Sidhi. नगर पालिका परिषद सीधी का अध्यक्ष पद अनारक्षित महिला है या ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है इसमें एक वायरल पत्र ने असमंजस पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे मप्र शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र जिसमें 2014 के आरक्षण आधार पर चुनाव कराने कहा गया से भ्रम पैदा हुआ है। पत्र में प्रदेश के 12 नगरीय निकायों में पुराने आरक्षण पर चुनाव कराने कहा गया है। बीते माह राज्य शासन द्वारा पूर्ण की गई नगरीय निकाय अध्यक्ष पद के आरक्षण में नगर पालिका परिषद सीधी अध्यक्ष पद अनारक्षित महिला प्रवर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। जिसके बाद दावेदार इसी आधार पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दिये थे। वार्डो में कांग्रेस, भाजपा जिताऊ उम्मीदवार खड़ा करने माथा पच्ची कर रहे थे कि इसी बीच राज्य शासन के वायरल पत्र ने असमंजस खड़ा कर दिया । दरअसल,पत्र के हिसाब से अगर चुनाव होते हैं तो तब की और अब की स्तिथि काफी भिन्न होगी। वर्ष 2014 में अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराया गया था किंतु अब पार्षदों से होगा। इस दौरान किसी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो स्थगित होने की भी नौबत आ सकती है।जो भी हो अभी स्थित स्पस्ट नहीं हुई पर नेता,जनप्रतिनिधि ओबीसी महिला का ही ढिंढोरा पीट रहे हैं।
2014 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित थी
वर्ष 2014 में हुए आरक्षण में नगर पालिका सीधी अध्यक्ष का पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित था।यदि 2014 के आरक्षण को लागू किया गया तो अध्यक्ष पद ओबीसी महिला कोटे में चली जायेगी,जबकि बीते माह हुए आरक्षण में अनारक्षित महिला घोषित की गई थी। अब जबकि पार्षदों के नामांकन दाखिल होने लगे हैं तब ऐसे में राजनीतिक दलों की चुनावी गड़ित गड़बड़ा सकती है।
दावेदारों की बिगड़ी गणित
कांग्रेस सरकार में जब नगर पालिका चुनाव की चर्चा थी तब ओबीसी के ही खाते में अध्यक्षी जा रही थी।सरकार बदली तो नये सिरे से चर्चा होने लगी ।अंततः जब बीजेपी सरकार ने चुनाव की घोषणा की और नए शिरे से आरक्षण हुआ तो सीधी नगर पालिका अनारक्षित महिला हो गयी।फलतः दावेदारों ने नए हिसाब से तैयारी चालू कर दी पर बीच मे राज्य शासन के पत्र ने फिर गणित गड़बड़ा दी।नये आरक्षण से ठन्डे पड़े ओबीसी वर्ग के दावेदारों को अगर नियम बदले तो उस हिसाब से गोटी फिट करनी पड़ेगी।