अरुण तिवारी, Bhopal. मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की रायसेन किले पर मौजूद सोमेश्वर महादेव मंदिर के ताले खोले जाने की इच्छा पूरी होती नहीं दिखाई दे रही। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि वो उमा भारती की भावनाओं को समझती है लेकिन कुछ धरोहरों का संरक्षित रहना जरूरी है। यानी साफ संकेत है कि केंद्र सरकार इस पक्ष में नजर नहीं आती की सोमेश्वर महादेव मंदिर के ताले खोले जाएं। सवाल यह है कि अब उमा भारती क्या करेंगी। क्या उन्हें अपना संकल्प और सत्याग्रह तोड़ना पड़ेगा या फिर कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा। वैसे हम आपको बता दें कि इस समय उमा भारती अन्न ग्रहण नहीं कर रही हैं और इस उपवास का एक सप्ताह से ज्यादा समय बीत गया है। अन्न ग्रहण न करना उमा भारती की सेहत के लिए ठीक नहीं माना जा रहा।
11 अप्रैल को उमा ने छोड़ा अन्न
रामनवमी के बाद 11 अप्रैल को उमा भारती रायसेन किले के सोमेश्वर महादेव मंदिर में पहुंची थी और गंगाजल चढ़ाया। उमा भारती की इच्छा थी कि मंदिर के ताले खोले जाते लेकिन रायसेन का किला केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन आता है और पुरातत्व विभाग के जो नियम है उन्हें उमा भारती के लिए तोड़ा नहीं गया। यही कारण था कि उमा भारती ने बाहर से ही जल चढ़ाया। उमा ने इसी समय ऐलान कर दिया कि वो अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। उमा को अन्न त्यागे एक हफ्ता बीत चुका है। एक दिन पहले बेगमगंज पहुंची उमा भारती ने अब मंदिर का ताला खुलवाने की जिम्मेदारी यहां के सांसद रमाकांत भार्गव, मंत्री प्रभुराम चौधरी और विधायक रामपाल सिंह को सौंप दी है। उमा ने इनसे कहा है कि वो केंद्रीय पुरातत्व विभाग से बात करें, क्योंकि वो फलाहार कर रही हैं और उनकी सेहत इसकी इजाजत नहीं दे रही है।
केंद्र सरकार की मंशा नहीं ताला खुले
उमा के संकल्प के बीच में केंद्र सरकार का रोड़ा आ गया है। केंद्र सरकार इस मंदिर के ताले खोलने के पक्ष में नजर नहीं आ रही। विश्व धरोहर दिवस के दिन भोपाल पहुंची केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि वो उमा भारती की भावनाओं को समझती है लेकिन कुछ धरोहरों का संरक्षित रहना जरूरी है। यानी साफ है कि मंदिर का ताला नहीं खोला जाएगा। दरअसल ये इतना आसान भी नहीं है क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार को कानून में बदलाव करना होगा जो संसद से होगा। और यदि बदलाव होगा तो ऐसे कई संरक्षित स्मारक है जहां पहले मंदिर थे बाद में उनका स्वरूप बदल गया। ऐसे में इन स्मारकों को लेकर भी विवाद बढ़ सकता है।
अब क्या करेंगी उमा भारती
ये बड़ा सवाल है कि उमा अब क्या करेंगी। क्योंकि केंद्र सरकार के कानून में संशोधन किए बगैर तो ताले खुलेंगे नहीं, अब उमा के पास यही रास्ता बचता है कि वो अपना सत्याग्रह तोड़ दें लेकिन उमा ऐसा करेंगी नहीं तो फिर क्या कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा। उमा भारती का स्वास्थ्य ठीक नहीं है,वे खुद कह चुकी हैं कि फलाहार उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इस समय उमा भारती का क्या रूटीन है, द सूत्र ने उनके करीबियों से ये जाना और डाइडिशियन से भी पूछा कि उमा भारती को क्या करना चाहिए।
उमा ले रहीं लिक्विड डाइट
फलाहार उमा भारती की सेहत के लिए ठीक नहीं है। दरअसल उमा भारती स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जब से उमा ने अन्न त्यागा है वो दिन में दो बार फलाहार कर रही हैं। सुबह उठकर नींबू पानी लेती हैं। फलाहार में ताजे कटे हुए मौसमी फल ले रही हैं। और जरूरत के मुताबिक दही, छाछ और दूध का सेवन कर रही हैं। लेकिन उमा भारती दवाएं खाती हैं जिसकी वजह से उन्हें अन्न लेना बेहद जरूरी है। डायटिशियन अमिता सिंह की माने तो शुगर के पेशेंट्स के लिए कुछ समय के अंतराल से डाइट जरूरी है लेकिन जो अन्न नहीं ले रहे हैं उन्हें ज्यादा एहतियात बरतना जरूरी है। गर्मी में पानी की कमी न हो इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए नारियल पानी और छाछ का सेवन करते रहना चाहिए।
मंत्री, विधायक, सांसद को सौंपी जिम्मेदारी
उमा भारती अन्न ग्रहण करें इसकी जिम्मेदारी मंत्री प्रभुराम चौधरी,विधायक रामपाल सिंह और सांसद रमाकांत भार्गव की है। ऐसे में सभी को मिलकर बीच का रास्ता निकालना होगा। अब बीच का रास्ता ये हो सकता है कि एक दिन के लिए स्पेशल परमिशन के तहत मंदिर का ताला खोला जाए और उमा भारती को यहां पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए। केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद इस मामले में पेंच फंस गया है