नई दिल्ली. जेएनयू (JNU) नारेबाजी मामले से चर्चा में आए कन्हैया कुमार (Kanhaiyya Kumar) और गुजरात (Gujarat) के दलित नेता (Dalit Leader) जिग्नेश मेवानी ने 28 सितंबर को कांग्रेस (Congress) जॉइन (Join) कर ली है। दोनों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। कांग्रेस में इन नेताओं की एंट्री (Entry) ऐसे समय में हुई है जब पार्टी से नाता तोड़ने की नेताओं में होड़ सी लगी है। कांग्रेस में शामिल होने पर अपनी पहली पीसी में कन्हैया कुमार ने कहा कि देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी कांग्रेस में शामिल हुआ हूं. कांग्रेस नहीं बची, तो देश नहीं बचेगा। वहीं, मेवानी ने कहा कि कुछ भी करके इस मुल्क के संविधान, लोकतंत्र और आइडिया ऑफ इंडिया को बचाना है और इसके लिए मुझे उसके साथ खड़ा होना है जिसने अंग्रेजों को खदेड़ कर दिखाया है।
कांग्रेस से निकलने का दौर जारी
ज्योतिरादित्य सिंधिया (मप्र, अब बीजेपी में), जितिन प्रसाद (यूपी, अब बीजेपी में), सुष्मिता देव (असम, अब टीएमसी में), प्रियंका चतुर्वेदी (दिल्ली, अब शिवसेना में) जैसे कई युवा चेहरों ने कांग्रेस का साथ छोड़ा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की बेटी शर्मिष्ठा ने तो इसी हफ्ते राजनीति से संन्यास तक का ऐलान कर दिया। कई नेताओं को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने की रणनीति तैयार करने वाले प्रशांत किशोर की भी कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा है। कांग्रेस में युवा नेताओं की एक ही वक्त में एंट्री (Entry) और एग्जिट (Exit) से सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी में अपने भविष्य के चेहरों को लेकर कन्फ्यूजन (Confusion) है?
कांग्रेस क्या दिखाना चाहती है?
कांग्रेस में एक के बाद एक कई युवा नेता पार्टी छोड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ गुलाम नबी आजाद सहित तमाम बुजुर्ग नेता पार्टी में साइड लाइन हैं। 27 नेता पहले ही सोनिया गांधी को लेटर लिखकर नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। माना जा रहा है कि युवा नेताओं के जाने से पैदा हुए वैक्यूम (Vaccum) को भरने के लिए कांग्रेस कन्हैया और जिग्नेश मेवानी की एंट्री करा रही है। दोनों ही नेता युवा हैं, आंदोलन से निकले हैं और अपनी पीढ़ी के युवाओं के बीच अच्छी पकड़ भी रखते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस कन्हैया, जिग्नेश और हार्दिक जैसे नेताओं को लाकर करके युवाओं की पार्टी न रहने का ठप्पा हटाना चाहती है।