बोल हरि बोल... अपना मामा तो आएगा, माननीय को थमाया लॉलीपॉप, बड़े साहब मेहरबान तो आबकारी के दागी बने पहलवान

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Harish Divekar
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बोल हरि बोल... अपना मामा तो आएगा, माननीय को थमाया लॉलीपॉप, बड़े साहब मेहरबान तो आबकारी के दागी बने पहलवान

हरीश दिवेकर, BHOPAL. सरहदों पर बहुत तनाव है क्या, कुछ पता करो चुनाव है क्या, खौफ बिखरा है दोनों सम्तों में, तीसरी सम्त का दबाव है क्या... राहत इंदौरी का ये शेर आज देश की स्थिति पर मौजूं है। मणिपुर और हरियाणा में हुए दंगे इसका ताजा उदाहरण है, दुआ करो कि देश में अमन चैन बना रहे। राहुल गांधी को जमानत मिल गई है, संसद में हंगामा बरपा हुआ है। देश’- प्रदेश में बहुत सी खबरें है आप तो सीधे नीचे उतर आईए और जानिए प्रदेश की राजनेता और अफसरशाह क्या गुल खिला रहे हैं। 



अपना मामा तो आएगा...

 



बीजेपी में भ्रम की स्थिति लगातार बनी हुई है, पहले दो साल तक मामा जाएगा का माहौल बीजेपी नेताओं ने बनाया, अब जब ये तय हो गया कि मामा 2023 तक अंगद की तरह जमे हुए हैं। तो अब नया शिगुफा कि अब मामा नहीं मोदी के चेहरे पर चुनाव होगा। अमित शाह ने इंदौर में ये कहकर इस बात को पुख्ता कर दिया कि मप्र में 2023 में कमल की सरकार और देश में 2024 में मोदी की सरकार बनेगी। इसके बाद मामा विरोधी उछल उछलकर खुशियां मनाने लगे कि चलो 4 महीने और सही, लेकिन मामा इतने जल्दी हार कहां मानने वाले। संघ के दो बड़े पदाधिकारियों से दिल्ली और इंदौर में गोपनीय मुलाकात करना और फिर मंदसौर की सभा में लोगों से पांचवीं बार मामा के मुख्यमंत्री बनने का संकल्प लेकर एक बार फिर पार्टी में खलबली मचा दी। बात यहीं नहीं रुकी, मामा के लोगों ने... अपना मामा तो आएगा... सांग ही लॉन्च कर दिया। यानि सौ दिन चले अढाई कोस वाली कहावत हो गई। कार्यकर्ता और नेता भ्रम में आ गए कि आखिर हो क्या रहा है अमित शाह के बयान के बाद ये नया खेल क्या है। भाई जवाब तो अपने को भी नहीं पता, जो चल रहा है वो लिख दिया। मायने आप लोग खुद ही निकाल लो।

 



कमल पटेल भोले मंत्री हैं...

 



मंत्री कमल पटेल वाकई भोले भंडारी हैं, उन्हें समझ ही नहीं आता कि वो कब क्या कर देते हैं। वो बात अलग है कि उनके भोलेपन से कई बार पार्टी की किरकिरी हो जाती है। ताजा उदाहरण अपराधी को पार्टी में ज्वाइनिंग कराने का है। मजेदार बात ये है कि दिल्ली के निर्देश पर प्रदेश बीजेपी ने न्यू ज्वाइनिंग समिति का गठन किया, इसमें खुद कमल पटेल भी शामिल हैं। बैठक के बाद कमल पटेल ने मीडिया को बयान दिया कि अब कोई भी आपराधिक छवि वाला व्यक्ति बीजेपी में एंट्री नहीं ले पाएगा। ज्वाइनिंग से पहले उसके आपराधिक रिकॉर्ड चैक किए जाएंगे। मंत्री बयान देकर अपने गृह नगर हरदा पहुंचे और दूसर दिन ही एक अपराधिक छवि वाले नेता को बीजेपी ज्वाइन करवा दी। मामला मीडिया में आया तब मंत्रीजी की नींद खुली। संगठन भी सिर खुजाकर रह गया, उसे पता है कि जाट साहब करने के बाद ही सोचते हैं पहले नहीं।

 



माननीय को लॉलीपॉप...  

