आत्मा तब जागृत क्यों नहीं होती, जब आप सत्ता में होते हैं- सत्यपाल मलिक के खुलासों और उन्हें CBI के समन पर अमित शाह

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Atul Tiwari
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आत्मा तब जागृत क्यों नहीं होती, जब आप सत्ता में होते हैं- सत्यपाल मलिक के खुलासों और उन्हें CBI के समन पर अमित शाह

NEW DELHI/BANGALURU. जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक एक हफ्ते से सुर्खियों में हैं। मलिक ने पुलवामा हमले को लेकर होम मिनिस्ट्री की नाकामी की बात कही थी। इन बयानों के 6 दिन बाद मलिक को सीबीआई ने समन दे दिया। अब एक निजी न्यूज चैनल ने अमित शाह का इंटरव्यू लिया। इसमें शाह से सत्यपाल मलिक के सरकार पर उठाए सवाल और सीबीआई के समन को लेकर सवाल किया गया। इस पर शाह ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है, मलिक को सीबीआई ने तीसरी बार बुलाया है। शाह ने तंज कसते हुए ये भी कहा कि आत्मा तब जागृत क्यों नहीं होती, जब आप (सत्यपाल मलिक) सत्ता में होते हैं।



थाने पहुंचे सत्यपाल मलिक



दिल्ली के आर के पुरम के डीडीए पार्क में खाप पंचायत होनी थी। एनडीटीवी के मुताबिक, इस बारे में पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए परमिशन नहीं ली गई थी, इसलिए वहां जमा हुए लोगों को हटाया गया। जानकारी के मुताबिक हरियाणा और यूपी की खाप पंचायतों के कुछ नेता बैठक के लिए सुबह सत्यपाल मलिक के आवास पर पहुंचे। इस बारे में सूचना मिलने पर पुलिस भी वहां पहुंच गई। मलिक के आवास पर पहुंचने पर पुलिस ने उन्हें बताया कि वे (खाप नेता) आवासीय क्षेत्र में बिना परमिशन के कोई बैठक नहीं कर सकते। जानकारी के मुताबिक, पुलिस कुछ खाप नेताओं को आरके पुरम थाने और कुछ को वसंत कुंज थाने ले गई। इसके बाद सत्यपाल मलिक खुद भी थाने पहुंच गए, लेकिन पुलिस ने कहा कि हमने उन्हें (सत्यपाल मलिक) हिरासत में नहीं लिया। थाने में कोई भी आ सकता है। हालांकि, कुछ वेबसाइट्स का ये भी दावा है कि मलिक को हिरासत में लिया गया।




— TheSootr (@TheSootr) April 22, 2023



कौन हैं सत्यपाल मलिक, कैसे राजनीति में आए?



यह पहली बार नहीं है जब सत्यपाल मलिक के बयानों को लेकर हंगामा हो रहा है। इससे पहले भी कई ऐसे मौके आए, जब उनके बयानों से, उनकी ही बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सवाल है कि आखिर मलिक ऐसा क्यों कर रहे हैं? वो भी ऐसी पार्टी के खिलाफ, जिसने उन्हें ना सिर्फ लोकसभा चुनाव का टिकट, बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से लेकर चार राज्यों के राज्यपाल का पद तक दिया। क्या इसमें उनके राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं? आखिर उनके दावे में कितना दम है? इन्हीं सबको जानने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले यह समझा कि सत्यपाल मलिक कौन हैं?



मलिक खुद को लोहियावादी बताते हैं। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर उन्होंने छात्र नेता के रूप में मेरठ कॉलेज छात्रसंघ से शुरुआत की। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ। वे बताते हैं कि दो साल की उम्र में ही उनके पिता का निधन हो गया था। 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की टिकट पर बागपत विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज 28 साल की उम्र में विधानसभा पहुंचे।



1980 में लोकदल पार्टी से राज्यसभा पहुंचे, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने उस कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके शासनकाल में लगी इमरजेंसी का विरोध करने पर वो जेल गए थे। 1987 में राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा, जिसके खिलाफ वीपी सिंह ने मोर्चा खोल दिया और इसमें सत्यपाल मलिक ने उनका साथ दिया। कांग्रेस छोड़ मलिक ने जन मोर्चा पार्टी बनाई, जो साल 1988 में जनता दल में मिल गई।



1989 में देश में आम चुनाव हुए। सत्यपाल मलिक ने यूपी की अलीगढ़ सीट से चुनाव लड़ा और पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन की और अलीगढ़ से चुनाव लड़ा। 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी की टिकट पर चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़े। अजीत सिंह को करीब 3.50 लाख वोट पड़े तो तीसरे नंबर पर रहे सत्यपाल मलिक को करीब एक लाख वोट मिले। 2005-2006 में उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष, 2009 में बीजेपी के किसान मोर्चा का ऑल इंडिया इन्चार्ज बनाया गया।



मलिक के ऐसे बने मोदी से रिश्ते



2012 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। ये वो दौर था जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाश रही थी और उसे एक जाट लीडर की तलाश थी। उसी समय सत्यपाल मलिक की नरेंद्र मोदी के साथ व्यक्तिगत संवाद हुआ और संबंध बना। 2014 में नरेंद्र मोदी मेजॉरिटी के साथ प्रधानमंत्री बनकर आए और 30 सितंबर 2017 को उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। करीब 11 महीने बिहार का राज्यपाल रहने के बाद अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। मलिक के कार्यकाल में ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग हुई, जिसके बाद राज्य का सारा एडमिनिस्ट्रेशन उनके हाथ में आ गया। इसी दौरान पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक वे गोवा के और अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक वे मेघालय के राज्यपाल रहे।



मलिक के बयान क्या कर सकते हैं?



सत्यपाल मलिक कई सालों से सरकार की लाइन से हटकर बयान देते आए हैं, लेकिन 14 अप्रैल को न्यूज़ वेबसाइट द वायर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने विस्तार से उन घटनाओं को जिक्र किया, जो ना सिर्फ केंद्र की बीजेपी सरकार, बल्कि प्रधानमंत्री के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। बीबीसी को वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार अजॉय आशीर्वाद ने बताया कि सत्यपाल मलिक के आरोप एकतरफा हैं, लेकिन केंद्र सरकार का जो गैर-पारदर्शी तरीका है, वो चिंताजनक है। वे अपने सीनियर लीडर को अंधेरे में रख रहे थे। सतपाल मलिक ये गंभीर आरोप हैं, जिसे बीजेपी के एक सीनियर नेता लगा रहे हैं। एक ऐसे व्यक्ति जो सिस्टम के अंदर के हैं और चार राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं। अगर यूरोप में ऐसा इंटरव्यू सामने आता तो प्रधानमंत्री का इस्तीफा हो जाता।


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