई जगह सांकेतिक भाषा में बहुत कुछ लिखा गया है। पूछताछ के दौरान ईडी इन सांकेतिक भाषाओं को समझने का प्रयास कर रही है। माना जा रहा है कि इन सांकेतिक भाषा में उन अदृश्य हाथों का भी जिक्र है, जिन तक घोटाले का पैसा पहुंचा है। सूत्रों के मुताबिक ईडी पूछताछ के दौरान इन सांकेतिक भाषाओं को समझकर उन अदृश्य हाथों तक प्रयास करेगी।
अर्पिता का कबूलनामा, पार्थ की चुनौती
पार्थ चटर्जी की मुसीबत इसलिए भी ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि पूछताछ में अर्पिता ये स्वीकार कर चुकी हैं कि घर में बरामद हुआ कैश पार्थ का है। यहां तक दावा हुआ है कि पैसों को अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी कंपनियों में लगाने की योजना थी। नकद राशि भी एक-दो दिन में उसके घर से बाहर ले जाने की तैयारी थी। लेकिन ये सब हो पाता, उससे पहले ही ईडी ने नोटों के उस पहाड़ को अपने कब्जे में ले लिया और इस घोटाले में कई बड़े नाटकीय मोड़ आ गए। अभी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद को इस घोटाले से पूरी तरह अलग कर लिया है। वे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त एक्शन की बात कर रही हैं, लेकिन पार्थ चटर्जी को लेकर कोई बयान नहीं दे रहीं।