NEW DELHI. इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा तो अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्ष की तस्वीर साफ हो रही है। 12 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत कई नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की। इस दौरान सिर्फ तेजस्वी ने ही नहीं, बाकी सभी नेताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा। सभी विपक्षी नेताओं ने एकजुट होने पर सहमति दी है। बिहार में राजद-जदयू (JDU) और कांग्रेस का गठबंधन है।
किसने क्या कहा?
खड़गे ने कहा कि सभी पार्टियों को एकजुट करना और एक होकर आगे जो चुनाव आएंगे, उसमें लड़ेंगे। नीतीश कुमार ने कहा कि गठबंधन को एकजुट करने का प्रयास किया गया है। हम सब साथ बैठेंगे और चीजों को तय किया गया है। हम लोगों की इस पर अंतिम तौर पर बात हो गई है। जितने लोग हमारे साथ सहमत होंगे, हम उनके साथ भी बात करेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि जो नीतीश जी ने कहा कि विपक्ष को एक करने में बहुत एतिहासिक कदम लिया गया है। कितनी विपक्षी पार्टियों को इकट्ठा करना है। ये एक प्रक्रिया है। विपक्ष का जो भी नजरिया है, उसे हम विकसित करेंगे और जो भी पार्टियां विचारधारा की लड़ाई में साथ आना चाहती हैं उसको लेकर चलेंगे। जो संस्थानों पर आक्रमण हो रहा है, देश पर आक्रमण हो रहा है, उसके खिलाफ हम लड़ेंगे।
#WATCH | Bihar CM Nitish Kumar along with Dy CM Tejashwi Yadav and JD(U) President Lalan Singh meets Congress President Mallikarjun Kharge and Rahul Gandhi in Delhi pic.twitter.com/SBsSKQlXD4
— ANI (@ANI) April 12, 2023
दो महीने पहले नीतीश ने एक कार्यक्रम में हल्के अंदाज में बड़ी बात कही थी
नीतीश ने 18 फरवरी को पटना में आयोजित CPI-ML के राष्ट्रीय कनवेंशन में कहा था- लोकसभा चुनाव आने वाले हैं। इससे पहले कांग्रेस को सबसे (विपक्षी दलों) से बात कर लेना चाहिए। सभी लोग साथ मिलकर लड़ेंगे तो वो (बीजेपी) 100 सीटों के अंदर सिमट जाएंगे। सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद को लेकर कहा कि नेतृत्व को लेकर मेरी कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है। हम तो केवल बदलाव चाहते हैं। जो सब तय करें वही होगा। अब कांग्रेस को आगे का फैसला करना चाहिए और विपक्षी एकजुटता में देरी नहीं करनी चाहिए। इस कार्यक्रम में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद मौजूद थे। नीतीश ने ये बात खुर्शीद से मुखातिब होकर ही कही थी।
नीतीश और तेजस्वी के बयानों को लेकर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि जो आप चाहते हैं, वही कांग्रेस भी चाहती है। कभी–कभी प्यार में भी एक समस्या आ जाती है कि पहले आई लव यू कौन कहेगा।
#WATCH | I want you people (Congress) to take a quick decision. If they take my suggestion & fight together, they (BJP) will go below 100 seats, but if they don't take my suggestion, you know what will happen: Bihar CM Nitish Kumar at 11th General Convention of CPI-M, Patna pic.twitter.com/StbAEOjgWE
— ANI (@ANI) February 18, 2023
जेडीयू की बीजेपी के साथ लव-हेट रिलेशनशिप
सात बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने बीजेपी की अलग-अलग पीढ़ियों के साथ अपना राजनीतिक सफर तय किया। नीतीश ने अटल बिहारी वाजपेयी-लाल कृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी और अमित शाह के दौर वाली बीजेपी के साथ काम किया है। लंबे राजनीतिक सफर में उन्होंने हमेशा खुद को बीजेपी के शीर्ष नेताओं के लिए प्रासंगिक बनाए रखा।
नीतीश और बीजेपी के बीच ये रिश्ता साल 1996 में शुरू हुआ, जब उन्होंने बाढ़ लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी से हाथ मिलाया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने नीतीश कुमार को केंद्र में कई अहम जिम्मेदारियां दीं। 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश की पार्टी ने राजद (जेडीयू के साथ मौजूदा गठबंधन) को जोरदार टक्कर दी।
