आज-कल इतिहास (History) से छेड़छाड़ का मामला हर कहीं गरमाया है। बीजेपी नेता कांग्रेस पर हमेशा आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस ने साजिशन झूठा इतिहास लिखाकर देश को गुमराह किया है। वहीं कांग्रेस का भी आरोप रहता है कि बीजेपी का कोई इतिहास नहीं है इसलिए बीजेपी (BJP) सरकार इतिहास को बदलना चाहती है। अब आए दिन इस तरह की बयान बाजी सुनने को मिलने लगी है। इसी क्रम में 30 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री (Education Minister) ने भोपाल में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि देश में अब तक सिर्फ झूठ ही पढ़ाया गया। झूठ बोला गया। विश्व गुरु भारत के इतिहास को बदला गया। आजादी से पहले से आजादी के बाद तक भारत में एजेंट बैठाकर लेखक और इतिहासकारों से अपने पक्ष में लिखवाया गया। ऐसे बताया गया कि जैसे सभी खोज विदेशियों ने ही की हैं, भारत ने कुछ किया नहीं किया।
प्राचार्यों को संबोधिक कर रहे थे– शिक्षा मंत्री
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) ने हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्यों (Principals) की एक्सपोजर विजिट एवं कार्यशाला के समापन (Exposure Visit and Workshop) पर कही। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा को लेकर कई प्रयास किए गए, लेकिन अब हम ठीक दिशा में बढ़ रहे हैं। मंत्री परमार ने कहा कि अब तक झूठ बोला गया। गलत पढ़ाया गया। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के बारे में भ्रम फैलाने की कोशिश की गई। इसी कारण शिक्षा के क्षेत्र में इतनी गिरावट आई। भारत की परंपरा (Tradition of India) में शिक्षा बाजार नहीं है। शिक्षा रोजगार दे सकती है, लेकिन स्वयं शिक्षक बाजार पर आश्रित नहीं है।
इस सोच को बदलने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाएं। प्राथमिक शिक्षा का स्तर डाउन होता जा रहा है, उसे उठाने की जरूरत है। अप्रत्यक्ष रूप से जो लोग भारत को बाजार समझ कर काम कर रहे हैं, जिससे हमारा परंपरागत स्किल को गांव-गांव में समाप्त करने की कोशिश की है।
शिक्षकों को दी चेतावनी- मंत्री इंदर सिंह परमार
मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षा विभाग सिर्फ नौकरी देने के लिए नहीं है। यह समाज का निर्माण करने के लिए है। नकारात्मक सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम बच्चे की परीक्षा के लिए सब कुछ भूलकर उसे सफल बनाने में लग जाते हैं, वैसे ही सभी शिक्षकों को भी इसी मंशा से काम करना चाहिए। हम व्यवस्था सकारात्मकता से बदलने में लगे हैं।