सूबे की नई सरकार पर चुनौतियां अपार, मुफ्त की रेवड़ियों से बढ़ेगा 3 हजार करोड़ रुपए महीने का भार, 25 हजार करोड़ पर पहुंचेगा मंथली खर्च

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Arun Dixit
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सूबे की नई सरकार पर चुनौतियां अपार, मुफ्त की रेवड़ियों से बढ़ेगा 3 हजार करोड़ रुपए महीने का भार, 25 हजार करोड़ पर पहुंचेगा मंथली खर्च

BHOPAL. पांच महीने में सूबे में नई सरकार बनने वाली है। सत्ता पर फिर कमल खिलेगा कमल आएगा, लेकिन ताज कांटों भरा ही मिलेगा। बीजेपी और कांग्रेस में चुनाव जीतने के लिए रेवड़ी बांटने की होड़ लगी हुई है। सरकार योजना के नाम पर बैंकों में पैसा पहुंचाने और पगार बढ़ाने में जुटी है तो कांग्रेस मुफ्त के वचन देने में लगी है। इसका असर नई सरकार पर पड़ेगा क्योंकि उसे खाली खजाना मिलने वाला है। वर्तमान में प्रदेश का कुल खर्च करीब 22 हजार करोड़ रुपए महीना है जबकि नई सरकार का खर्च दस फीसदी बढ़कर करीब 25 हजार करोड़ रुपए महीना हो जाएगा। यानी इन रेवड़ी बांटने का पूरा असर अगली सरकार की कमजोर माली हालत में नजर आएगा। आइए आपको बताते हैँ कि नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। 



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कर्जदार सरकार बांट रही उपहार



एक कहावत है कि घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने। कुछ यही हाल मध्यप्रदेश का हो रहा है। सीएम शिवराज लोगों की वाहवाही के साथ वोट पाने के लिए खजाने को लुटाते नजर आ रहे हैं। गले-गले तक कर्ज में डूबी सरकार चुनाव जीतने के लिए शाही खर्च करने से भी पीछे नहीं हट रही। जिसने ये नारा लगाया कि चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो उसी की मांग पूरी हो रही है। जिसने नारा नहीं लगाया और बड़ा वोट बैंक नजर आया तो भी सरकार ने उसकी सालों पुरानी मांगों पर मुहर लगा दी। सरकार पर सालाना बजट से ज्यादा कर्ज है। मप्र सरकार पर 3 लाख 36 हजार करोड़ का कर्ज है। यानी प्रदेश के हर व्यक्ति 41 हजार से ज्यादा का कर्जदार है। वर्तमान में सरकार का मासिक खर्च 22 हजार करोड़ है जो बढ़कर नई सरकार में 25 हजार करोड़ हो जाएगा। यानी ये रेवड़ी तीन हजार करोड़ रुपए महीने का सीधा भार खजाने पर बढ़ाने वाली हैं। 



खर्च का आकलन करने में लगे अफसर, कहां-कहां होगा खर्च




  • लाड़ली बहना : सरकार किसी की भी बनी प्रदेश की महिलाओं के खाते में हर महीने एक हजार से डेढ़ हजार रुपए तक डाले जाएंगे। इसके लिए करीब 1500 करोड़ रुपए महीने का खर्च होगा। 


  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 10 हजार से बढ़ाकर 13 हजार किया गया। 

  • ई-स्कूटी के लिए बजट में 135 करोड़ का प्रावधान

  • रोजगार सहायकों का मानदेय 9 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपए महीने किया गया। 

  • जिला पंचायत,जनपद पंचायत अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के साथ सरपंच,पंच का वेतन तीन गुना बढ़ाया गया। 

  • 75 हजार छात्रों को लैपटॉप खरीदने के लिए 196 करोड़ रुपए। 

  • संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन और सुविधाएं। एक हजार करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त भार।

  • 15 अगस्त तक एक लाख बेरोजगारों को सरकारी नौकरी।

  • प्रदेश में चल रहे विकास पर्व के दौरान 2 लाख करोड़ के निर्माण कार्यों का शिलान्यास। 

