DAMOH: जनप्रतिनिधि घंटों में बदल रहे पाला, BSP से पार्षद बने, कांग्रेस में शामिल होकर नगर अध्यक्ष बने, फिर BJP का दामन थाम लिया

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Rajeev Upadhyay
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DAMOH: जनप्रतिनिधि घंटों में बदल रहे पाला, BSP से पार्षद बने, कांग्रेस में शामिल होकर नगर अध्यक्ष बने, फिर BJP का दामन थाम लिया

Damoh. दमोह में कांग्रेस की ओर से निर्वाचित हुए नगर परिषद अध्यक्ष ने कुछ ही घंटे बाद बीजेपी का दामन थाम लिया। इस समय दमोह की राजनीति में दल बदल का ऐसा दौर चल रहा है कि नगर पालिका के पार्षद सुबह किसी पार्टी में और शाम को दूसरी पार्टी में जा रहे है। यही नजारा आज पथरिया नगर परिषद में हुए चुनाव में देखने मिला। जहां अध्यक्ष पद के लिए वार्ड छह से बसपा पार्षद सुंदरलाल उर्फ हल्ले विश्वकर्मा ने कांग्रेस में शामिल होकर अध्यक्ष का चुनाव जीता और कांग्रेस से बसपा में आए  राकेश राठौर को हरा दिया। हल्ले को  8 मत प्राप्त हुए और नगर परिषद अध्यक्ष घोषित किया गया। 



वीडियो जारी कर दिया बीजेपी ज्वाइन करने का संदेश



कांग्रेस की खुशी कुछ घंटे में ही काफूर हो गई जब शाम को उन्होंने  उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित शोभा रानी संतोष दुबे के साथ एक वीडियो सोसल मीडिया पर वायरल किया और भाजपा की सदस्यता लेने की बात कही। वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस के पैरों से मानो जमीन खिसक गई।



गंगा की सौगंध का रखा मान!



बीजेपी के हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि हल्ले ने गंगा मैया का मान रख लिया और उनकी सौगंध को झूठा नहीं जाने दिया। हां एक दिन के लिए पाला जरूर बदला लेकिन महाभारत में प्रभु ही सिखा गए हैं कि लड़ाई जीतने के लिए हर युक्ति अपनाई जा सकती है। बता दें कि बीजेपी ने पथरिया में बीएसपी से गठबंधन कर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद किसी हाल में कांग्रेस के खाते में जाने से रोकने के लिए कई जतन किए थे। पार्षदों को दिल्ली रुकवाया, ऋषिकेश में हाथ में गंगा उठवाई, कसम खिलाई। 



प्रहलाद पटेल ले चुके हैं हार की जिम्मेदारी



हालांकि इस पूरे घटनाक्रम को बीजेपी की जोड़तोड़ वाली राजनीति के बजाए सुंदरलाल की पसंद से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ट्वीट कर हार की जिम्मेदारी ले चुके थे और उन्होंने जोड़-तोड़ की राजनीति में विफल होने की बात कही थी।



ऐसे आया ‘आया राम-गया राम’ का जुमला



नेताओं, विधायकों या सांसदों का एक पार्टी से दूसरे पार्टी में जाना आम बात हो गई है। भारत में पाला बदलने की इस प्रवृत्ति के लिए 'आया राम गया राम' जुमले का भी इस्तेमाल होता है। इस 'आया राम गया राम' वाक्य को एक लोकप्रिय बनने की दिलचस्प कहानी है। 



1967 में भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नई इबारत लिखी जा रही थी। इस इबारत को लिखने वाले थे गया लाल। गया लाल हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। उन्होंने एक ही दिन में 3 बार पार्टी बदली। पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया। फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए। करीब 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए। गया लाल के हृदय परिवर्तन का सिलसिला जा रहा और वापस कांग्रेस में आ गए। कांग्रेस में वापस आने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राव बीरेंद्र ने उस मौके पर कहा था, 'गया राम, अब आया राम हैं।' इस घटना के बाद से ही पाला बदलने वाले दलबदलुओं के लिए 'आया राम, गया राम' वाक्य का इस्तेमाल होने लगा।


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