संजय गुप्ता, INDORE. बीता पूरा एक सप्ताह इंदौर की राजनीति के लिए खास घटनाओं भरा रहा। इन सात दिन में पहले 24 अगस्त को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ पारिवारिक मुलाकात के लिए गए। पारिवारिक इसलिए क्योंकि साथ में बेटे महाआर्यमन भी थे। फिर इसके बाद गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा तीन घंटे इंदौर आए, उन्होंने थोड़ी देर नेताओं के साथ रेसीडेंसी में मुलाकात की और फिर निकल गए।
27 अगस्त को इंदौर पहुंचे सीएम शिवराज
27 अगस्त को इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ये भी एक सरकारी आयोजन ही रहा। सीएम मेल-मुलाकातों से दूर ही रहे। यहां तक कि इसके एक दिन पहले बीजेपी के नेता बड़े भैया का निधन हुआ और सीएम वहां नहीं पहुंचे। इसके बाद ब्राह्मण समाज में नाराजगी देखी गई। फिर 28 अगस्त को इंदौर आते हैं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, वे दिन-भर इंदौर में रहे, विजयवर्गीय के साथ विशेष भेंट रही। महापौर पुष्यमित्र भार्गव की इलेक्ट्रिक कहें या राजनीतिक कार, सभी (विजयवर्गीय, शर्मा, भार्गव और गौरव रणदिवे) एक साथ बैठे।
दो दौरे सबसे खास
इन सात दिन में हुए दौरों में सबसे खास दौरा सिंधिया और शर्मा का ही रहा, इन्होंने विजयवर्गीय के साथ अलग से मुलाकातें कीं। वहीं सीएम और गृह मंत्री के दौरे सरकारी खानापूर्ति वाले रहे। हालांकि राजनीतिक जानकार कहते हैं कि सीएम इंदौर में लगातार यहां आकर पूरे राजनीतिक समीकरण को लेकर अपनी नजर रखे हुए हैं और अपने लोगों से यहां की उठापटक की जानकारी ले रहे हैं। वहीं माना जा रहा है कि विजयवर्गीय के साथ अपनी मुलाकात को लेकर सीएम अलग मायने नहीं निकालें, इसके लिए सिंधिया अलग से फिर उनसे सौजन्य मुलाकात करने पहुंचे।
बन रहे अलग-अलग गुट
इन दौर-मुलाकातों को समझें तो इसमें सबसे अहम है मालवा प्रांत और दूसरा चंबल-ग्वालियर प्रांत के राजनीतिक हालात। ग्वालियर चुनाव में महापौर की हार से सिंधिया को बैकफुट पर आना पड़ा, वे अपने समर्थकों को टिकट भी नहीं दिला पाए। यहां उन्हें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से जूझना पड़ रहा है। साथ ही सीएम और तोमर के बीच संबंध अधिक मधुर हैं। मालवा प्रांत चुनाव के नजरिए से अहम है क्योंकि यहां विधानसभा की सबसे ज्यादा सीटें हैं और विजयवर्गीय का इस क्षेत्र में खासा दखल है। ऐसे में सिंधिया विजयवर्गीय के रूप में मजबूत साथी देख रहे हैं। उधर वीडी शर्मा की अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं हैं और खुद विजयवर्गीय की भी। ऐसे में इन तीनों की राजनीतिक केमिस्ट्री आपस में अधिक फिट बैठ रही है।
नरोत्तम अकेले पड़ते दिख रहे
इस पूरे मामले में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। सीएम और तोमर साथ हो रहे तो इधर सिंधिया, वीडी शर्मा और विजयवर्गीय। इसलिए राजनीतिक रूप से वे खुद को मजबूत करने के लिए लगातार दिल्ली जा रहे हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से करीबी होने का राजनितिक लाभ लेने में जुटे हुए हैं। वहां से कुछ फैसला हुआ तो वो एकदम से सबसे ऊपर निकलेंगे। ये वे भी जानते हैं। हाल ही में जब शाह भोपाल आए तो उन्होंने शिवराज और नरोत्तम की जोड़ी की तारीफ की। इससे उन्हें बूस्टअप मिला है। आगे इंदौर के दौरे प्रदेश की राजनीति में क्या रंग दिखाते हैं ये देखने वाली बात होगी।