2000 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस चुनाव में किसी भी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। एनडीए और उसके सहयोगियों के पास 151 विधायक थे। वहीं, लालू प्रसाद यादव के पास 159 विधायकों का समर्थन था। लेकिन नीतीश मुख्यमंत्री बने और सिर्फ सात दिनों के अंदर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद नीतीश कुमार, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री जैसे अहम पदों पर रहे।
एक ऐसा भी दौर गुजरा है, मोदी के प्रशंसक थे नीतीश
एक दौर था जब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हुआ करते थे। नीतीश कुमार ने 2003 में गुजरात के कच्छ में एक रेल परियोजना का उद्धाटन करते हुए कहा था कि मुझे पूरी उम्मीद है कि नरेंद्र भाई बहुत दिन गुजरात के दायरे में सिमटकर नहीं रहेंगे। देश को इनकी सेवाएं मिलेंगी। 2005 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के समर्थन से ही नीतीश कुमार दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
अगले विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ने एनडीए के समर्थन के साथ बिहार की सरकार बनाई। इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को 206 और राजद को मात्र 22 सीटें मिलीं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश और बीजेपी के बीच रिश्तों में दरार आ गई। कहा जाता है कि इस दरार की वजह नरेंद्र मोदी थे। ये भी माना जाता है किबीजेपी में अटल-आडवाणी का युग खत्म होने के बाद नीतीश कुमार के लिए नए नेतृत्व से तालमेल बैठाना मुश्किल हो रहा था.
नीतीश बीजेपी से कितना खफा थे, ये उनके एक बयान में झलका, जो उन्होंने सदन में दिया था। नीतीश बोले थे- 'रहें चाहें या मिट्टी में मिल जाएं लेकिन आपके साथ हाथ नहीं मिलाएंगे।'
ये भी कहा था- 'भरोसा किया था, वो अटल जी का युग था, अब अटल जी का युग नहीं है। इसलिए जब हम अलग हो रहे थे तो आडवाणी जी ने फोन किया था और कहा था कि आपको अध्यक्ष ने वचन दिया है, उसको निभाया जाएगा। हमने कहा कि अब हम लोगों के लिए संभव नहीं है। जो अध्यक्ष ने वचन दिया, वो अध्यक्ष हैं नहीं। इन बातों को कौन सुनेगा, इसलिए हम लोग अपने रास्ते पर चले। वो युग समाप्त हो चुका है। अब आपका नया अवतार हो चुका है। अब इसके बाद किसी परिस्थिति में लौटकर जाने का प्रश्न नहीं उठता।' 2014 में नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत के बाद नीतीश ने अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
फिर नीतीश राजद के साथ गए और अलग भी हो गए
नीतीश कुमार ने 2015 के चुनाव में बीजेपी के साथ कड़े मुकाबले में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। ये चुनाव नीतीश ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया गया। नीतीश के लिए सरकार चलाना मुश्किल हो रहा था। तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश ने सार्वजनिक रूप से कहा था- जबसे राजद नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, तब से हम उनसे निवेदन कर रहे हैं कि वे कम से कम स्पष्टीकरण तो दे दें। हम खुद तेजस्वी से मिले थे और कहा था कि जो छवि बनाई जा रही है, उसे उन्हें साफ करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। स्थिति इतनी खराब हो गई कि मेरे लिए काम करना मुश्किल हो गया। हमने गठबंधन धर्म निभाया और उसे बचाने की कोशिश की। लेकिन अब मेरी अंतरआत्मा इस बात की गवाही नहीं देती कि इसे जारी रखा जाए। इसके बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने राजनीतिक सहयोगियों कांग्रेस और राजद को चौंकाते हुए इस्तीफा दे दिया।
मोदी ने इस पर नीतीश को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा- भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई, सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं। नीतीश ने भी इस पर धन्यवाद लिखा। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार वे पहले से राजनीतिक रूप से कुछ कमजोर हो गए।
इस चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू को 43 सीटें तो बीजेपी को 74 सीटें मिलीं। राजद को 75 सीटें मिलीं। 2022 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने पद से इस्तीफा देकर राजद से हाथ मिला लिया और बीजेपी से संबंध तोड़ लिए।