भोपाल. गणतंत्र में जनता ही सरकारों को चुनती है। इस वक्त सरकार बनाने के लिए पांच राज्यों में सियासी मशक्कत चल रही है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन पांच राज्यों के चुनावी परिदृश्य से प्रशांत किशोर (Prashant kishore) का चेहरा गायब है। प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार का है। पिछले साल बंगाल चुनाव में ममता दीदी का कैंपेन प्रशांत किशोर की टीम ने संभाला था। लिहाजा ममता की बंगाल में प्रचंड जीत हुई। बिहार से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत किशोर अब तक नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी और तमिलनाड़ु में डीएमके नेता एमके स्टालिन की कैंपेन संभाल चुके हैं। लेकिन इसबार मध्यप्रदेश को लेकर पीके का क्या प्लान है? इस स्टोरी से समझते हैं।
जहां विपक्ष कमजोर, वहां पीके सक्रिय: चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप, बयानबाजी का दौर चलता है। ये तमाम हथकंडे चुनाव में नजर आते हैं, और इसके पीछे रणनीतिकारों का दिमाग होता है। पिछले साल सितंबर में खबर आई थी कि रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने स्टडी लीव ली हुई है। वो इस साल के मार्च तक किसी तरह की गतिविधियां नहीं करेंगे। लेकिन एक दिन पहले यानी 25 जनवरी को एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी भले ही 5 राज्यों के चुनाव जीत जाएं लेकिन 2024 के चुनाव में हार भी सकती है। किशोर ने कहा कि अगर बीजेपी को हराना है तो आपको सामाजिक दायरा बढ़ाना होगा। विपक्ष को खुद को बड़ा करना होगा। ओबीसी वोट या फिर दलित या फॉरवर्ड क्लास इन सभी को एकजुट करने की जरूरत है। बीजेपी जब सबसे ज्यादा लोकप्रिय थी उस वक्त बिहार, बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल की बात करें तो यहां तकरीबन 200 लोकसभा सीटें है। उस वक्त भी यहां बीजेपी 50 सीटें नहीं जीत पाई थी। बाकी 350 सीटों पर बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। प्रशांत किशोर (Prashant kishore mp election plan) चुनाव में वैसे सक्रिय नहीं है जैसे अक्सर होते हैं, लेकिन वो सोशल मीडिया के जरिए कुछ कर रहे हैं खासतौर पर उन राज्यों में जहां विपक्ष कमजोर है।
MP में तीसरे दल की संभावनाएं: मप्र के लिहाज से बात करें तो मप्र में भी विपक्ष कमजोर है, और यहां तीसरे दल की संभावना बनी हुई है। प्रशांत किशोर यही कर रहे हैं। वह तीसरे दल की संभावनाएं तलाश रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रजनीश अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में तीसरी दल (MP Third front) की संभावनाएं हैं। अगर कोई दल अपने आप को स्थापित करता भी है तो वह सिर्फ कांग्रेस (Congress) की बी टीम बनकर रह जाता है। वहीं, पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा (pc sharma) ने मध्यप्रदेश में तीसरी दल की संभावनाओं को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा कि BJP को सिर्फ कांग्रेस ही टक्कर दे सकती है। वहीं, बीजेपी विपक्ष के तौर पर कांग्रेस को एमपी में कमजोर मानती है, और जिस तरह से कांग्रेस में टूट फूट हुई है उससे कांग्रेस और भी कमजोर हुई है। दूसरी तरफ इसी को भांपते हुए पिछले दिनों आदिवासी, ओबीसी और एसटी वर्ग (Tribal, obc and st voter) ने एकजुट होने की कोशिश की थी। यानी कहीं ना कहीं मप्र में तीसरे दल की संभावना बनी हुई है।
फेलोशिप प्रोग्राम से जोड़ रहे: प्रशांत किशोर की कंपनी आई पेक यूथ इन पॉलिटिक्स (youth in politics) के नाम से सोशल मीडिया पर एक कैंपेन (Prashant kishore mp campaign) चला रही है। इसे नाम दिया गया है फेलोशिप प्रोग्राम (fellowship program)। इस प्रोग्राम के जरिए प्रशांत किशोर युवाओं को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा पेड प्रमोशन किया जा रहा है। मप्र में भी इस प्रोग्राम के तहत पेड कैंपेन चलाया गया। जिसमें 18 से 24 साल के युवाओं पर फोकस किया गया। इसके लिए प्रशांत किशोर ने 50 हजार रुपए खर्च किए हैं। फेसबुक पेज के एनालिटिक्स बताते हैं कि रिस्पॉन्स अच्छा है। युवाओं को इससे जुड़ने के लिए एक फॉर्म दिया जा रहा है। जिसमें नाम से लेकर विधानसभा सीट तक की डिटेल भरना है, यानी प्रशांत किशोर इसके जरिए युवाओं की ऐसी टीम तैयार करने में जुटे हैं जो आने वाले चुनावों में उनके लिए काम करें। साथ ही इसके जरिए तीसरे दल के विकल्प की नब्ज भी टटोलने की ये कवायद है। मप्र में तीसरे दल की संभावना लंबे समय से बनी हुई है। इसके लिए कोशिशें भी होती रही है लेकिन जब चुनाव आते हैं तो तीसरे दल कहीं ना कहीं टूट जाते हैं।