Singrauli: पिछले चुनावों में जिनने दिया दगा अब वही बने सगा, बगावत शुरू

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Arvind Mishra
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Singrauli: पिछले चुनावों में जिनने दिया दगा अब वही बने सगा, बगावत शुरू

Singrauli.नगर पालिक निगम सिंगरौली के महापौर चुनाव की चौसर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के साथ साफ दिखने लगी है। तमाम विरोधाभास के बावजूद दोनों प्रमुख दलों में इस बार महापौर प्रत्याशी चयन के मामले में एक विशेष समानता देखने को मिल रही है किदोनों दलों ने यहां कर्मठ कार्यकर्ताओं के बजाय विश्वासघाती (बागी) चेहरों को अपनी पहली पसंद बनाया है। आलम यह है कि इस निर्णय के फलस्वरूप दोनों दलों में बगावत का सिलसिला शुरू हो गया है। कई चेहरे जहां पुराने दल को छोड़ नये दलों में अपना ठिकाना बना रहे हैं वही कई घोषित उम्मीदवारों से दूरी बनाना शुरू कर चुके हैं। 





बताते चलें कि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने सिंगरौली में अरविंद सिंह चन्देल को महापौर प्रत्याशी घोषित किया है। अजय सिंह राहुल के खास समर्थकों में शामिल श्री सिंह ने कांग्रेस के बैनर तले 2005 में पार्षद व नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने और 2009 में महापौर का चुनाव लडऩे के बाद भी 2015 में विधायकी का टिकट नहीं मिलने से कांग्रेस का त्याग कर निर्दलीय चुनाव के मैदान में कूद चुके हैं। इनका यह कदम कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी श्रीमती रेनू शाह की पराजय का सबसे बड़ा कारण भी बना था। लेकिन विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही पार्टी द्वारा इन्हें सिंगरौली जिला शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया जाना सबको हैरत में डाल चुका है। अब इस इलेक्शन में इन्हें पुन: महापौर प्रत्याशी का टिकट थमा दिया जाना कुछ कांग्रेसियों के गले नहीं उतर रहा है। दूसरे प्रमुख दल भाजपा की बात करें तो उसने भी महापौर प्रत्याशी चयन के मामले में कांग्रेस की राह पकड़ी है। कम से कम सिंगरौली में तो यही दिखाई दे रहा है। भाजपा ने यहां निवर्तमान नगर निगम परिषद अध्यक्ष चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा को अपना महापौर प्रत्याशी घोषित किया है।सिंगरौली के भाजपा विधायक राम लल्लू वैश्य के खास, जुगाड़ राजनीति में दक्ष, अपने हित में भाजपा के सिध्दांत को भी परे रख निर्णय लेने में कोई कोताही नहीं बरतने वाले विश्वकर्मा कांग्रेस प्रत्याशी से भी दो कदम आगे हैं। इन्हें 2009 के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो अपनी पत्नी श्रीमती मनोरमा विश्वकर्मा को बसपा से चुनाव लड़ा कर पार्षद बना दिया। यही नहीं 2015 के नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा से बगावत कर स्वयं निर्दलीय चुनाव लड़े और पार्षद बने। आगे 2015 में ही परिषद अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के घोषित प्रत्याशी संजीव अग्रवाल के विरोध में चुनाव में उतर आए और कुछ भितरघाती भाजपाईयों की मदद से सर्वाधिक पार्षद संख्या वाली भाजपा के घोषित प्रत्याशी को हराकर परिषद अध्यक्ष बन बैठे। दोनों दलों की इस स्थिति को देखते हुए चर्चा होना लाजमी है कि चुनाव के दौरान दोनों को जबरदस्त भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। 





कुंदन ने छुड़ाया हाथ, भास्कर सेना में शामिल





महापौर प्रत्याशी चयन को लेकर सिंगरौली कांग्रेस में विरोध की स्थिति यह है कि प्रदेश कांग्रेस में अहम पदाधिकारी एवं सिंगरौली में ब्राह्मण मतदाताओं में ठीक ठाक पैठ रखने वाले टिकट के दावेदार कुंदन पाण्डे ने इस तर्क के साथ इस्तीफा दे दिया है कि यहां बागियों का  बोलबाला है। कर्मठ कार्यकर्ताओं का कोई वजूद नहीं है। इसलिए मैंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उधर टिकट वितरण से असंतुष्ट कांग्रेस के दूसरे जुझारू पदाधिकारी भास्कर मिश्रा ने तो कांग्रेस त्याग शिवसेना का दामन थाम लिया। चर्चाएं है कि शिव सेना द्वारा इन्हें महापौर का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। 





भाजपा जिला अध्यक्ष ही प्रत्याशी से बना रहे दूरी





भाजपा में हाल कुछ यूं है कि महापौर टिकट के प्रमुख दावेदारों में शामिल सिंगरौली भाजपा जिलाध्यक्ष विरेन्द्र गोयल अपना टिकट ऐन वक्त पर काट दिये जाने से इस कदर खफा हैं कि घोषित प्रत्याशी से ही दूरी बना लिए हैं। इसकी बानगी आज उस समय नजर आई जब चन्द्र प्रताप विश्वकर्मा पर्चा दाखिल करने निर्वाचन कार्यालय पहुंचे। लेकिन इनके साथ वहां विधायक राम लल्लू के अलावा जिलाध्यक्ष श्री गोयल समेत किसी भी महत्वपूर्ण भाजपा पदाधिकारी का चेहरा नजर नहीं आया जो जन चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है।



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