BHOPAL. आंख खुली तो सोशल मीडिया तिरंगे के रंग में रंगा था। हो भी क्यों न.. स्वतंत्रता की वर्षगांठ का उपलक्ष्य है। 'पंत प्रधान' नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तिरंगा की डीपी लगाने का आह्वान कर दिया। तो अब घर हर तिरंगा, हर दिल तिरंगा...। उधर, कांग्रेस अपने ही बुने जाल में फंस गई है। जी हां, फर्जी पत्र के जरिए सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के मामले ने सियासी रफ्तार पकड़ ली है। बीजेपी ने भी पटलवार करते हुए प्रियंका गांधी, कमलनाथ और अरुण यादव के खिलाफ थाने में रपट लिखा दी है। ये मामला कितना तूल पकड़ेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। उधर, अमित शाह के प्रदेश की चुनावी कमान हाथ में लेने के बाद प्रदेश बीजेपी के कई फैसले उनकी हामी के चक्कर में अटक गए हैं। 'विजय संकल्प अभियान' यात्रा का स्वरूप अब तक फाइनल नहीं हो पाया है। खबरें तो देश-विदेश में और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आइए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...
मन से नहीं निकल रहा मैल
बीजेपी ने संत रविदास समरसता यात्रा निकालकर एससी वर्ग को ये बताने का प्रयास किया कि हम आपके हैं और आप हमारे, लेकिन बीजेपी के कुछ नेताओं के मन से अभी भेदभाव का मैल निकल नहीं पाया। महाकौशल के एक बड़े जिले के बीजेपी जिलाध्यक्ष ने संत रविदास मंदिर का खाना खाने की बजाय एक होटल में खाने की व्यवस्था जमा दी। मामले ने तूल पकड़ा। एससी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष ने संगठन से लेकर सत्ता शीर्ष तक इसकी शिकायत कर दी। मामला संवेदनशील था, इसलिए उच्च स्तर के पदाधिकारियों ने बीजेपी जिलाध्यक्ष को फोन पर डपट लगाई और मामले को दबाने का प्रयास किया। अब एससी वर्ग में ये मामला अंदरखाने में तेजी से फैल रहा है कि अब भी इनके मन का मैल नहीं निकल रहा, ये तो बस चुनावी समरसता बैठाने में लगे हुए हैं।
हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
'हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे' ये पुस्तक व्यंग्य लेखक शरद जोशी ने लिखी है। इसकी बातें आज की राजनीति पर सटीक बैठती हैं। मंत्री-विधायक खुलेआम भ्रष्टों की पैरवी करते हैं। वैसे भी प्रदेश में इन दिनों भ्रष्टाचार का मुद्दा गहराया हुआ है। जोशी जी का ये व्यंग्य एक विधायक चरितार्थ कर रहे हैं। ये शिवराज सरकार में 3 बार लगातार मंत्री रह चुके हैं। इन दिनों अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रहे हैं। विधायक जी इन दिनों एक भ्रष्ट इंजीनियर को बचाने के लिए जोर लगा रहे हैं। हाल ही में विभाग के प्रमुख सचिव से मुलाकात कर कहा कि वो मेरे बच्चे जैसा है, उसे बचा लो। साहब ने मुस्कराते हुए कहा कि आपके बच्चे ने टेंडर में करोड़ों का गोलमाल कर दिया है। आप इससे दूर रहें तो बेहतर होगा, नहीं तो आप पर भी इसके छींटे आएंगे। विधायक जी, मुख्यमंत्री से बात करूंगा...कहते हुए चले गए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये इंजीनियर अब तक विभाग को 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की चपत लगा चुका है। विभाग प्रमुख सचिव की समझदारी से हाल ही में विभाग को तकरीबन 50 करोड़ का नुकसान होते-होते बचा है।
मैडम बड़ी बेचैन
कांग्रेस की राष्ट्रीय पदाधिकारी रह चुकीं एक मैडम अब प्रदेश कांग्रेस में पावर के लिए बड़ी बेचैन नजर आ रही हैं। मैडम ने पहले प्रदेश स्तर पर हाथ-पैर मारे। बात नहीं जमी तो दिल्ली में अपने पुराने संबंधों को कैश करवाकर एक ऑर्डर करवा लाईं। कांग्रेस के बड़े साहब मैडम की इस हरकत से खफा हो गए। मैडम के पैरलल प्रदेश की एक नवयुवती को खड़ा कर दिया गया। चुनाव से पहले मैडम किसी भी तरह पावर सेंटर में एंट्री मारने के लिए उतावली हैं। उसके लिए हर तरह के प्रयास जारी हैं। अब ये तो समय ही बताएगा कि क्या मैडम पहले की तरह जलवे में आ पाएंगी या यूं ही छटपटाती रहेंगी।
