SATNA. पंचायत चुनाव के पहले चरण के सबसे बड़े चुनाव (जिला पंचायत) के वार्डों की जो तस्वीर सामने आई है, उसमें जनता ने परिवार वाद को पूरी तरह से नकार दिया है। यहां तक की एक ही परिवार से लड़ रहे सभी लोगों को पराजय का सामना करना पड़ा है। चाहे वह पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी का परिवार रहा हो, पूर्व विधायक उषा चौधरी या फिर भाजपा की वरिष्ठ नेत्री रानी बागरी का। हालांकि अभी तक चुनाव परिणामों की अधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है,(15 जुलाई को घोषित होंगे चुनाव परिणाम) लेकिन मतों के सारणीकरण और प्रत्याशियों के दावों के बाद अभी तक जो तस्वीर उभर कर सामने आई है उसमें पूर्व मंत्री स्व. जुगुल किशोर बागरी के बड़े बेटे व छोटी बहू दोनों को पराजय का सामना करना पड़ा है। कभी जिला पंचायत में बागरी परिवार का दबदबा हुआ करता था लेकिन इस बार एक ही परिवार के लोगों को दो-दो वार्डों से पराजय का सामना करना पड़ा है। जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक एक से पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी के बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को हार का सामना करना पड़ा है। पिछले कार्यकाल में पुष्पराज की पत्नी प्रभा बागरी इसी वार्ड से जिला पंचायत सदस्य थीं, जबकि पुष्पराज 2009 में जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुके हैं। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पुष्पराज की पराजय ने उनके राजनीतिक करियर को संकट में डाल दिया, पार्टी लाइन में पहले से ही हाशिए पर चल रहे पुष्पराज को अब क्षेत्र की जनता ने भी नकार दिया है। इसी वार्ड से बागरी परिवार से दो और को पराजय का सामना करना पड़ा है। वार्ड एक से ही भाजपा नेत्री रानी बागरी के पति नत्थूलाल बागरी तथा कांग्रेस नेता मनोज बागरी भी मैदान में थे,लेकिन इन दोनों को भी पराजय का सामना करना पड़ा है।
जिला पंचायत चुनाव में पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी की छोटी बहू वंदना बागरी को भी पराजय का सामना करना पड़ा है। वंदना पूर्व मंत्री स्व. बागरी के छोटे बेटे देवराज बागरी की पत्नी हैं। वे जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक दो से चुनाव मैदान में थीं। इसी वार्ड से भाजपा नेत्री रानी बागरी की बेटी प्रियंका बागरी भी चुनाव मैदान में थीं, दुर्भाग्य से प्रियंका को भी चुनाव में सफलता नहीं मिली। भाजपा नेत्री रानी बागरी के लिए प्रियंका की हार दोहरा झटका है। रानी बागरी के पति नत्थूलाल बागरी जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक एक से चुनाव हार गए हैं, तो दो से उनकी बेटी प्रियंका को पराजय मिली है।
पूर्व विधायक का परिवार भी खाली हाथ
जिला पंचायत चुनाव में पूर्व मंत्री के परिवार का दबदबा तो समाप्त हो ही गया है। रैगांव विधानसभा क्षेत्र की पूर्व विधायक उषा चौधरी का हाथ भी जिला पंचायत में खाली रह गया है। जिला पंचायत सदस्य बनने के लिए पूर्व विधायक श्रीमती चौधरी के बेटी और बेटा क्रमश: वार्ड क्र. 2 और 3 से चुनावी मैदान में थे, लेकिन दोनों को ही पराजय का सामना करना पड़ा है। बेटे और बेटी की पराजय से पूर्व विधायक ऊषा चौधरी को बड़ा झटका लगा है। बेटे और बेटी के जरिए पूर्व विधायक क्षेत्र में अपनी राजनैतिक पकड़ एक बार फिर मजबूत करना चाह रही थीं,लेकिन उन्हे निराशा ही हाथ लगी।
प्रेम सिंह के दामाद जीते, कांग्रेसी दिग्गजों का सपना टूटा
जिला पंचायत के वार्ड क्र. 23 से चुनावी मैदान में उतरे चित्रकूट विधानसभा के पूर्व विधायक स्व. प्रेम सिंह के दामाद संजय सिंह कछवाह को जिला पंचायत चुनाव में विजय मिली है। जिला पंचायत का चुनाव हालांकि बिना सिम्बल के हुआ था लेकिन भाजपा और कांग्रेस के चिन्हित नेता मैदान में थे, उनमें कई नेताओं को पराजय का सामना करना पड़ा है। मतदान के बाद हुए मतों के सारिणीकरण में जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस के जिन बड़े नेताओं को पराजय का सामना करना पड़ा है उनमें महिला कांग्रेस कमेटी की ग्रामीण अध्यक्ष गीता सिंह पगार एवं जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अतुल सिंह परिहार शामिल हैं। गीता सिंह पगार वार्ड क्र. 26 से तो अतुल सिंह परिहार वार्ड क्र. 8 से चुनावी मैदान में थे।
भाजपा को भी झटका
जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को भी बड़ा झटका लगा है। पार्टी की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रबल दावेदार माने जा रहे संजय आरख को भी जिला पंचायत चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा है। संजय पार्टी के अजजा मोर्चे के जिला अध्यक्ष हैं। इसी तरह पार्टी के जिला मंत्री लव सिंह गोंड़ की पत्नी भी वार्ड क्र. 24 से चुनाव हार गई हैं।
3 जनपद : जिपं के 9 वार्ड
पहले चरण में जिन तीन जनपदों (मझगवां, सोहावल और उचेहरा) में चुनाव हुए हैं उनमें जिला पंचायत के 26 में से 9 वार्ड आते हैं। इनमें से 4 वार्ड अजा वर्ग के लिए आरक्षित थे जिसमें 2 महिला और 2 पुरुष, दो वार्ड अजजा वर्ग के लिए इनमें से 1 महिला और 1 पुरुष जबकि तीन वार्ड अनारक्षित थे जिनमे से 2 पुरुष और 1 महिला के लिए।