 



सरकार के लिए सिरदर्द बने माननीय को चुप कराने का रास्ता मिल ही गया है। अंदरखाने के लोग बताते हैं कि माननीय को ऐसा लॉलीपॉप पकड़ाया है कि वे शांत होकर बैठ गए हैं। माननीय की चुप्पी वाली खबर से उन मंत्रियों और अफसरों को बड़ी राहत मिली है जो सीधे उनके टारगेट पर आ गए थे। मैं समझ गया आप जानना चाहते हैं कि आखिर कौन से लॉलीपॉप से माननीय को बहलाया गया। देखिए माननीय का कार्यकाल अक्टूबर में पूरा हो रहा था। बताया जा रहा है कि माननीय को आश्वासन दिया है कि नई सरकार आने तक नए माननीय की नियुक्ति नहीं करेंगे, ऐसे में तब तक वो पद पर बने रह सकते हैं। एक्ट में ही ऐसा प्रावधान दिया है। नई सरकार आने पर एक्सटेंशन देने का भी लॉलीपॉप दिया गया है। इसे कहते हैं सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। 

 



आईएएस दंपती को क्लीनचिट...

 



रिटायर्ड आईएएस अफसरों को बचाने के फेर में अपनी कलम फंसाने वाले आईएएस दंपती को बड़े साहब ने क्लीनचिट दे दी है। मामला उज्जैन हवाई पट्टी का है। लोकायुक्त केस के खिलाफ एक रिटायर्ड आईएएस हाईकोर्ट चले गए थे। आईएएस दंपती ने इस मामले में उनके फेवर में रिपोर्ट दी थी। लोकायुक्त ने इसे आरोपियों को बचाने का कृत्य मानते हुए इनके खिलाफ भी प्रकरण चलाने की सिफारिश की थी। भला करने के फेर में हाथ जलाने वाली आईएएस दंपती भारी परेशान थी। दरअसल मैडम केन्द्र में जाना चाहती थीं, लेकिन लोकायुक्त के इस मामले के चलते विजिलेंस क्लियरेंस अटक गया था। बड़े साहब ने हाल ही में आईएएस दंपती की चल रही फाईल को नस्तीबद्ध कर मामला समाप्त कर दिया है। अब मैडम कहती फिर रही हैं कि कान पकड़े किसी की भलाई करने का जमाना नहीं है। 

 



एडीजी से प्रताड़ित डीआईजी...

 



एक डीआईजी इन दिनों अपने बॉस एडीजी से खासे परेशान हैं। साहब ने इनका नाम सनकी सिंह रखा है। एडीजी को खुश करने का डीआईजी भरसक प्रयास करते हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात का है। हाल ही में डीआईजी साहब सनकी सिंह को खुश करने के लिए उनके बर्थडे पर केक लेकर पहुंचे। संयोग से डीआईजी का बर्थडे भी उसी दिन था, तो दोनों ने एक दूसरे को केक खिलाकर बर्थ डे भी मनाया, लेकिन दूसरी सुबह फिर एडीजी ने डीआईजी की किसी बात पर क्लास ले ली। डीआईजी को उम्मीद थी कि इस फेरबदल में उन्हें मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन सरकार ने न तो उन्हें हटाया और न ही सनकी सिंह को। आपकी सुविधा के लिए बता दें ये दोनों अफसर पुलिस मुख्यालय में एक संवेदनशील शाखा में पदस्थ हैं। 

 



रेलवे मंत्री से मिला फायदा...

 



रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मप्र बीजेपी के सह प्रभारी क्या बने, बीजेपी पदाधिकारियों ने तत्काल इसका लाभ उठा लिया। बताया जा रहा है कि रेल मंत्री के एक हैलो के बाद रानी कमलापति स्टेशन परिसर में बने एक बड़े उद्योगपति के कॉम्प्लेक्स का एक पूरा फ्लोर बीजेपी को मिलने वाला है। बीजेपी इसे चुनावी कार्यालय बनाएगी, यानि पूरा चुनावी संचालन, वार रूम, पदाधिकारियों की बैठकें और प्रेस कॉन्फ्रेंस सब कुछ यहीं से होगा। उद्योगपति सेवा में हाजिर है तो सारी व्यवस्थाएं चाक चौबंद तो होंगी ही।

 



बड़े साहब मेहरबान तो आबकारी के दागी पहलवान...

 



कहने को तो विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ईमानदार हैं, लेकिन उनके विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला ही नजर आता है। भ्रष्ट अफसरों को पदनाम देकर उपकृत करने की फाइल दौड़ पड़ी है, इसका सीधा मतलब है कि मैडम के ऊपर वाले बड़े साहब से सीधे शुभ लाभ का संबंध दागियों ने बैठा लिया है। इनमें 100 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति के मालिक लोकायुक्त रेड के आरोपी और प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग की जांच में आने वाले लालाजी भी शामिल हैं। ग्वालियर में पदस्थ पंडितजी और सागर में पदस्थ बिहारी पंडित जो विभाग को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं, उन्हें भी पदनाम देकर बड़ा साहब बनाने की तैयारी है। मैडम तक इनकी शिकायत पहुंच चुकी है, लेकिन क्या करें उपर वाला मेहरबान तो दागी अफसर पहलवान। 

 

 

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