Jabalpur. नगरीय निकायों की सत्ता के ये चुनाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में बीजेपी ही नहीं कांग्रेस के आला नेता भी इन चुनावों को इस बार हल्के में नहीं ले रहे। गुटबाजी और आपसी खींचतान को पिटारे में रखकर दरकिनार करने के निर्देश दोनों ही पार्टियों के नेताओं को राजधानी से मिल रहे हैं। इसलिए बगावती तेवर अपनाने वाले लोगों को उनके ही आका माने जाने वाले नेताओं से मनवाने की तैयारी चल रही है।
भाजपा में संगठन को दी गई जिम्मेदारी
जबलपुर की बात की जाए तो भारतीय जनता पार्टी के खेमे में बागी तेवर दिखा रहे नेता, कार्यकर्ताओं को मनाने का जिम्मा संगठन के नेताओं को ही दिया गया है। नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर की माने तो इतनी बड़ी पार्टी होने के नाते हर वार्ड में 4-4 दावेदार थे ऐसे में टिकट न मिलने वालों में नाराजगी स्वाभाविक है। ठाकुर का मानना है कि 22 जून से पहले ही ऐसे कार्यकर्ताओं को मना लिया जाएगा। बीजेपी के खेमे से घोषित रूप से बगावती तेवर अपनाने वालों में अग्रसेन वार्ड से समर्थ तिवारी, कल्लू बाबा, दुर्गा उपाध्याय और धनवंतरी नगर महाराणा प्रताप वार्ड से शैलेंद्र विश्वकर्मा प्रमुख हैं। इन सभी ने पार्टी के खिलाफ जाकर नामांकन भी दाखिल किया है।
कांग्रेस में बागियों को मनाना टेढ़ी खीर
कांग्रेस की बात की जाए तो बगावती तेवर अपनाने वालो में महेश पटेल का नाम सबसे ऊपर है। महेश भवानी प्रसाद तिवारी वार्ड से टिकट चाह रहे थे, जहां उनका निवास है लेकिन उन्हे यहां के बजाय विधानसभा क्षेत्र बदलकर पश्चिम विस के गढ़ा वार्ड से टिकट दे दिया। जहां उनकी कोई राजनैतिक या पैतृक जमीन ही नहीं है। दूसरी ओर कस्तूरबा गांधी वार्ड से भी दो-दो बागियों ने पर्चा दाखिल किया है। दोनों बागी पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया समर्थक बताए जाते हैं। पश्चिम विस से युवा कांग्रेस अध्यक्ष सचिन बाजपेई पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में बागियों को समझाने बड़े नेताओं को आगे आने के निर्देश दिए जा चुके हैं। बड़े नेताओं को आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के मिशन की दुहाई दी है।
22 जून को स्थिति हो जाएगी क्लियर
जबलपुर नगर निगम की लाल हवेली की जंग में कौन बागी बना रहेगा कौन रणछोड़ देगा। इस सबसे परदा 22 जून को हट जाएगा। स्थिति क्लीयर होने पर ही पता चलेगा कि कितने बागियों के तेवर ढीले पड़े।