खान साहब बने हरिराम
सरकार में खासा दखल रखने वाले खान साहब इन दिनों शोले के 'हरिराम' की भूमिका में नजर आते हैं। खान साहब टेलीकॉम कंपनी में उच्च पद पर हैं और बड़े साहब के करीबी माने जाते हैं। प्रदेश में चुनावी माहौल स्पष्ट न होने से दोनों दलों से संपर्क बराबर रखने के लिए खान साहब हरिराम नाई की भूमिका में आ गए हैं। उन्हें पता है कि नवंबर में बड़े साहब रिटायर हो जाएंगे, ऐसे में नई दुकान जमानी होगी। इसलिए अब खान साहब बीजेपी की बातें कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को और वहां की बातें बीजेपी नेताओं को बताकर खास बनने की कोशिश कर रहे हैं। खान साहब के हरिराम बनने की खबर लगते ही अफसरशाही अलर्ट हो गई है। उन्हें डर है कि खान साहब अपनी दुकान जमाने के फेर में उनकी दुकान न उठवा दें।
महिला IAS का NGO प्रेम
एक महिला प्रमुख सचिव का NGO प्रेम इन दिनों चर्चा में है। भविष्य की पीढ़ी तैयार करने वाले महकमे का जिम्मा संभाल रहीं मैडम के इस प्रेम को लेकर विभागीय मंत्री खासे नाराज हैं। मंत्री के करीबियों का कहना है कि मैडम के खुद के NGO चल रहे हैं। वे अपने विभाग के काम उन्हें दे रही हैं। मंत्री की टीम मैडम के कारनामों के सबूत जुटाने में लग गई है। बता दें, मैडम इस विभाग में पिछले 5 साल से ज्यादा समय से जमी हुई हैं। ये बात भी सही है कि अब तक मैडम की कार्य प्रणाली और भ्रष्टाचार को लेकर कोई मामला सामने नहीं आया है। पहली बार विभागीय मंत्री ही मैडम पर आरोप लगा रहे हैं। उन्हें इंतजार है सबूतों का, ताकि सीएम के सामने मैडम का असली चेहरा रखा जाए। लगे रहो मंत्री जी, वैसे भी ये भ्रष्टाचार उजागर काल चल रहा है।
भला करने में फंसे IFS अधिकारी
कंसल्टेंट्स के साथ अपना भी भला करने के फेर में एक IFS उलझ गए हैं। साहब इसी महीने रिटायर होने वाले हैं। साहब ने कंसल्टेंट्स का वेतन बढ़ाकर आटा-साटा कर लिया। मामला चलता रहा, लेकिन उनके रिटायरमेंट के पहले ही ये खेल फाइनेंस डिपार्टमेंट ने पकड़ लिया। अब गुणा-भाग करने के बाद अफसरान ने पुराने दस्तावेज तलब करने के साथ ये भी पूछ लिया कि कंसल्टेंट्स का वेतन किस आधार पर बढ़ाया गया था। साहब इसका जवाब बनाने के लिए दूसरे डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट्स का वेतन और उनकी बढ़ोतरी का आधार पता करते फिर रहे हैं। अब तक सफलता नहीं मिली है। अब साहब को डर सता रहा है कि कंसल्टेंट्स से आधे लेने के चक्कर में कहीं उनसे पूरी वसूली न हो जाए।
जादू-टोना और टोटका
बिजली कंपनी में पदस्थ एक IAS अफसर खासे परेशान हैं। उनकी परेशानी सरकार या काम को लेकर नहीं है, बल्कि उनकी कंपनी में टोने-टोटके करने वाले इंजीनियरों की हरकत से है। साहब ईमानदार छवि के माने जाते हैं, इसलिए कई इंजीनियरों का काम बिगड़ जाता है। साहब को अपने वश में करने के लिए एक इंजीनियर ने उनके कैबिन में नीबू सिंदूर लगाकर काट डाले। साहब जैसे ही कैबिन में दाखिल हुए तो नजारा देखकर हैरान रह गए। तत्काल कैबिन साफ करवाया गया। इसके बाद सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो कंपनी के एक अधीक्षण यंत्री साहब के कमरे में घुसते दिखे थे। पूछताछ में बताया कि उन्हें साहब के कैबिन की लाइट खराब होने की सूचना मिली थी, वो चेक करने गए थे। अब सवाल उठता है कि ये नहीं तो कौन, किसने काटे थे नीबू ?