BHOPAL. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के चार माह पहले सत्तारूढ़ बीजेपी की हालत मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की माफिक होती जा रही है। प्रदेश की सवा करोड़ लाड़ली बहनों को हर माह 1-1 हजार रुपए बांटने के बावजूद भ्रष्टाचार के नित नए उजागर होते प्रकरण और मंत्रियों की अंतर्कलह के मामले बीजेपी के गले की चुनावी फांस बन सकते हैं। अगर यह नहीं थमा तो पूरा मामला कुछ उसी दिशा में जा सकता है, जैसे कि कर्नाटक में वहां की पूर्व बीजेपी सरकार में 40 परसेंट कमीशन का आरोप पार्टी को ले डूबा था। इसके अलावा कांग्रेस के हार्ड हिंदुत्व ने भी बीजेपी की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। जबलपुर में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ग्वारी घाट पर नर्मदा पूजन किया और कहा कि धर्म हमारे लिए सर्वोपरि है। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जनता से अपना रिश्ता थोड़ा परिवर्तित कर लिया है। वो बच्चों के ‘मामा’ हुआ करते थे, अब लाड़ली बहनों के ‘लाड़ले भैया’ हो गए हैं। या यूं समझें कि शिवराज के लिए मामा होने से ज्यादा भैया बनना हालात की दरकार है। वैसे भी बहना के ‘भैया’ बच्चों के ‘मामा’ ही होते हैं।
कांग्रेस अब बराबरी के मुकाबले में आती दिख रही
दूसरी तरफ चार माह पहले तक मध्यप्रदेश में कमजोर लग रही कांग्रेस अब बराबरी के मुकाबले में आती दिख रही है। कांग्रेस की रणनीति बहुत साफ है। वह शिवराज सरकार की नाकामियों को लेकर तो हमलावर है ही साथ ही सीएम की हर घोषणा के जवाब में पलटवार घोषणा और सॉफ्ट हिंदुत्व पर बेधड़क आगे बढ़ने की नीति ने बीजेपी के पेशानी पर परेशानी पैदा कर दी है।
अब आलम यह है कि मुख्यमंत्री के धुआंधार दौरों और मतदाताओं को रेवड़ी बांटने की तमाम कोशिशों और आत्ममुग्धता के बाद भी बीजेपी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। इसका पहला कारण भ्रष्टाचार तो नित नए मामलों का उजागर होना है। तीर्थ नगरी उज्जैन में महालोक की हलकी गुणवत्ता की मूर्तियां तेज आंधी में गिरने का नकारात्मक संदेश पूरे प्रदेश में गया है। ऐसा कैसे और क्यों हुआ, इसका सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। धर्मपरायण मतदाता इससे सर्वाधिक आहत हुआ है। इसके अलावा किसान सम्मान निधि की राशि को कुछ पटवारियों के द्वारा हड़प लिए जाने, पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन में एक इंजीनियर द्वारा करोड़ों का भ्रष्टाचार करने जैसे मामले भी लोगों की जुबान पर हैं।
मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला
यही नहीं राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत की जांच राज्य के लोकायुक्त ने शुरू कर दी है। आरोप है कि मंत्री भूपेंद्र सिंह की आय पिछले पांच साल में दोगुनी हो गई है। लोकायुक्त को इसकी शिकायत कांग्रेस पार्षद रवि राय ने की थी। हालांकि मंत्री भूपेद्र सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन करते हुए शिकायतकर्ता पर मानहानि का मुकदमा दायर करने की बात कही है। हैरानी की बात यह है कि लोकायुक्त जांच शुरू होने के बाद भी भूपेंद्र सिंह ने ना तो पद से इस्तीफा दिया है और ना ही उनसे मुख्यमंत्री ने मांगा है।
इधर, जमीन आरक्षण मामले में मंत्री डॉ. मोहन यादव की शिकायत लोकायुक्त में
इसी बीच एक नया चौंकाने वाला मामला उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव का सामने आया है। आरोप है कि मंत्री के दबाव में तीर्थ नगरी उज्जैन में आगामी सिंहस्थ के लिए आरक्षित 872 एकड़ जमीन में से 185 एकड़ भूमि को लैंड यूज बदलकर अलग कर दिया है। यादव उज्जैन दक्षिण से बीजेपी विधायक हैं। अलग की गई जमीन में से 29 एकड़ जमीन मोहन यादव की है। ये जमीन मोहन यादव, उनकी फर्म, पत्नी सीमा और बहन नगर निगम सभापति कलावती यादव और लीला बाई यादव के नाम है। कुछ जमीन इनके नौकरों के भी नाम चढ़ी है। जमीन आरक्षण में इस हेराफेरी की शिकायत कांग्रेस पार्षद रवि राय ने लोकायुक्त में की थी। आरोप है कि मंत्री और रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ही उज्जैन के मास्टर प्लान-2035 में यह बदलाव किया गया है। ताकि यहां निजी कॉलोनियां डेवलप कर माल कमाया जा सके। आरोप यह भी है कि मंत्री के दबाव में ही शहर का मास्टर प्लान करीब ढाई साल तक अटका रहा।
'भैया की नैया बहनों के हाथ'
भ्रष्टाचार के इन बढ़ते आरोपों के बीच मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान बीजेपी की चुनावी नैया पार कराने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जबलपुर में उन्होंने लाड़ली बहना योजना के तहत सवा करोड़ बहनों के खाते में प्रति माह 1-1 हजार रुपए जमा करने की योजना का शुभारंभ किया। इसी के साथ पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा उनकी सरकार आने पर बहनों को ‘नारी सम्मान योजना’ के तहत हर माह 1500 देने की घोषणा की काट यह कहकर पेश की कि सरकार जल्द ही लाड़ली बहनों को हर माह 3 हजार रुपए तक देगी। पार्टी को उम्मीद है कि यह योजना काम कर गई तो अगला चुनाव जीतने में आसानी होगी। यह आशा पार्टी को पूर्व में घोषित बेरोजगारी भत्ते पर अमल से भी है।