  • विधानसभा के मानसून सत्र में पारित हुए 26 हजार करोड़ के सप्लीमेंटरी बजट में 762 करोड़ कर्ज के ब्याज के लिए रखे गए हैं। 

  • कर्मचारियों को केंद्र के समान 42 फीसदी का महंगाई भत्ता। इसके लिए 1520 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।

  • लाड़ली बहना के संशोधित नियमों के बाद करीब 18 लाख महिलाएं और बढ़ेंगी। इसमें 180 करोड़ प्रति महीना और 1260 करोड़ रुपए सालाना का अतिरिक्त भार। 



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    सरकार नहीं मानती मुफ्त की रेवड़ी



    चुनाव जीतने में जुटी बीजेपी सरकार को इसमें कोई खोट नजर नहीं आती। सरकार के मंत्री कहते हैं कि समाज को सशक्त करना मुफ्त की रेवड़ी बांटना नहीं है। एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा कहते हैं कि जहां जरुरत है वहां खर्च किया जा रहा है तो इसमें हर्ज क्या है। इस खर्च से खजाने में कोई नुकसान नजर नहीं आता है। 



    कमलनाथ के इरादे में भी रेवड़ी के वादे



    रेवड़ी बांटने के वादे करने में कमलनाथ भी पीछे नहीं हैं। कमलनाथ भी सरकार बनाने के लिए लंबा-चौड़ा वचन पत्र तैयार कर रहे हैं। मौके-मौके पर वे एक-एक कर रेवड़ी जनता के बीच में परोस रहे हैं। कमलनाथ ने अब तो जो वचन दिए हैं उनमें 500 रुपए में गैस सिलेंडर और 1500 रुपए महिलाओं के खाते में हर महीने डाले जाएंगे। इसके अलावा पांच हॉर्स पॉवर के सिंचाई पंप को मुफ्त में बिजली दी जाएगी और यहां तक कि किसानों के पुराने बिजली के बिल माफ किए जाएंगे। इस पर करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। कमलनाथ कर्ज के मामले में सरकार पर खूब निशाना साधते हैं। साथ ही यह भी कहते हैं कि ये कर्ज कहां खर्च हुआ सरकार बनने पर इसकी जांच कराएंगे लेकिन लोक लुभावन योजनाओं का वादा करने में वे भी पीछे नहीं हैं। यहां तक कि वे ये यह भी कहते हैं कि पैसा कहां से आएगा इसका पूरा हिसाब उनके पास है। 



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    मिडिल मैन की कोई बात नहीं



    चुनाव जीतने के लिए मुफ्त की योजनाएं एक के बाद एक सामने आ रही हैं। सरकार किसी भी पार्टी की बने इन योजनाओं पर अमलीजामा तो पहनाया ही जाएगा। लेकिन ये बात हो रही है उस तबके की जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीता है। इन सब योजनाओं में उस मध्यमवर्गीय आदमी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा जो समय से बिजली बिल,पानी बिल समेत सभी बिल भरता है और समय पर इन्कमटैक्स जमा करता है। जीएसटी जमा कर सामान लाता है और हर दिन बढ़ती कमरतोड़ महंगाई से अपना घर चलाता है। कांग्रेस वचन पत्र में इनके लिए न कोई योजना है और न ही बीजेपी के संकल्प पत्र में इस पर कोई विचार किया जा रहा है। यहां तक कि इस बात का जवाब नेताओं के पास भी नहीं है। 


    MP News एमपी न्यूज The challenges on the new government of MP are immense the burden will increase due to free hawkers the burden of Rs 3 thousand crores per month the monthly expenditure will reach 25 thousand crores एमपी की नई सरकार पर चुनौतियां अपार मुफ्त की रेवड़ियों से बढ़ेगा भार 3 हजार करोड़ रुपए महीने का भार 25 हजार करोड़ पर पहुंचेगा मंथली खर्च