संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम चुनाव में इस बार सबसे कम वोट से जीत हासिल करने वाले मुन्नालाल यादव निगम के सभापति होंगे। वो वार्ड 27 से सिर्फ 430 वोटों से चुनाव जीते थे। वो 1994 से लगातार पार्षद चुने जा रहे हैं और दो बार एमआईसी सदस्य भी रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कट्टर समर्थकों में से एक हैं और विधानसभा दो से ही आते हैं। इसे निगम में बढ़ती विजयवर्गीय गुट की ताकत के रूप में देखा जा रहा है।
सभापति के लिए कांग्रेस ने नहीं उतारा उम्मीदवार
कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष के लिए चिंटू चौकसे ने जिम्मेदारी संभाली। हालांकि कांग्रेस ने सभापति पद के लिए बीजेपी को वॉकओवर दिया और अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि निगम में कोई पक्ष और विपक्ष नहीं होगा, सभी सहयोगी पक्ष रहेंगे और इंदौर के विकास के लिए काम करेंगे। चौकसे ने भी कहा शहर के विकास में हम काम करेंगे, जहां गलत होगा वहां जनता की आवाज बनेंगे।
निगम में फिर बढ़ रही विजयवर्गीय की ताकत
इसके पहले भी निगम चुनाव के दौरान विजयवर्गीय खासे सक्रिय रहे थे, यहां तक कि भोपाल से सीएम की पसंद के चलते नाम डॉ. निशांत खरे को लेकर भी उन्होंने आपत्ति ली थी, जिसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की ओर से पुष्यमित्र भार्गव का नाम सामने आया और आखिर में वो महापौर बने। इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के जोरदार प्रचार को देखते हुए खुद विजयवर्गीय सड़कों पर उतरे थे। ये बात खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में कबूल की थी कि वो शुक्ला के प्रचार को देखकर मैदान में उतरे थे। वहीं माना जा रहा है कि बात यहीं तक नहीं रुकेगी, अब एमआईसी चुनने में भी उनका हस्तक्षेप रहेगा, साथ ही अपने सदस्य को राजस्व, जनकार्य जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी भी दिलवाई जाएगी।
शपथ में सीएम के नहीं आने से भी होती रही चर्चा
जब पुष्यमित्र भार्गव सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलकर आए थे, तब तय था कि 5 अगस्त को सीएम इंदौर आकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे लेकिन ऐन वक्त पर वो नहीं आए। वहीं भोपाल में वो कार्यक्रम में शामिल हुए। राजनीतिक गलियारों में सीएम के नहीं आने की लगातार चर्चा हो रही है और इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि सीएम शिवराज पुष्यमित्र भार्गव के नामांकन रैली और बाद में रोड शो में भी आए थे लेकिन इसके बाद शपथ समारोह में नहीं आए।