हरीश दिवेकर, BHOPAL. फायर ब्रांड नेत्री, मुखर वक्ता इन शब्दों से नवाजी गईं उमा भारती ने पहले भी कभी कुछ कहने से गुरेज नहीं किया। लेकिन ये भी अक्सर हुआ है कि उमा भारती ने जब-जब कुछ कहा है उनके शब्द कुल्हाड़ी बनकर उनके पैरों पर बरसे हैं और राजनीतिक तरक्की का रास्ता बंद कर चुके हैं। लेकिन अब उमा भारती के पास खोने के लिए कुछ नहीं हैं। इसलिए अब बोलेंगी तो शायद कई बड़े राज खुलेंगे। हो सकता है साथ में सिंहासन भी डोलेंगे।
ट्विटर पर शेयर करेंगी जीवन के खास प्रसंग
अब तक हाथ में पत्थर लेकर तो कभी कुर्सी लगाकर धरना देने की धमकी के सहारे उमा भारती एमपी में गरजती रहीं। शराबबंदी के नाम पर उनके निशाने पर अक्सर सीएम शिवराज सिंह चौहान रहे। पार्टी स्तर पर अपना सब कुछ खो चुकी उमा भारती के पास शायद अपनी सक्रियता दर्ज कराने का यही तरीका बचा था। लेकिन महिला हितैषी बनने की ये सारी नौटंकी काम नहीं आई। उमा भारती की दाल कहीं गलती नजर नहीं आई। तो अब उमा भारती ने दूसरा रास्ता चुना है। अब वो ट्विटर के जरिए अपने जीवन के कुछ खास प्रसंग सबके साथ शेयर करने वाली हैं। शायद इस इत्मीनान के लिए कि वो जो लिखेंगी उसका कुछ और मतलब नहीं निकलेगा। क्योंकि अब तक उनकी बातों के जो मतलब निकाले गए उसका ठीकरा वो अक्सर मीडिया पर फोड़ती आई हैं। पर याद तो उन्हें भी रखना ही होगा कि इस बार जो लिखा उसकी सफाई भी पेश कर पाना मुश्किल होगा।
उमा ने ट्विटर पर मारी धमाकेदार एंट्री
उमा भारती ने ट्विटर पर बिलकुल उमा भारती स्टाइल में ही एंट्री मारी है। एकदम धमाकेदार। वैसे ही जैसे 2003 में मध्यप्रदेश में उन्होंने एंट्री ली थी और उसके बाद दिग्विजय सिंह के जमे जमाए सिंहासन को उखाड़ फेंका था। इस बार एक साथ 41 ट्वीट्स करके उमा भारती ने अपने उसी तूफानी अंदाज की याद दिलाने की कोशिश की है। हालांकि उमा भारती वाला फायर उन ट्वीट्स में खास नजर नहीं आता। फायर तो दूर ये ट्वीट्स उनकी सफाई ज्यादा नजर आते हैं। जिसमें वो अपने पुराने बयानों की सफाई ज्यादा देते नजर आ रही हैं।
पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए ट्विटर का सहारा
ऐसी कोशिश भी नजर आती है कि पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने के लिए उमा भारती को अब ट्विटर का सहारा लेना पड़ रहा है। इन ट्वीट्स में उमा भारती ने गंगा स्वच्छता और शराबबंदी पर सफाई पेश की है। दो ट्वीट में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भी अपनी निष्ठा जताने की कोशिश की है। लेकिन इन सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं आखिरी दो ट्वीट। जिसमें उमा भारती ने लिखा है कि अपने जीवन के महत्वपूर्व प्रसंग वो साझा करेंगी। इसके बाद अपने अंदाज से विपरीत जाकर ये रिक्वेस्ट भी की है कि उन्हें पढ़िएगा जरूर। इन दोनों ट्वीट्स को पढ़कर ये समझा जा सकता है कि पार्टी के लिए उमा भारती ने अब तक जो भी किया उसे समझाने का और याद दिलाने का उन्हें इससे बेहतर कोई मौका नहीं मिला। अब सवाल ये है कि क्या उमा भारती कुछ ऐसे खुलासे भी करेंगी जो मध्यप्रदेश के सत्ताधारी नेता खासतौर शिवराज सिंह चौहान से जुड़े हों। या फिर पार्टी में जो दरवाजे उनकी आवाज के लिए बंद कर दिए गए हैं वहां तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उमा भारती के पास सिवाय ट्विटर के और कोई रास्ता शेष नहीं बचा है।
पल में तोला, पल में माशा, उमा की पुरानी आदत
पल में तोला पल में माशा, उमा भारती ने अक्सर अपनी बयानबाजियों से इसी तरह की मिसालें पेश की हैं। एक बयान देना फिर पलट जाना। और कभी-कभी सिर्फ एक लाइन पर लंबी-चौड़ी सफाई पेश करना। ये उमा भारती की पुरानी आदत रही है। ये आदत आज की नहीं तब से ही है जब उनपर भरोसा कर पार्टी ने उन्हें मध्यप्रदेश की सत्ता सौंप दी थी। इसके बाद हुबली कांड के चलते उमा भारती को पद छोड़ना पड़ा। उसके बाद से सूबे का सिंहासन उन्हें शायद बार-बार याद आता है या किसी पावरफुल पद पर न होने की टीस बार-बार उठती है। ये डर भी होगा कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की तरह कहीं वो हाशिए के बाहर न पटक दी जाएं। हाशिए से दूर सरकने की अब यही कोशिश उमा भारती एक बार फिर कर रही हैं। पर क्या अपनी खुद की लिखी बातों से वो पलट पाएंगी।
