Bhopal: चुनाव की एक बात तो बहुत अच्छी है. जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने लग जाती है. अब से लेकर डेढ़ साल तक जनता गाहे बगाहे वीआईपी फीलिंग फील करती रहेगी. असल वीआईपी यानि हमारे नेता उन्हें ये फील करवाते रहेंगे कि उनके मुद्दे अब सुने या सुनाए जा रहे हैं. युवा शंखनाद एक तरह से चुनावी लड़ाई का आगाज भी है. ये बात और है कि फिलहाल राजनैतिक दलों के लिए हिंदुत्व से बड़ा मुद्दा कुछ और है नहीं. अब बात बेरोजगारी तक पहुंची है. उम्मीद है कि इस पर चर्चा या चर्चा में रहने का तरीका जारी रहेगा.