ग्वालियर : नेताओं ने दिग्विजय को सुनाई हकीकत, बोले; ये सुधार करो तभी बनेगी सरकार

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ग्वालियर : नेताओं ने दिग्विजय को सुनाई हकीकत, बोले; ये सुधार करो तभी बनेगी सरकार

Gwalior. ग्वालियर में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मिशन-2023 को लेकर कांग्रेस की अहम बैठक ली, इसमें नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी मौजूद रहे। बैठक से मीडिया को दूर रखा गया, लोगों को ऐसा लगा कि बैठक शांति से निपट गई लेकिन बैठक में क्या हुआ, किसने क्या कहा, सारी जानकारी आपको देने के लिए द सूत्र लेकर आया है कांग्रेस की चिंतन बैठक की अंतरकथा।





3 की जगह 7 घंटे चली बैठक





दिग्विजय सिंह की बैठक होटल सेंट्रल पार्क में हुई। इसमें मंच तो था इस पर दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह सहित कुछ नेता मंच पर बैठे भी थे लेकिन बोलने के लिए सामने की कुर्सियों से बुलाए जा रहे थे। सब अपने सुझाव दे रहे थे। दिग्विजय सिंह सबको तल्लीनता से सुन रहे थे। ज्यादातर लोग अच्छी-अच्छी बातें करते रहे लेकिन बैठक 10 बजे शुरू होकर 1 बजे तक होना थी। फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके 2 बजे मुरैना जाना था लेकिन पत्रकारों से बात करके दिग्विजय सिंह फिर बैठक हॉल में घुस गए। उसके बाद वे 6 बजे तक सबकी सुनते रहे।





'15 जिलों में अध्यक्ष नहीं'





सूत्र बताते हैं कि मुरैना में कांग्रेस अध्यक्ष रहे भगवान सिंह ने कहा कि अगर तारीफ करना और सुनना है तो मैं चुपचाप बैठ जाता हूं। यहां बातें सुनने से चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। हम चुनाव की तैयारी के लिए बैठ गए लेकिन जिला अध्यक्ष बना नहीं पाए। हॉल में सन्नाटा हो गया तोमर कहते रहे। बोले प्रदेश के 15 जिलों में अध्यक्ष नहीं हैं। अगर है तो वे काम नहीं कर रहे। वे लिखकर दे चुके हैं कि हटा दो लेकिन कोई सुन नहीं रहा। तोमर ने कहा यहां मुरैना के जिला अध्यक्ष राकेश मावई बैठे हैं। वे एमएलए बन गए। कई बार लिखकर दे चुके हैं कि अब वे समय नहीं दे पाते, उन्हें हटा दो लेकिन दो साल निकल गए, किसी ने नहीं सुना। यहां अशोक सिंह हैं। वे जब प्रदेश उपाध्यक्ष थे तब ग्रामीण ग्वालियर का अध्यक्ष बना दिया। अब वे प्रदेश कोषाध्यक्ष बन गए लेकिन ग्रामीण के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे चुनाव कैसे जीतेंगे ? सब जगह लोगों को काम दो।





'पहले से उम्मीदवार तय करो'





सूत्रों के मुताबिक एक अन्य नेता ने कहा पहले से उम्मीदवार तय करो। आप कहते हो सर्वे से नाम तय करेंगे। सर्वे पहले करा लो। नेता चार लोगों पर हाथ रखे रहते। सब भरोसे में लाखों रुपए खर्च कर तैयारी करते हैं। जब टिकट नहीं मिलता तो बाकी 3 उसे हराने में जुट जाते हैं जिसे टिकट मिला है। हम 50 फीसदी सीटें इसी वजह से हार जाते हैं।





'विधायकों के अलावा भी लोग हैं'





कुछ लोगों ने कहा कि विधायक अपने क्षेत्र में सिर्फ अपनी चलने देते हैं। बाकी नेताओं को अपमानित करने का कोई प्रयास नहीं छोड़ते। पार्टी में कोई भी उनके मान-सम्मान की कोई कोशिश नहीं करते। अब बताओ वे पार्टी के लिए कैसे काम करें ? विधायक के अलावा भी पार्टी है। सबको सम्मान मिले।





हमारे नेता कमलनाथ-दिग्विजय सिंह





बैठक में दिग्विजय सिंह ने सबकी बात सुनीं। उन्होंने एकजुटता का आह्वान किया लेकिन एक बात खासतौर पर कही कि चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ रहे और उन्हीं के आदेश पर ये बैठक करने आया हूं। मकसद साफ था, उनके समर्थक और विरोधी इसे शक्ति प्रदर्शन की तरह प्रचारित न कर दें।



 



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