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Mumbai. महाराष्ट्र की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का ऐलान किया था। मातोश्री मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का निजी आवास है। नवनीत ने अपने पति निर्दलीय विधायक रवि राणा के साथ पाठ करने की बात कही थी। 23 अप्रैल सुबह 9 बजे का वक्त दिया था। इसके पहले ही सुबह शिवसैनिक नवनीत के घर के बाहर पहुंच गए और नारेबाजी की। नोटिस मिलने के बावजूद नवनीत राणा हनुमान चालीसा के पाठ पर अड़ी हैं।
नवनीत महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद हैं और उनके पति रवि बडनेरा से विधायक हैं। शिवसैनिकों ने उनके मुंबई स्थित आवास पर नारेबाजी की।
#WATCH Shiv Sena workers protest outside the residence of Amravati MP Navneet Rana in Mumbai as the MP plans to chant Hanuman Chalisa along with her husband MLA Ravi Rana outside 'Matoshree' the residence of #Maharashtra CM Uddhav Thackeray pic.twitter.com/OR7CQQpWlk
— ANI (@ANI) April 23, 2022
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
राणा दंपती के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे के बंगले मातोश्री के बाहर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। राणा समर्थकों और शिवसैनिकों के बीच टकराव को रोकने के लिए मलाबार हिल्स में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास 'वर्षा' के बाहर भी भारी पुलिस बल तैनात है।
फैसला नहीं बदलेगा
पुलिस का नोटिस मिलने के बाद भी राणा दंपती ने कहा कि वे विरोध झेलने को तैयार हैं, लेकिन फैसला नहीं बदलेंगे। मातोश्री जाएंगे। हम नहीं चाहते कि सुरक्षा व्यवस्था बिगड़े, इसलिए हमने लोगों को वहां आने से मना किया है। नवनीत ने कहा कि हिंदुत्व के कारण ही उद्धव ठाकरे सीएम पद पर हैं, लेकिन अब वे अपनी विचारधारा भूल गए हैं। वहीं, रवि राणा ने कहा, मैंने हनुमान जयंती पर सीएम को हनुमान चालीसा के पाठ में आमंत्रित किया था, लेकिन वे विदर्भ नहीं आए।
बीजेपी नेता मोहित कंबोज की कार पर हमला
22 अप्रैल की रात बीजेपी नेता मोहित कंबोज की गाड़ी पर शिवसैनिकों ने हमला किया। यह हमला मातोश्री के पास बांद्रा के कलानगर सिग्नल पर रात के करीब 9.15 से 9.30 बजे के बीच हुआ। हमले के बाद शिवसेना सांसद विनायक राउत और वरुण सरदेसाई का कहना है कि कंबोज अपनी गाड़ी से उतरे क्यों? वो इसलिए उतरे, क्योंकि उन्हें मातोश्री और कलानगर की रेकी करनी थी। वे वहां फोटो खींच रहे थे। जब शिवसैनिक उनके पास पहुंचे तो वे गाड़ी में बैठ कर भाग गए। विनायक राउत का आरोप है कि कंबोज की गाड़ी में हथियार थे और हॉकी स्टिक रखी हुई थी।
उधर, मोहित कंबोज का कहना है- मैं एक शादी अटेंड करके लौट रहा था। मातोश्री के बाहर के इस रास्ते से रोज लाखों लोग सफर करते हैं। कलानगर के पुल के पास कमलानगर के सैकड़ों शिवसैनिकों ने हमला किया। अगर मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स जैसे इलाके में इस तरह की घटना होती है तो महाराष्ट्र सरकार के लिए यह शर्म की बात है।
सबके अपने-अपने बयान
NCP ने आरोप लगाते हुए कहा कि वे (राणा दंपती) सरकार को अस्थिर करने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बोले- हनुमान चालीसा का पाठ करना और रामनवमीं मनाना आस्था का विषय है, ना कि दिखावे का। राणा जैसे लोग बीजेपी के लिए नौटंकी और स्टंट करते हैं। लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। राणा दंपती 'बंटी और बबली' हैं।
वहीं, शिवसेना के एक अन्य सांसद अनिल देसाई ने कहा कि हनुमान चालीसा को लेकर राणा जो स्टंट कर रही हैं, वह समस्या है। शिवसैनिक उन्हें हिंदुत्व समझाएंगे। जब चक्रवात आया या महाराष्ट्र को कई त्रासदियों का सामना करना पड़ा, तब उन्होंने हनुमान चालीसा क्यों नहीं पढ़ा? मोहित कंबोज हनुमान चालीसा का पाठ करने दिल्ली क्यों नहीं जाते?
शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा- हनुमान चालीसा का विरोध नहीं है, ढोंगी हनुमान भक्तों से दिक्कत है और उनका विरोध किया जा रहा है। हम तब तक यहां बैठेंगे, जब तक वो (राणा दंपती) बाहर नहीं आते। हम उनका स्वागत करेंगे। एक शिवसैनिक ने कहा कि हनुमान चालीसा के बाद प्रसाद देने की प्रथा है, हम उनको प्रसाद देंगे।
MP में भी हुई थी रामधुन की राजनीति
मामला नवंबर का है। भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा था कि यहां (विधानसभा क्षेत्र) में नेतागिरी नहीं करना। दिग्विजय सिंह आया था यहां, कुछ करके गया...। कांग्रेस का आदमी इधर आए तो घुटने तोड़ दो। इसके बाद दिग्विजय ने ट्वीट किया- हिंसा का जवाब अहिंसा से दूंगा। 24 नवंबर को महात्मा गांधी की मूर्ति से रामेश्वर शर्मा के घर जाऊंगा। उनके घर जा कर प्रभु से उन्हें सद्बुद्धि देने के लिए एक घंटे तक रामधुन करूंगा।
24 नवंबर को ये हुआ
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की रामधुन हुई, लेकिन दोनों का मिलन नहीं हो सका। चैलेंज पूरा करने के लिए कांग्रेसियों संग दिग्विजय रामधुन करते हुए बीजेपी विधायक के घर के लिए रवाना हुए थे। लेकिन पुलिस बल की तैनाती और बैरिकैटिंग के कारण उन्हें रास्ते से ही लौटना पड़ा। इधर, रामेश्वर ने पूर्व सीएम के स्वागत के लिए पंडाल लगाया था। हलवा-पूड़ी का इंतजाम किया था। विधि विधान से रामधुन का आयोजन किया गया। पुलिस ने उन्हें भी आवास पर हो रोक दिया। वहीं, कांग्रेसियों ने शर्मा के घर से 200 मीटर दूर बैरिकेटिंग के पास सड़क पर बैठकर रामधुन की।
बीजेपी विधायक ने तब कहा था कि दिग्विजय रामधुन में नहीं आ रहे। वो रामधुन का कहकर कहीं और चले गए। मैं तो उनके इंतजार में बैठा हूं। यहां तो हलवा-पूड़ी भी बना। उनको किसने रोका। पहले पता कर लेना था। यहां तो राम का दरबार लगा।
एक्सपर्ट कमेंट
सीनियर जर्नलिस्ट जयराम शुक्ल का कहना है- नेता सिर्फ सिवाय सुर्खियों में आने के लिए और सनसनी फैलाने के लिए ऐसा करते हैं। जो लोग हनुमान चालीसा और रामधुन को सड़क पर करने की बात करते हैं, वो ना तो हनुमान को समझते हैं और ना ही भगवान राम को। वो सिर्फ खबरों में आने और सस्ती लोकप्रियता के लिए ये उपक्रम करते हैं। ऐसे लोग ना तो धर्म के तत्व और ना ही मर्म को समझते हैं। राम का नाम कालनेमि भी ले रहा था, उसने हनुमान को राम का भजन करते हुए फंसाया था। ये लोग ना तो धर्म समझते हैं, ना हनुमान और ना ही राम को। नेताओं का सड़कों पर धार्मिक अनुष्ठान करने से तनाव फैलता है। सरकार को समभाव (चाहे वो जिस भी धर्म का हो) तरीके से इन पर कार्रवाई करना चाहिए। सड़क पर ना तो हनुमान चालीसा पढ़ने की इजाजत दी जानी चाहिए और ना ही नमाज।
शुक्ल ये भी कहते हैं- भारत के जितने भी शक्तिपीठ हैं, उनमें से काफी कुछ पहाड़ों पर हैं या जंगल में हैं, उदाहरण के लिए- केदारनाथ, बद्रीनाथ, वैष्णोदेवी। शंकराचार्य ने भी चारों पीठ निर्जन जगहों पर ही बनाए। वजह यही थी कि ध्यान-पूजा में कोई व्यवधान ना हो। धर्म धारण का विषय है, दिखावे का नहीं।