LUCKNOW. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की पत्नी साधना गुप्ता (Sadhna Gupta) का 9 जुलाई को निधन हो गया। फेफड़ों में संक्रमण के कारण उनको गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साधना गुप्ता के निधन की सूचना पर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) पहुंचे हैं। उनकी पार्थिव देह को लखनऊ लाया जा रहा है। मुलायम सिंह यादव के आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। 62 साल की साधना गुप्ता मूल रूप से यूपी के इटावा के बिधुना की रहने वाली थी। 2003 में पहली पत्नी मालती देवी के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव ने साधना को पत्नी का दर्जा दिया था।
साधना गुप्ता ने की थीं दो शादियां
साधना गुप्ता उत्तर प्रदेश के इटावा के बिधुना तहसील की रहने वाली थीं। 4 जुलाई 1986 में उनकी शादी फर्रुखाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी। 7 जुलाई 1987 में प्रतीक यादव (Prateek Yadav) का जन्म हुआ था। इसके दो साल बाद साधना और चंद्रप्रकाश अलग हो गए थे। इसके बाद साधना गुप्ता सपा के तत्कालीन सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आई थीं। वर्ष 2003 में जब अखिलेश की मां और मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी का निधन हो गया तो मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर साधना को अपनी पत्नी का दर्जा दिया। शादी के बाद साधना ने सक्रिय राजनीति छोड़ृ दी थी।
साधना के नजदीक आने की मुलायम की मुख्य वजह
शुरुआत में साधना और मुलायम की आम मुलाकातें होती थीं, लेकिन मुलायम की मां की वजह से दोनों करीब आए। मुलायम की मां मूर्ति देवी बीमार रहती थीं। साधना ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम और बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मूर्ति देवी की देखभाल की। वहीं, मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रहीं थीं, उस समय साधना वहां मौजूद थीं और उन्होंने नर्स को ऐसा करने से रोक दिया। साधना की वजह से ही मूर्ति देवी की जिंदगी बची थी। मुलायम सिंह यादव इसी बात से इम्प्रेस हुए और दोनों की रिलेशनशिप शुरू हो गई।
साधना को इस वजह से लकी मानते थे मुलायम
मुलायम सिंह यादव साधना गुप्ता को अपना लकी चार्म मानते थे क्योंकि उनके आने से मुलायम के जीवन में कई बदलाव हुए। साधना वास्तविक रूप में मुलायम की जिंदगी में 1988 में आईं और 1989 में मुलायम सीएम बन गए। इसी के बाद से ही वह साधना को लकी मानने लगे। यह सब कुछ पता तो सबको था लेकिन घर में कोई कहता कुछ नहीं था। यह सब सामने तब आया जब मुलायम ने 2007 में आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया। इसमें मुलायम ने लिखा कि, "मैं स्वीकार करता हूं कि साधना गुप्ता मेरी पत्नी और प्रतीक मेरा बेटा है।"
साधना के बेटे हैं प्रतीक यादव
कहा जाता है कि 1994 में जब प्रतीक यादव ने स्कूल के एक फॉर्म में अपने पिता का नाम एमएस यादव और पते में मुलायम सिंह यादव के दफ्तर का पता दिया तो तब कुछ लोगों को इस बारे में भनक लगी। 2003 में जब मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी का निधन हुआ तो बाद में मुलायम ने साधना को अपनी पत्नी का दर्जा दे दिया। 2007 में मुलायम ने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र देते हुए स्वीकार किया कि साधना गुप्ता उनकी पत्नी और प्रतीक उनका बेटा है। बता दें कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की दो शादियां हुई हैं। इनकी पहली पत्नी मालती देवी का 2003 में निधन हो गया था। इनके बेटे अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। दूसरी पत्नी साधना गुप्ता से प्रतीक यादव बेटे हैं, जोकि बिजनेस मैन हैं और उनकी बहू व प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव बीजेपी नेता हैं।
सालों तक मुलायम और साधना की छुपी रही लव स्टोरी
साल 1982 से लेकर 1988 तक मुलायम सिंह और साधना गुप्ता के बीच क्या चल रहा है, इसके बारे में अमर सिंह इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो जानते थे। वह अच्छे से जानते थे कि मुलायम को प्यार हो गया है लेकिन उन्होंने किसी से कुछ भी नहीं कहा। अमर सिंह यह कहते भी तो कैसे क्योंकि मुलायम के घर पर उनकी पत्नी मालती देवी और बेटा अखिलेश भी था। लेकिन साल 1988 आया और एक साथ कई चीजें बदल गई। इस समय मुलायम मुख्यमंत्री बनने की रेस में थे और साधना भी अपने पति से अलग रहने लगी थी। उस समय उनकी गोद में एक बच्चा भी था। इतना ही नहीं इन सब के बीच मुलायम ने अखिलेश ( Akhilesh Yadav) को साधना से मिलवा भी दिया था।
अखिलेश की नाराजगी पर हुआ था समझौता
साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने पर अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव से नाराज हो गए। कहा जाता है कि तब समझौता हुआ था कि साधना के बेटे प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहेंगे। साधना भी राजनीति से दूर ही रहीं। हालांकि, बाद में साधना गुप्ता की बहू और प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने जरूर राजनीति में कदम रखा। अपर्णा विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। अपर्णा फिलहाल बीजेपी में हैं।
साधना गुप्ता ने अखिलेश के लिए कही थी ये बात
साल 2017 में जब समाजवादी पार्टी में टूट की बात सामने आई थी तो अखिलेश के करीबियों ने साधना गुप्ता पर ही परिवार को तोड़ने का आरोप लगाया था। हालांकि बाद में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इन सब बातों से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि जिन लोगों को लगता है कि मेरे और अखिलेश के रिश्ते खराब है तो उन्हें मैं बता दूं कि अखिलेश ने कभी मुझसे तेज आवाज में बात नहीं की। उन्होंने कहा कि वो अखिलेश यादव को अपना सौतेला बेटा नहीं मानती हैं, उनके लिए अखिलेश ही उनके बड़े बेटे हैं। उन्होंने अखिलेश यादव और प्रतीक यादव को अपनी दोनों आंखे बताया था।
इस इटंरव्यू में साधना गुप्ता ने कहा था कि अखिलेश अक्सर उनसे मिलने आते रहते हैं और 2017 की कलह के बाद तो उन्होंने और भी ज्यादा आना जाना कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ ये बात सही है कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव के किसी कार्यक्रम में वो कभी नहीं दिखाई दीं। कहते हैं कि अखिलेश की नाराजगी की वजह से ही साधना गुप्ता लखनऊ और मैनपुरी से दूर रहती थीं।