मध्य प्रदेश में आज बिरसा मुंडा की जयंती पर राजनीतिक होड़ तेज होती दिखाई दे रही है। एक तरफ नरेंद्र मोदी भोपाल में आदिवासी रैली को संबोधित करने वाले हैं। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस भी जबलपुर में एक आदिवासी सम्मेलन करने जा रही है।कांग्रेस के पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी आदिवासी विधायकों संग 2018 में जुड़े इस समाज के वोटबैंक को बनाए रखने की कोशिश करते नजर आएंगे।
बिरसा मुंडा के बहाने आदिवासी वोट हैं भुनाने
जबलपुर में गृह मंत्री अमित शाह ने कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह जयंती पर आदिवासी जननायकों पर कार्यक्रम किया था। उसी दिन कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कुंवर रघुनाथ शाह-शंकर शाह के बलिदान स्थल पर कार्यक्रम करने पहुंचे थे। ऐसे में जनजाति गौरव दिवस पर भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी तो जबलपुर में कमलनाथ-दिग्विजय सिंह बिरसा मुंडा के आजादी की लड़ाई में योगदान को याद करेंगे. हालांकि, इसके पीछे नजर 2023 का विधानसभा चुनाव और आदिवासी वोट बैंक पर होगी
21% वोट पर है दोनों दलों की नजर
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों समुदाय के लिए आरक्षित है. यहां करीब 21 परसेंट वोट आदिवासियों के हैं। पिछले कई चुनावों से आदिवासी समुदाय मध्यप्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक 2003, 2008, 2013 में आदिवासी वोटरों के दम पर ही बीजेपी सत्ता में आई थी। ऐसे में दोनों ही दल अब बिरसा मुंडा की जयंती के बहाने इस वर्ग में पैठ बनाने की सोच रहे हैं।
1. कुरवाई- वोट प्रतिशत
66: हरिसिंह सप्रे बीजेपी जीत
19: सुभाष बोहत
15: अन्य
विधायक के काम से संतुष्ट
55: हां, पूरी तरह से
32: नहीं, बिल्कुल नहीं
13: कह नहीं सकते
2. सिरोंज- वोट प्रतिशत
77: उमाकांत शर्मा, बीजेपी जीते
23: अन्य
विधायक के काम से संतुष्ट
68: हां, पूरी तरह से
30: नहीं, बिल्कुल नहीं
2: कह नहीं सकते
3.गंजबासौदा- वोट प्रतिशत
34: लीना जैन बीजेपी हारीं
55: निशंक जैन
11: अन्य
विधायक के काम से संतुष्ट
37: हां, पूरी तरह से
58: नहीं, बिल्कुल नहीं
5: कह नहीं सकते