MUMBAI. महाराष्ट्र की राजनीति में दशहरे का खास महत्व रहता है। इसी दिन बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था। तब से हर साल शिवसेना प्रमुख शिवाजी पार्क में दशहरे के मौके पर संबोधित करते हैं। इस बार कहानी जरा अलग है। शिवसेना सत्ता से बाहर है। शिवसेना से बाहर निकले एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई है। दशहरे के मौके पर उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क तो शिंदे ने BKC मैदान में दशहरा रैली का आयोजन किया। दोनों ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा। बड़ी बात ये कि उद्धव के बड़े भाई जयदेव ठाकरे अपनी पत्नी और बेटे के साथ एकनाथ शिंदे गुट की दशहरा रैली में पहुंचे थे। उद्धव के आरोपों पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि गद्दारी नहीं गदर की।
उद्धव बोले- गद्दारों का क्या होगा?
उद्धव ने कहा कि जो साजिश करे वो ही कटप्पा है। ठाकरे ने कहा कि अभी डॉक्टरों ने मुझे झुकने की अनुमति नहीं दी है लेकिन मैं जनता के सामने नतमस्तक हुए बिना रह नहीं सकता। कहा जा रहा था कि शिवसेना का क्या होगा? यहां की भीड़ देखकर अब सवाल है कि गद्दारों का क्या होगा? सभी एकनिष्ठ जमा हुए हैं। हर साल की तरह इस बार भी रावण जलेगा, लेकिन इस बार रावण अलग है। ये खोखा सुर है, धोखा सुर है। जब तक आप लोग हैं तब तक मैं शिवसेना का पार्टी प्रमुख हूं। ये आप लोग ही तय करेंगे कि मैं पार्टी प्रमुख रहूंगा। आप कहेंगे तो मैं छोड़ दूंगा, लेकिन इन गद्दारों के कहने पर नही छोड़ सकता।
शिवसेना ने बाला साहेब और लोगों के साथ गद्दारी की- शिंदे
शिंदे ने कहा कि पिछले दो महीनों से वे (उद्धव) हमें गद्दार और खोखे बुला रहे हैं। हमने (बीजेपी-शिवसेना ने) 2019 में मिलकर 2019 चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में अप्राकृतिक गठबंधन (शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस) किया। उस समय हमने बाला साहेब की विचारधारा से और मतदाताओं के साथ गद्दारी की। लोगों ने शिवसेना-बीजेपी को वोट दिया था। चुनाव में एक तरफ बालासाहेब की तस्वीर थी और दूसरी तरफ पीएम मोदी की। लोगों ने इस गठबंधन को वोट दिया और लोगों को उम्मीद थी कि यह गठबंधन सरकार बनाएगा।
जयदेव ने एकनाथ को पसंदीदा बताया
उद्धव के बड़े भाई जयदेव ठाकरे ने अपने भाषण में एकनाथ शिंदे की खुलकर तारीफ की। कहा कि वे हमेशा से मेरे पसंदीदा रहे हैं। अब वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और इस नाते अब सम्मान के साथ एकनाथ राव कहना पड़ रहा है। वे गरीबों, किसानों और दलितों के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। वे सबसे मेहनती लोग हैं, उन्हें राबकारी कहा जाना चाहिए। एकनाथ भी उन्हीं लोगों में से हैं, जो अपनों के लिए काम कर रहे हैं। हम बगैर किसी शर्त के एकनाथ शिंदे का समर्थन करते हैं। सभी को एकनाथ के पीछे मजबूती से खड़े होना चाहिए जिससे वे अपने अच्छे काम जारी रख सकें।