भोपाल. रूझानों में बीजेपी जबर्दस्त जीत की तरफ आगे बढ़ रही है। अगर यही रुझान रिजल्ट में बदले तो बीजेपी के लिए ये बड़ी जीत होगी। हालांकि पिछले साल की तुलना में बीजेपी की सीटें कम हो सकती है। यूपी में बीजेपी के अच्छे परफॉर्मेंस के पीछे कई वजहे हैं। बीजेपी के साथ एक प्लस पॉइंट था कि जनता के बीच योगी आदित्यनाथ की छवि को लेकर रोष नहीं था। लोग महंगाई, लखीमपुरी खीरी, किसान आंदोलन जैसे मुद्दों पर नाराज थे मगर योगी आदित्यनाथ की छवि पर कोई खास गुस्सा नहीं था। इस चुनाव में कई जातीय परंपरा टूटी है। आइए समझते हैं योगी के दोबारा सत्ता में काबिज होने के कारण?
जातीय परंपराएं टूटी: यूपी को लेकर कई राजनीतिक एक्सपर्ट का आकलन यह है कि यूपी में हर वोट, मतदाता की जाति से निर्धारित होता है। हर जीत या हार, पार्टी और प्रत्याशी के जातिगत समीकरण का परिणाम होती है। कई बार कहा जाता है कि 90 फीसदी से अधिक ब्राह्मण बीजेपी को वोट देते हैं। यादव समाजवादी पार्टी को और दलित बीएसपी को वोट देते हैं। जिसमें माना जाता है कि यूपी की सबसे बड़ी दलित जाति (जाटव) के 95 फीसदी लोग बीएसपी को वोट देते हैं। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी की जीत साबित करती है कि जाति कमजोर हुई है। क्योंकि अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले यादव, मुस्लिम, जाट, जाटव को बीजेपी के खिलाफ बताया जा रहा था। फिर भी बीजेपी की जबर्दस्त जीत साबित करती है कि यूपी में जातीय समीकरण कमजोर हुए हैं।
महिलाओं की संवेदानाएं: बीजेपी के प्रति महिलाओं की संवेदानाएं बढ़ी हैं। महिलाओं ने चुनाव कवरेज के दौरान खुलकर कहा कि इस सरकार में महिलाओं को डर नहीं लगा। गांव के दबंग लोग अब हमको सताने से डरते हैं। इस सरकार ने गुंडों पर लगाम लगाई है। ग्रामीण महिलाओं ने यहां तक कहा कि 2017 से पहले एक खास जाति के लोग हमको डराते थे, धमकाते थे और हमारी जमीनों पर कब्जा तक कर लेते थे। जब हम उनकी शिकायत करने के लिए पुलिस थाने जाते थे तो वहां पर भी हमारी सुनवाई नहीं होती थी। योगी सरकार में ये तस्वीर बदलती दिखी।
कानून व्यवस्था और बुल्डोजर मॉडल: योगी सरकार बुल्डोजर मॉडल के साथ चुनाव में उतरी थी। 2017 के पहले प्रदेश के अंदर छोटे-बड़े कई दंगे हुए थे। योगी सरकार ने इसको प्रमुख मुद्दा बनाया था। बीजेपी ये एजेंडा सेट करने में कामयाब रखी कि सपा सरकार में गुंडाराज चरम में था। लोगों को जीना मुश्किल था। लेकिन योगी सरकार में किसी भी जाति या धर्म के लोगों को गुंडई करने की इजाजत नहीं थी। इस सरकार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई गुंडों का एनकाउंटर भी किया गया। कई बड़े माफिया जेलों के अंदर बंद है। जिन माफियों का कई जिलों में खौफ था, योगी सरकार ने उन माफियाओं के घरों को बुल्डोजर से ढहाकर सुशासन का संदेश दिया।
फ्री राशन योजना: बीजेपी की जीत में फ्री राशन स्कीम का भी बड़ा रोल रहा है। यूपी में देश का सबसे बड़ा राशन वितरण अभियान चलाया गया। योगी सरकार दावा करती है कि करीब 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिला है। अगर तस्वीर इन दावों के इतर भी है, तब भी एक बड़ा वर्ग ऐसा था जिसे मुफ्त राशन स्कीम का फायदा मिला।
राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: अयोध्या में राम मंदिर बनना शुरू हो गया है। बीजेपी सरकार आने के बाद यहां पर भव्य दिपावली भी मनाई जाने लगी। ये कुछ मुद्दे ऐसे थे जिसने पूरे प्रदेश की जनता का ध्यान आकर्षित किया। अयोध्या का राम मंदिर, बनारस काशी विश्वनाथ कॉरीडोर, कुशीनगर एयरपोर्ट और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की चर्चा जोरों पर रहीं। ये कुछ ऐसे काम थे जिनका जिक्र केवल जिले या राज्य में नहीं बल्कि पूरे देश में है। जनता ने इन मुद्दों को ध्यान में रखकर भी वोटिंग की है।
बसपा का कमजार होना: बसपा सुप्रीमो मायावती देश के सबसे बड़े सूबे की चार बार मुख्यमंत्री बन चुकी है। इसके बाद भी बसपा पूरे चुनाव से ही गायब दिखी। इसका असर हुआ कि लड़ाई सिर्फ समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच में रही। इसमें बीजेपी बसपा का वोट शिफ्ट कराने में कामयाब रही। कुछ चुनावी एक्सपर्ट का मानना है कि बसपा बीजेपी की B टीम की तरह चुनाव लड़ी।
इन मुद्दों पर बीजेपी से नाराजगी थी: चुनाव में मंहगाई, बेरोजगारी, पशु, ये तीन प्रमुख मुद्दे थे। जिसपर जनता योगी सरकार से नाराज नजर आ रही थी। योगी सरकार भले ही बार-बार इस पर सफाई दे रही थी मगर ये मुद्दे जनता खुलकर बोल रही थी। इन मुद्दों का बीजेपी पर असर पड़ा भी। ये कारण थे कि बीजेपी की सीट कम होती दिखाई दे रही है।