RAIPUR. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आरक्षण का मामला गरमाने वाला है। दरअसल, आज सीएम भूपेश बघेल का एक बयान आया है। आरक्षण मामले को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाली है। इसका जिक्र खुद सीएम भपूेश ने मीडिया से चर्चा के दौरान की। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हां, हम जरूर जाएंगे।
प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर कई भर्तियां रुकी हैं
अबतक छत्तीसगढ़ के आरक्षण संशोधन बिल पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है और ना ही बिल को वापस किया है. ऐसे में राजभवन में बिल के अटकने से प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर कई भर्तियां रुकी हुई हैं। यानी राज्यपाल के आरक्षण बिल 2022 पर हस्ताक्षर नहीं करने के मामले पर राज्य सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएगी।
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तत्काल राज्यपाल को इस बिल पर हस्ताक्षर करना चाहिए
तेलंगाना सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन का मैं स्वागत करता हूं। हम चाहते हैं कि राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मान लें और आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करके हमें दें, क्योंकि स्कूल कॉलेज खुल रहे हैं, विभिन्न विभागों में भर्तियां होनी हैं। इसमें आरक्षण के तहत ही यह काम किया जा सकता है। ऐसे में तत्काल राज्यपाल को इस बिल पर हस्ताक्षर करना चाहिए। मीडिया से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा है कि जनगणना, आर्थिक सर्वेक्षण होना चाहिए ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके। योजना बनाने में जाति जनगणना बहुत लाभकारी होगी. सीएम भूपेश ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “डर के मारे बीजेपी जनगणना नहीं करा रही है, क्योंकि उनकी कलाई खुल जाएगी।
ये है पूरा मामला
विधानसभा ने दो दिसंबर को आरक्षण संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पास किया था और उसे पांच मंत्रियों ने राज्यपाल को सौंपा था। तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उइके ने वादा किया था कि आरक्षण विधेयक पास होने के बाद तत्काल हस्ताक्षर करेंगी, लेकिन विधानसभा से पास विधेयक को लेकर राज्यपाल ने पहले सरकार से 10 सवाल पूछा, उसके बाद अलग-अलग समाज के लोग कोर्ट चले गए। वर्तमान राज्यपाल हरिचंदन ने विधानसभा के बजट सत्र में अपने अभिभाषण में कहा था कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर विचार किया जा रहा है।