दिल्ली. महाराष्ट्र (Maharashtra) में कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) के साथ सत्ता में मौजूद शिवसेना (ShivSena) अब यूपीए (UPA) में शामिल हो सकती है। इसी को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) 7 दिसंबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकत करने वाले हैं। अटकलें है कि पांच राज्यों में होने वाले अगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना यूपीए में आ सकती है। शिवसेना नेता संजय राउत, राहुल गांधी से मिलने के बाद बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात करेंगे। यह बैठक शिवसेना द्वारा बीजेपी के खिलाफ किसी भी विपक्षी मोर्चे में कांग्रेस के महत्व पर जोर देने के बाद हो रही है।
बीजेपी को एनडीए की जरूरत नहीं, विपक्ष को यूपीए की आवश्यकता
पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संजय राउत, मंत्री आदित्य ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) से मुंबई में मुलाकात की थी। पवार से मुलाकात के बाद बनर्जी ने कहा था कि अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) नहीं है। हालांकि, शिवसेना ने कहा था कि यूपीए के समानांतर मोर्चा बनाना भाजपा को मजबूत करने जैसा है, और सबसे खतरनाक बात यह है कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उनकी विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले भी सोचते हैं कि कांग्रेस का सफाया हो जाना चाहिए।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा था कि दूसरा गठबंधन खड़ा करने से केवल भाजपा मजबूत होगी। आगे लिखा गया कि नरेंद्र मोदी की बीजेपी को आज एनडीए की जरूरत नहीं है लेकिन अभी भी विपक्ष के लिए यूपीए जरूरी है। साथ ही सामना में लिखे गए लेख में कहा गया कि यूपीए के नेतृत्व को लेकर ही पेंच फंसा हुआ है। जिनको भी कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए स्वीकार नहीं है, उन्हें खुलकर अपनी बात रखनी चाहिए।
ममता की मुहीम को झटका
शिवसेना के इस कदम से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की उस मुहीम को झटका लग सकता है, जिसमें वो कांग्रेस छोड़ बाकि दलों को साथ लेकर एक वैकल्पिक मोर्चा बनाने की कोशिशों में जुटी हैं, उनकी मुहीम को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से भी समर्थन मिल चुका है, जो महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार में शामिल हैं। पवार से मिलने के बाद ही ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि अब यूपीए नहीं है।
यूपीए को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कई दलों के साथ मिलकर बनाया था, इसी गठबंधन के तहत मनमोहन सिंह दो बार प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि 2014 में मिली हार के बाद इसमें शामिल दल धीरे-धीरे छिटकने लगे और हाल ही में ममता ने घोषणा कर दी कि अब यूपीए नहीं है। शिवसेना को यूपीए में शामिल करा कर शायद राहुल ये साफ करा देना चाहते हैं, कि यूपीए अभी भी है और विपक्ष का नेतृत्व करने में कांग्रेस कमजोर नहीं हुई है।
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