उत्तराखंड. 10 मार्च को आए चुनाव परिणामों के बाद उत्तराखंड में बीजेपी बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में तो कामयाब रही, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी ही सीट पर जनता का विश्वास नहीं जीत पाए। चुनाव परिणाम आने के 11 वें दिन पार्टी ने मुख्यमंत्री पद को लेकर आज सस्पेंस खत्म किया। पार्टी हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी पर एक बार फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें उत्तराखंड की कमान सौंपने का फैसला लिया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी का नाम सबसे आगे रहा। उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। धामी उत्तराखंड के 12 वें मुख्यमंत्री होंगे। प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में धामी को निराशा हाथ लगी थी। उन्हें खटीमा विधानसभा सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने 6 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी।
धामी को लेकर बोले रक्षामंत्री: राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान करते हुए कहा, उत्तराखंड में 6 माह के कार्यकाल में सीएम के रूप में धामी ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी है। अब राज्य का दोबारा मुख्यमंत्री बनकर वह बहुआयामी विकास करेंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चल रहे सस्पेंस के बीच रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की थी। इस बैठक में नई सरकार के गठन पर मंथन हुआ था।
सागर से की है स्कूलिंग: धामी का मप्र के सागर से गहरा नाता रहा है। केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई के अलावा वह आरएसएस से जुड़े रहे। धामी के पिता आर्मी में थे, उनकी पोस्टिंग सागर में रही। इसी दौरान धामी ने अपनी स्कूलिंग पूरी की। यहां पढ़ाई के साथ-साथ छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे। आरएसएस से जुड़े होने के कारण पुष्कर का पूर्व मंत्री स्व. हरनाम सिंह राठौर के घर अक्सर आना-जाना लगा रहता था। जिसके बाद वे पूर्व विधायक राठौर के साथ भोपाल में पार्टी के कई कार्यक्रमों में शामिल हुए।
उत्तराखंड की सत्ता का इतिहास: उत्तराखंड के 20 साल के इस सफर में प्रदेश को 11 मुख्यमंत्री मिले हैं। भाजपा ने 7 मुख्यमंत्री दिए हैं, तो कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश को 3 मुख्यमंत्री दिए हैं। हालांकि, बीजेपी शासन के पांच साल के कार्यकाल में पहली बार उत्तराखंड में तीन-तीन मुख्यमंत्री मिले हैं। सबसे खास बात यह है कि सभी मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ कांग्रेस के पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ही अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे।