नई दिल्ली. संसद के मॉनसून सत्र में पेगासस जासूसी मामले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी चल रही है। इसी के चलते 3 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता साइकिल से संसद तक पहुंचे। सरकार को घेरने और विपक्षी एकता को मजबूती देने के लिए राहुल गांधी ने कई दलों को नाश्ते पर कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बुलाया था। बैठक में राहुल ने कहा कि विपक्षी पार्टियां आपस में बहस कर सकती हैं। पेट्रोल-डीजल के मसले पर हम सभी को आवाज उठानी चाहिए। हम संसद तक साइकिल मार्च कर सकते हैं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार हमारी बात नहीं सुन रही, हमें सड़क से लेकर संसद तक लड़ाई लड़नी होगी। जैसे कोरोना पर चर्चा हुई है, वैसे ही पेगासस मसले पर चर्चा होनी चाहिए।
इन पार्टियों को न्योता
इन पार्टियों को न्योताराहुल ने मीटिंग में लेफ्ट पार्टियों, राष्ट्रीय जनता दल, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा और नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित 14 दलों के नेताओं को न्योता भेजा था। हालांकि, आप और बसपा मीटिंग में नहीं पहुंचीं।
सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश
एक टीएमसी नेता ने कहा, पेगासस और किसान आंदोलन मामले में विपक्ष की कोशिश हर वह दांव आजमाना है, जिससे सरकार दबाव में आए। अगर प्रमुख विपक्षी दल समानांतर संसद चलाने के प्रस्ताव पर सहमति देते हैं तो इससे न सिर्फ इस मुद्दे को राष्ट्रव्यापी प्रचार मिलेगा, बल्कि सरकार बैकफुट पर होगी।
केंद्र का रुख साफ, पेगासस पर नहीं होगी चर्चा
पेगासस जासूसी मामले में सरकार और विपक्ष के बीच का रास्ता निकलने की कोई उम्मीद नहीं है। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि पेगासस मामले में किसी भी तरह की चर्चा नहीं कराएगी। दूसरी ओर विपक्ष सदन की कार्यवाही चलाने के लिए हर हाल में पेगासस पर चर्चा के साथ इस मामले में सरकार की ओर से जांच की घोषणा करने की शर्त से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।