Baikunthpur. बैकुंठपुर जो आजादी से पहले कोरिया रियासत का मुख्यालय था और आज की तारीख में यह इलाका कोयला उत्पादन का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा हैं। कोल इंडिया समेत कई कोयला खदानें यहां मौजूद हैं। बैकुंठपुर में स्थित पैलेस और राजपरिवार यहां की मुख्य पहचान हैं। अगर कहा जाए कि यहां महल का दखल राजनीति पलट सकता हैं। मुद्दे बदल सकता हैं तो गलत न होगा बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर हमेशा से ही बीजेपी की नजरें जमीं रहीं हैं लेकिन कांग्रेस के इस अभेद्द किले को भेदना इतना आसान नहीं.
सियासी समीकरण
- बैकुंठपुर विधानसभा 1962 में अस्तित्व में आई।
मुद्दे
- इलाके में दिखता है मूलभूत सुविधाओं का आभाव
बैकुंठपुर में बिजली की समस्या
बैकुंठपुर जिला कहे जाने के बावजूद यहां कई सेवाओं का अभाव दिखता है, जो जिला स्तर पर मौजूद होनी चाहिए। बाजार महंगा हैं। जिस कारण लोग अंबिकापुर और मनेंद्रगढ़ जाकर खरीदारी करना पसंद करते हैं। यहां बिजली की बड़ी समस्या है। बिना किसी उचित कारण के शहर के चारों ओर बिजली आपूर्ति में लगातार कटौती हो रही है। हर बार चुनाव में मुद्दों के सहारे जीतने की कोशिश तो सभी पार्टियों की रहती है। यानी जनता विकास पर ही वोट देती है मगर विकास कहीं नजर होता नजर नहीं आता.. और द सूत्र ने इन तमाम मुद्दों को लेकर बातचीत की अंबिक सिंहदेव से तो उन्होंने सारा ठीकरा बीजेपी पर फोड़ने में कसर नहीं छोड़ी। वहीं बीजेपी ने विधायक पर लगाए अवैध खनन के आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा विधायक विस क्षेत्र की जगह रायपुर और यूके में ही रहतीं हैं। बिजली कटौती जैसी मूलभूत सुविधाओं से जनता परेशान है।
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