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MUMBAI. गौतम अडाणी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जांच के मुद्दे पर अपोजिशन से अलग राय रखने के बाद शरद पवार ने अब पीएम की डिग्री मुद्दे पर बयान देकर विपक्ष के एक और मुद्दे की हवा निकाल दी है। रविवार को महाराष्ट्र के नासिक में जब शरद पवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिग्री विवाद पर सवाल पूछा गया तो पवार ने पलटकर पत्रकारों से ही पूछ लिया। पवार ने कहा कि PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है। दरअसल दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहें है।
आज देश में कई मुद्दे, फिर डिग्री की बात कहां से आती है- पवार
मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा, 'आज देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए। आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं। इस पर चर्चा जरूरी है।'
Should anyone's educational degree be a political issue in the country when we are facing unemployment, law & order and inflation? Today, differences are being created among people in the name of religion and caste. Crops have been destroyed due to unseasonal rains in… pic.twitter.com/LLClj6rPSh
— ANI (@ANI) April 10, 2023
आप का डिग्री दिखाओ कैंपेन
दरअसल, आम आदमी पार्टी इन दिनों पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर है। आप ने 9 अप्रैल को 'डिग्री दिखाओ कैंपेन' शुरू किया, जिसके तहत पार्टी के नेता हर दिन लोगों के सामने जाकर अपनी एकेडमिक क्वालिफिकेशन शेयर करेंगे। ऐसे में पवार का यह बयान आप की इस मुहिम को तगड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पहले पवार ने अडाणी मसले पर JPC की मांग को झटका देते हुए कहा था कि ये निष्पक्ष नहीं होगा, क्योंकि 21 में 15 सदस्य सत्ता पक्ष के होंगे। पवार के बयान पर विपक्ष में हलचल तेज हो गई थी।
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पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम भी डिग्री मुद्दे पर दे चुके राय
एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार भी पीएम डिग्री को मुद्दे को बेबुनियाद करार दे चुके हैं। अजीत पवार ने कहा था, 'जहां तक ​​राजनीति में शिक्षा का संबंध है, इसे बहुत महत्व नहीं दिया जाता। महाराष्ट्र में ऐसे 4 ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो वसंतदादा पाटिल की तरह ज्यादा शिक्षित नहीं थे, लेकिन उनका एडमिनिस्ट्रेशन कमाल का था। '
पीएम की डिग्री विवाद और सावरकर के मुद्दे पर राकांपा के अलग-अलग रुख के बारे में पूछे जाने पर अजीत पवार ने पत्रकारों से ये भी कहा था, 'मोदी के नाम के तहत जिस पार्टी के पास केवल दो सांसद थे, वह 2014 में पूर्ण जनादेश के साथ आई थी और दूरदराज के इलाकों में पहुंचे, तो क्या यह मोदी का करिश्मा नहीं है? 2014 में पूर्ण बहुमत से जीतने के बाद उनके खिलाफ कई बयान दिए गए। उन्हें लोकप्रियता मिली और उनके नेतृत्व में विभिन्न राज्यों में केवल बीजेपी ही जीती और 2019 में भी यही दोहराया गया.. तो फिर इन सभी मुद्दों को बाहर निकालने का क्या फायदा। 9 साल से लोग उनका काम देख रहे हैं...।'