Damoh. मुझे ईश्वर से संकेत मिला है, अब कुछ नया करना है, और इतना कहते हुए सिद्धार्थ चला गया। हम 2600 साल पहले घर छोड़ने वाले सिद्धार्थ(गौतम बुद्ध) की बात नहीं कर रहे। हम बात कर रहे हैं दमोह के कद्दावर बीजेपी नेता और पूर्व वित्तमंत्री रहे जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ की, जिन्होने अब भाजपा छोड़ने का ऐलान किया है। हालांकि सिद्धार्थ बीते सवा साल से पार्टी से निलंबित ही चल रहे थे। बीते उपचुनाव में परिवार पर गद्दारी के आरोप लगने से व्यथित सिद्धार्थ ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल पर निशाना साधते हुए कहा कि जो हमें गद्दार कह रहे हैं, उन्होने जरूर कभी पार्टी छोड़ी है। सिद्धार्थ ने अपने पिता द्वारा कभी बीजेपी से गद्दारी नहीं करने का भी दावा किया।
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सिद्धार्थ यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि उन्हें ईश्वर से संकेत मिला है कि उनके लिए कुछ अलग करना है, इसलिए सवा साल से पार्टी से निलंबित होने के कारण अब उन्होंने अपना फैसला ले लिया है। यह फैसला उनका पुराना था, लेकिन उनके पिता को और परिवार के अन्य सदस्यों को समझाने में समय लग गया, इसलिए आज बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हैं। इस्तीफा स्वीकार ना होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका यह इस्तीफा एकपक्षीय है। पार्टी भी बिना कहे चाह रही थी कि हम पार्टी छोड़ दें क्योंकि सवा साल में उनका निलंबन वापस नहीं हुआ।
2023 में चुनाव लड़ने की घोषणा
सिद्धार्थ ने कहा कि उनके परिवार पर आरोप लगते हैं कि वर्तमान विधायक अजय टंडन से उनकी करीबियां है। यह बात सही है कि उनकी करीबी है लेकिन लोगों को यह भी पता होना चाहिए कि बीते 5 चुनाव उनके परिवार ने आमने.सामने लड़े हैं और 2023 में वह भी आमने सामने चुनाव के रूप में लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह तो ईमानदारी की राजनीति करना चाहते हैं ताकि उनका शहर अपराध मुक्त हो और नगरपालिका भ्रष्टाचार मुक्त हो। इसलिए इस नगरीय निकाय चुनाव में वह पूरी ताकत से ऐसे लोगों का समर्थन करेंगे, जो ईमानदार हो। उन्होंने कहा कि उनकी कोई पार्टी नहीं है लेकिन यह बात जरूर है कि उनके समर्थन से वार्ड में प्रत्याशी खड़े होंगे और वह अपनी ताकत दिखाएंगे। सिद्धार्थ ने यह भी कहा कि हो सकता है कि उनके केवल 2 पार्षद जीत कर आए लेकिन वह अपने दम पर जीत कर आएंगे।
किसी और पार्टी में नहीं होंगे शामिल
सिद्धार्थ ने एक बात और बिल्कुल साफ कर दी कि वह भारतीय जनता पार्टी को छोड़ रहे हैं लेकिन किसी और पार्टी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि वह किसी भी दल में नहीं जाएंगे। उनकी जड़ों में उनके विचारों में अटूट विश्वास है जो उन्हें भाजपा से मिला है और उसी विचार को लेकर आगे बढ़ेंगे और नए लोगों को राजनीति में लाएंगे ताकि पूरी ईमानदारी से समाज का हित हो सके।
राहुल की हार पर लगे थे आरोप
गौरतलब है कि साल 2021 में दमोह विधानसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह की करारी हार हुई थी। इस हार के लिए राहुल सिंह ने पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया और उनके परिवार को दोषी बताया था, जिसके बाद भाजपा संगठन के द्वारा सिद्धार्थ मलैया सहित पांच मंडल अध्यक्षों को निलंबित कर दिया था और पूर्व मंत्री को नोटिस जारी किया था, जिसका सभी ने जवाब भी दे दिया, लेकिन एक साल का समय बीत जाने के बाद भी भाजपा में सिद्धार्थ की वापसी नहीं हुई और आखिरकार उन्होंने भाजपा को ही अलविदा कह दिया।