ट्विटर पर नहीं चलेगा कहकर पलटना
पहले कुछ कहना फिर पलट जाना ये अंदाज उमा भारती अब ट्विटर पर काम नहीं आएगा। मुख्यमंत्री पद छूटने के बाद से ऐसे कितने ही बयान हैं जो उमा भारती ने पूरे होशो हवास में दिए लेकिन उनसे पलटते उन्हें देर नहीं लगी। अपने ताजा ट्वीट्स के जरिए पीएम मोदी के प्रति निष्ठा जताने वाली उमा भारती उन्हें खराब वक्ता तक बता चुकी हैं। लेकिन अपनी बात से पलटते हुए और इसे मीडिया का षडयंत्र बताने में उमा भारती को जरा भी देर नहीं लगी थी। उमा भारती ने कहा 'मेरी बातों को काट-छांटकर दिखाया जा रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि बीजेपी नेताओं के आपसी मतभेद दिखाने के लिए एक षड्यंत्र चल रहा है और इसका शिकार मीडिया भी हो रहा है। दरअसल उमा भारती ने कहा था मोदी अच्छे वक्ता नहीं हैं। मोदी की सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ उनका भाषण सुनने नहीं, बल्कि समर्थन जताने के लिए जुटती है। उमा भारती के इस बयान पर सिर्फ इसी बयान पर क्यों उनके ऐसे कई बयान हैं जिस पर माइलेज लेने में कांग्रेस भी नहीं चूकती। मोदी को खराब वक्ता बताने वाले बयान पर कांग्रेस ये कहने से नहीं चूकी कि उमा भारती सही कह रही हैं मोदी के भाषणों में कोई दम नहीं है।
शराबबंदी के मामले पर भी यही हुआ
उमा भारती शराब दुकानों पर पत्थर बरसाने के साथ-साथ शिवराज सिंह चौहान पर भी आरोपों की बौछार करती रहीं। शिवराज सिंह पर उपेक्षा का आरोप लगाया और शराबबंदी के लिए जमकर आंदोलन करने का ऐलान किया। इसके अगले ही दिन उमा भारती के तेवर बदले हुए थे। जिस शिवराज पर वो आरोप पर आरोप जड़ रही थीं वही उनके प्रिय छोटे भाई बन चुके थे।
खुद को दो प्रमुख पदों से हटाने पर दी सफाई
हाल ही में मीडिया के सामने आकर उन्होंने खुद को दो प्रमुख पदों से हटाने पर सफाई दी है। उमा के मुताबिक गंगा पावर प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने सरकार के खिलाफ जाकर सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दिया था। जिसके बाद उनका विभाग बदल दिया गया। गंगा की पैदल यात्रा करनी चाही तो पार्टी से मंजूरी नहीं मिली। इसलिए राजनीति से अलग होकर यात्रा की। इसके बाद हरियाणा सरकार के मामले में भी अपनी ही पार्टी के फैसले कि खिलाफत की। जिसके बाद उन्हें उपाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। ये खबर अखबरों में छपने के अगले ही दिन से उमा भारती ने ट्विटर का सहारा ले लिया। जिसमें के हर शब्द के जरिए ये बताने की कोशिश की कि पार्टी के प्रति निष्ठा उनमें कूट-कूटकर भरी है। उमा भारती के स्वभाव की यही अनप्रिडेक्टिबलिटी उमा भारती के राजनीति रफ्तार पल ब्रेक लगाती रही है। अब उमा भारती ट्विटर पर क्या बवाल मचाएंगी इसका अंदाजा गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन के बीच में हो ही जाएगा।
किताब लिखने की जगह उमा भारती ने किया ट्वीट करने का फैसला
अपने जीवन पर किताब लिखने की जगह उमा भारती ने ट्वीट करने का फैसला लिया है। किताब में लिखा पढ़ना है या नहीं ये लोगों की मर्जी पर होता है। पर ट्विटर की चिड़िया तुरंत आलाकमान के दरवाजे पर दस्तक दे सकती है। उमा भारती फिलहाल ये जाहिर कर सकती हैं कि उनके बयानों को गलत तरह से पेश करने वाली मीडिया से तंग आकर वो खुद सीधे अपनी बात लिखेंगी। लेकिन उमाजी अगर यहां भी गलती हो गई तो ये याद रखिए इसके बाद ठीकरा फोड़ने के लिए कोई सिर भी नहीं मिलेगा। आलाकमान तो खैर उतना ही पढ़ेंगे और सुनेंगे जितना उन्हें जरूरी लगता है। हम बस यही दुआ करेंगे कि हाशिए के नजदीक पहुंच रहीं उमा भारती जैसी नेत्री को अपनी योग्यता के अनुसार जगह जरूर मिलनी चाहिए। इसी क्रम में उनका बीजेपी से दूर जाना अपनी नई पार्टी बनाना और फिर बीजेपी में वापस आना भी शामिल है। जब उनका ये गुमान टूटते देर नहीं लगी थी कि उमा भारती एक अलग पार्टी बनाकर भी फायर ब्रांड नेत्री रह सकती हैं। उस वक्त वो शायद ये भूल गई थीं कि फायर तो उनमें खूब है लेकिन हर घर को जलाया नहीं जा सकता।