भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गद्दार के मुद्दे पर सियासत (Politics) गरमा गई है। बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के पिता राजा बलभद्र सिंह (Raja Balbhadra Singh) के 16 सितंबर 1939 को अंग्रेजों को लिखे पत्र को जारी किया है। यह आरोप लगाया है कि दिग्विजय के परिवार की अंग्रेज भक्ति इस पत्र में दिखती है। कांग्रेस (Congress) ने भी इन आरोपों पर पलटवार किया है।
दिग्विजय के परिवार पर आरोप
बीजेपी (BJP) के पंकज चतुर्वेदी (Pankaj Chaturvedi) और दुर्गेश केसवानी (Durgesh Keswani) ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने दावा किया कि दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान पुरातत्व विभाग (Archeology Department) की प्रदर्शनी में उनके पिता का अंग्रेजों को लिखा पत्र शामिल किया गया था। इसमें दिग्विजय के परिवार की अंग्रेजों की भक्ति करने का पक्का सबूत है। पंकज चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह जी, आपके परिवार का इतिहास गद्दारी से भरा हुआ है। साहस है तो इस पत्र से सामने आए सवालों का जवाब दें।
दिग्गी ने किया था सिंधिया पर वार
गुना में दिग्विजय सिंह ने एक सभा में यह कहा कि सिंधिया ने पूरा फायदा उठाया कांग्रेस से और अब चले गए भाजपा में। गद्दारों को कोई नहीं भुलता। जब भी झांसी की रानी की बात होती है तो ग्वालियर के सिंधिया परिवार का नाम गद्दारी में आता है। दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके बल्कि पानीपत की लड़ाई का भी जिक्र किया और कहा कि अगर सिंधिया परिवार उस समय हिंदू राजाओं का साथ देते तो अहमद शाह अब्दाली हार जाता। इसी तरह कमल नाथ सरकार को लेकर दिग्विजय ने कहा कि अगर सिंधिया भाजपा में नहीं जाते तो आज कमल नाथ की सरकार रहती और बिजली के बिल आधे रहते।
कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने बीजेपी के आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि पंकज चतुर्वेदी एक साल पहले कांग्रेस से बीजेपी में गए हैं। वहां उन्हें अपनी काबिलियत साबित करना है। भाजपा से राजनीतिक सर्टिफिकेट लेना है। इस वजह से ऐसे आरोप लगा रहे हैं। पंकज चतुर्वेदी का कद इतना नहीं कि वे दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाए। दिग्विजय सिंह पर हमला करना है, तो सीधे मोहन भागवत करें। दिग्विजय सिंह पर हमला करने के लिए चतुर्वेदी को नया जन्म लेना पड़ेगा।
बीजेपी ने दिग्गी से पूछे 4 सवाल
1. दिग्विजय सिंह को अपने वंश पर घमंड है। जब देशभक्त अंग्रेजों की गोलियां खा रहे थे, तब दिग्विजय के पिता बलभद्र सिंह जी अपने वंशजों द्वारा अंग्रेजों की सेवा की दुहाई देकर अपने और अपने परिवार के लिए सुविधाओं की मांग कर रहे थे।
2. बलभद्र सिंह जी ने 16 सितंबर 1939 को यह पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने अपनी अंग्रेज भक्ति को दर्शाया था। यह पत्र कथित रूप से 2002 में भोपाल में पुरातत्व विभाग की प्रदर्शनी में रखा गया था। उस समय प्रदेश में दिग्विजय ही सीएम थे।
3. इतिहासकार राजा रघुवीर सिंह जी के अनुसार दिग्विजय के पूर्वजों को मुगलों की वफादारी के बदले में राघोगढ़ मिला। पानीपत की तीसरी लड़ाई में राघोगढ़ के तत्कालीन राजा ने मराठा सेनापति सदाशिवराव भाऊ को सहयोग नहीं दिया था और मुगलों का साथ दिया था।
4. प्रदर्शनी के दौरान इस पत्र पर चर्चा शुरू हुई तो उस समय के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भड़क गए थे। उन्होंने फौरन यह पत्र प्रदर्शनी से हटवा दिया था। तब तक राघोगढ़ की अंग्रेज भक्ति की काला देशद्रोही इतिहास सबके सामने आ चुका था।
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