INDORE. इंदौर में एक बार फिर बीजेपी के महापौर के हाथों में नगर निगम की कमान होगी। इस बार शहर की सरकार को सबसे युवा महापौर मिला है और खुद को उन्होंने आमजन का शहर का मित्र भी बताया है। ऐसे में अब नवनिर्वाचित महापौर पुष्यमित्र भार्गव से सभी को उम्मीदें हैं कि सालों से जिन समस्याओं से वो जूझ रहे हैं, उनसे मुक्ति मिलेगी। एक जिम्मेदार मीडिया हाउस के रूप में द सूत्र ने शहर के प्रबुद्ध नागरिकों से ग्वाालियर की 10 प्रमुख समस्याएं जानीं जिनका वे नए महापौर से समाधान चाहते हैं। एक मांग तो खुद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ही महापौर से कर गए, उन्होंने कहा था कि पेट्रोल-डीजल बंद कर इंदौर को प्रदूषण मुक्त करो।
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इंदौर की समस्याएं
- ट्रैफिक
इन लोगों ने द सूत्र पर उठाई अपनी आवाज
'परिषद में चर्चा होती है उसका आमजन को पता ही नहीं चलता'
ट्रैफिक, पानी के वितरण, आवारा कुत्ते, जल-जमाव, सीवरेज लाइन व्यवस्थित नहीं, इसके साथ ही प्रदूषण खासकर वायु और जल प्रदूषण ये तो मूल समस्या है ही। लेकिन ये बुरी बात है कि निगम परिषद में मुद्दों पर चर्चा नहीं होती है और होती भी है तो ये लोगों को खुद जनप्रतिनिधियों को पता नहीं चलता क्या टैक्स लग रहा है और निगम में चल क्या रहा है। ये लोगों को पता होना चाहिए। (अतुल सेठ, पूर्व सिटी इंजीनयर, नगर निगम)
'फ्लाईओवर बनाते समय पहले से बनाएं डायवर्सन'
इंदौर में प्रदूषण खासकर हवा-पानी में सुधार जरूरी है। पानी वितरण की व्यवस्था अभी भी नहीं है। कान्ह और सरस्वती नदियां अभी भी गंदी हैं। स्टार्म वाटर लाइन नहीं है, जल-जमाव बहुत है। पाइपलाइन बदलना जरूरी है। गंदी बस्तियों का उद्धार करना है। सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं जो थोड़ी बारिश में तालाब बन जाते हैं। ट्रैफिक और पार्किंग तो सबसे बड़ी समस्या, वहीं बनने वाले फ्लाईओवर या अन्य निर्माण के समय निगम को सही डायवर्सन करना चाहिए नहीं तो दो-तीन साल तक लोग खामियाजा भुगतते हैं। (गौतम कोठारी, अध्यक्ष, पीथमपुर औद्योगिक संगठन)
'इंदौर में बाहर के लोग बिगाड़ते हैं ट्रैफिक'
ट्रैफिक सबसे बड़ी समस्या है, बाहर के लोग नियमों का पालन नहीं करते हैं। हालत खराब हो जाती है। इन सभी बाहरी लोगों को अलग कार्ड जारी होना चाहिए। 56 दुकान और सराफा की हालत वीकेंड पर तो भयावह हो जाती है। पार्किंग नहीं है, जल-जमाव की हालत खराब है। रंगकर्मियों के लिए सभागार नहीं है। अनंत चतुर्दश का समारोह हमारी पहचान अब इसे पूर्व में बीआरटीएस पर निकालना चाहिए। (संजय पटेल, रंगकर्मी)
'कचरा सेग्रीगेशन के नाम पर अब कर रहे परेशान'
पहले सिर्फ सूखा और गीला कचरा ही अलग-अलग करना होता था लेकिन अब लोगों को 6 तरह के कचरे अलग करने के लिए कहा जाता है। साथ ही अब तो सातवां आदेश की नारियल पानी का खोल, टूटी पत्तियां इन्हें जमा करके जोन पर जमा कराओ, ये तो हद हो गई। आवारा कुत्ते पहले 10 हजार थे अब नसबंदी के बाद भी 2 लाख हो रहे हैं। बीआरटीएस तोड़ दो तो फ्लाईओवर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, ट्रैफिक और पार्किंग खराब है। जल-जमाव और सीवरेज व्यवस्था तो बर्बाद है। (किशोर कोडवानी, समाजसेवी)
'हर जोन पर माइक्रो प्लानिंग जरूरी'
हर जोन पर अब माइक्रो प्लानिंग उसी क्षेत्र के हिसाब से करना जरूरी है। ट्रैफिक और पार्किंग बड़ी समस्या है, प्रदूषण पर भी काम होना चाहिए। खुद केंद्रीय मंत्री गडकरी कहकर गए हैं अब इंदौर को सफाई के साथ इस पर काम करना चाहिए। हर जगह सीसीटीवी होना चाहिए। बीआरटीएस में सुधार सबसे ज्यादा जरूरी है। अब इंदौर से लगे उपनगर महू आदि को विकसित करना जरूरी है। (डॉ. अनिल भंडारी, समाजसेवी)
'गंदा पानी हर घर में आता है'
हर घर में पानी वितरण के समय गंदा पानी मिलता है। लोगों को साफ पानी मिलना जरूरी है। ट्रैफिक की हालत बहुत खराब है, नगर निगम में आम लोगों की सुनवाई की व्यवस्था जनसुनवाई बंद है। आवारा कुत्तों के कारण लोग परेशान हैं। पहले ज्यादा व्यवस्थित सीवरेज था लेकिन अब काम के बाद तो और बिगड़ गया है। स्ट्रीट लाइट बंद रहती है। (फौजिया शेख अलीम, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम)