Satna. सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रमुख विपक्षी दल अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी ने अपने-अपने महापौर प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। दोनों ही दलों में असंतोष और असंतुष्टों की कमी नहीं है। खासकर वो जो टिकट वितरण से पहले तक दावेदारी ठोक रहे थे। यही नहीं भोपाल से लेकर दिल्ली तक के आकाओं से संपर्क भी साध चुके थे लेकिन टिकट नहीं मिली तो मायूस हो गए। ऐसे वक्त को 'कैश' कराने में माहिर बहुजन समाज पार्टी अंदरखाने लगातार दोनों ही दलों के असंतुष्टों के संपर्क में हैं। इसकी वजह यह है कि बहुजन समाज पार्टी का अपना जनाधार है जिस पर वह आज भी भरोसा कर रही है। सतना जिला की बात करें तो ऐसे नाजुक मौकों में बीएसपी ने एक सांसद, दो विधायक और एक महापौर तक दे चुकी है। इसलिए नगर निगम चुनाव की दृष्टि से इस पार्टी की उपेक्षा नहीं की जा सकती फिलहाल बसपा ने अब तक अपना कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार सकी है। पार्टी के जिला अध्यक्ष अच्छेलाल कुशवाहा ने इस संबंध में कहा कि हम अच्छे कैडिंडेट की तलाश कर रहे हैं। कई लोगों से संपर्क भी किया जा रहा है। जल्द ही घोषणा कर दी जाएगी। उन्होने यह भी कहा कि पार्टी हर वार्ड हर निकाय में अपने कैंडिडेट उतारेगी।
दो मुख्यमंत्रियों को हराकर सुखलाल सांसद बने
बहुजन समाज पार्टी का सतना की राजनीति में अच्छा खासा दखल है। यही कारण है कि 25 साल पहले लोकसभा क्षेत्र तक में जीत दर्ज की थी। बसपा की यह जीत कई मायनों में बड़ी जीत थी क्योंकि तब के लोकसभा चुनाव में दो- दो मुख्यमंत्री अपनी किस्मत आजमा रहे थे। वर्ष 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी सुखलाल कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी। तब मैदान में प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सखलेचा भारतीय जनता पार्टी की ओर से लोकसभा प्रत्याशी थे और कांग्रेस से अलग होकर बनी तिवारी कांग्रेस की ओर से प्रदेश के बारहवें मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी मैदान में थे। इन दो मुख्यमंत्रियों को पछाड़ते हुए बीएसपी के प्रत्याशी सुखलाल ने जीत दर्ज की थी। सुखलाल को तब 182497, वीरेन्द्र कुमार सखलेचा को 160259 और अर्जुन सिंह को 125653 वोट मिले थे।
तीन बार के विधायक से बसपा ने छीनी विधानसभा
सतना जिले के क्षत्रपों के लिए बसपा जाइंट किलर साबित हुई। एक सांसद देने के साथ दो विधायक भी बसपा से ही बने। पहले रामपुर बाघेलान की बात करते हैं। यहां पूर्व में मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय गोविंद नारायण सिंह के परिवार का दबदबा है। इसके बाद भी बसपा के हाथी ने किले में सेंध लगा दी। बात वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव की है तब बसपा के प्रत्याशी रामलखन पटेल विधायक बने। रामलखन ने तीन बार के विधायक रहे हर्ष सिंह को पछाड़ा था। बसपा प्रत्याशी को तब 37635 और भाजपा के प्रत्याशी को 26917 वोट मिले थे। इनके अलावा कांग्रेस के क्षेत्रीय दिग्गज केपीएस तिवारी, कांग्रेस से छिटक कर समानता दल में आए तोषण सिंह और उमा भारती की जन शक्ति पार्टी के छत्रपाल सिंह चुनाव हार गए थे। यहां इस बात का भी जिक्र होना जरूरी है कि उस समानता दल सुखलाल कुशवाहा के नेतृत्व में ही फलफूल रहा था। उन्होने बसपा से अलग होकर इस पार्टी का गठन करने में अहम भूमिका निभाई थी। रामलखन के अलावा ऊषा चौधरी भी विधायक चुनी गई। उन्होने रैगांव विधानसभा बसपा का परचम लहराया था। बसपा की ऊषा को तब 42 610 वोट, भाजपा प्रत्याशी पुष्पराज बागरी को 38501 और कांग्रेस के गया प्रसाद बागरी को 27708 वोट मिले थे। पुष्पराज बागरी पूर्व मंत्री स्वर्गीय जुगुल किशोर बागरी के बड़े बेटे हैं।
महापौर की कुर्सी में काबिज हुआ हाथी
सतना नगर निगम ने भी हाथी की चाल का गवाह बना। बसपा ने क्षत्रप नेता पुष्कर सिंह तोमर के रूप में महापौर का प्रत्याशी बनाकर उतारा। उसका यह दांव सफल हो गया। पुष्कर सिंह तोमर ने बीजेपी के राजकुमार मिश्रा और कांग्रेस के मनीष तिवारी को हरा कर मेयर की चेयर में बैठ गए। तब उन्हे करीब 36 हजार वोट मिले थे और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के राजकुमार मिश्रा से 4000 मतो से विजयी हुए थे। पुष्कर चौथे महापौर थे हालांकि जब कार्यकाल खत्म हुआ तब तक वह भगवा चोला पहन चुके थे।
दलों के दावेदारों पर है नजर
भारतीय जनता पार्टी की ओर से अब तक कोई खुल कर विरोध करने नहीं आया लेकिन कांग्रेस में नाराजगी सामने आने लगी है। कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग विभाग के जिला अध्यक्ष रहे गेंदलाल पटेल ने इस दायित्व से त्यागपत्र दे दिया। कांग्रेस से पहले गेंदलाल बहुजन समाज पार्टी में थे और सोहावल जनपद के उपाध्यक्ष भी रहे। इनके अलावा चर्चा है कि पूर्व मंत्री सईद अहमद भी बसपा के रडार में है। इधर मंगलवार को कांग्रेस पार्टी ने मंथन किया जिसमें कई बड़े नेता नहीं आए। ज्यादातर अजय सिंह के समर्थक हैं।
ये थे पार्टियों के दावेदार
भाजपा: अनिल जायसवाल- पूर्व ननि अध्यक्ष, लक्ष्मी यादव- पूर्व पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य, उमेश सिंह लाला- जिला पंचायत सदस्य, विनोद यादव- पूर्व जिला मंत्री भाजपा, प्रहलाद कुशवाहा- भाजपा प्रदेश प्रवक्ता, मनसुख पटेल- वरिष्ठ भाजपा नेता।
कांग्रेस: सईद अहमद- पूर्व मंत्री, मकसूद अहमद- शहर अध्यक्ष, रविन्द्र सिंह सेठी- पीसीसी सदस्य, अजय सोनी- प्रदेश महामंत्री, गेंदलाल पटेल- वरिष्ठ कांग्रेस नेता।