DELHI: चुनावी वादे रोकने पर SC में सुनवाई, CJI रमना बोले- कोई सिंगापुर ले जाने का वादा कर दे तो EC कैसे रोकेगा?

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Atul Tiwari
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DELHI: चुनावी वादे रोकने पर SC में सुनवाई, CJI रमना बोले- कोई सिंगापुर ले जाने का वादा कर दे तो EC कैसे रोकेगा?

NEW DELHI. राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी वादे (मुफ्त की योजनाएं) रोकने के लिए लगाई गई पिटीशन पर 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि मामले को बड़ी बेंच में भेजा जा सकता है। हियरिंग के दौरान एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि फ्री वादों के चलते देश दिवालिया होने की कगार पर है। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि मान लीजिए मैं वादा कर दूं कि चुनाव जीतने के बाद लोगों को सिंगापुर भेज दूंगा तो चुनाव आयोग इस पर कैसे रोक लगाएगा। 



सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान न्याय मित्र के तौर पर कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी आम आदमी पार्टी और विकास सिंह याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर पेश हुए। केस की सुनवाई कर रही CJI एनवी रमना की बेंच में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थीं। मामले में कल यानी 24 अगस्त को भी सुनवाई होगी।



कोर्ट रूम में किसने क्या कहा?




  • CJI रमना- यह मुद्दा समाज और अर्थव्यवस्था की भलाई के लिए उठाया गया है। सभी पार्टियां, भले वो बीजेपी हो या कोई और...फ्री घोषणाओं के पक्ष में हैं। ​​​​​​


  • कपिल सिब्बल- महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि समझदार व्यक्ति हमेशा अपने स्टैंड में सुधार करता है। ऐसा नहीं है कि मैं खुद को समझदार कह रहा हूं।

  • अभिषेक मनु सिंघवी- कोई कमेटी यह कैसे तय कर सकती है कि फ्री क्या है और क्या नहीं? कोर्ट को इस याचिका को सुनना ही नहीं चाहिए। अनुच्छेद 19(2) के तहत चुनाव से पहले बोलने की आजादी है।

  • एडवोकेट विकास सिंह- सभी को सत्ता चाहिए, इसलिए वे मुफ्त घोषणाओं का ऐलान करते हैं। ये किसी दिन ऐसे मुकाम पर पहुंचेगी कि देश दिवालिया हो जाएगा। 



  • ‘मुफ्त...’ पर घमासान



    जनवरी 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज (मुफ्त घोषणाएं) के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। दायर याचिका में कहा गया है कि मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने वाली पार्टी की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। आज दोबारा इस मामले की सुनवाई होगी। दरअसल देश में कुछ दिनों से फ्रीबीज को लेकर घमासान मचा हुआ है। केंद्र की मोदी सरकार राज्यों से फ्रीबीज पर लगाम कसने की बात लगातार कह रही है। मोदी सरकार ने याचिका पर सहमति देते हुए सुप्रीम कोर्ट से फ्रीबीज की परिभाषा तय करने की गुजारिश की है। 



    आम आदमी पार्टी कर रही है विरोध



    मामले की शुरुआत तब हुई जब बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। इसमें मुफ्त की योजनाओं पर लगाम लगाने और ऐसी पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात कही थी। वहीं आम आदमी पार्टी ने इस याचिका के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। आप की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं मुफ्त उपहार या फ्रीबीज नहीं हैं। पार्टी की तरफ से कहा गया कि अगर इस मामले पर सुनवाई हो रही है तो इसमें सांसदों, विधायकों और कॉरपोरेट्स को दिए जाने वाले भत्तों का भी आकलन किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि RBI के अनुसार मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बकाया बिल, बाईफाई और लोन माफी और किसान लोन माफी जैसे फायदे फ्रीबीज में आते हैं। 



    इस मामले में अब तक ये हुआ?




    • 03 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज मुद्दे पर फैसले के लिए एक समिति गठित की जानी चाहिए। इसमें केंद्र, राज्य सरकारें, नीति आयोग, फाइनेंस कमिशन, चुनाव आयोग, RBI, CAG और राजनीतिक पार्टियां शामिल हों।


  • 11 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गरीबों का पेट भरने की जरूरत है, लेकिन लोगों की भलाई के कामों को संतुलित रखने की जरूरत है। क्योंकि फ्रीबीज की वजह से इकोनॉमी पैसे गंवा रही है। हम इस बात से सहमत हैं कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर है।

  • 17 अगस्त 2022 को कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियों को वोटर्स से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है। अब ये तय करना होगा कि फ्रीबीज क्या है। क्या सबके लिए हेल्थकेयर, पीने के पानी की सुविधा...मनरेगा जैसी योजनाएं, जो जीवन को बेहतर बनाती हैं। क्या उन्हें फ्रीबीज माना जा सकता है?' कोर्ट ने इस मामले के सभी पक्षों से अपनी राय देने को कहा।

  • 23 अगस्त 2022 को आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा और कुछ अहम फैसला दे सकता है।


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