याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक को राज्यपाल ने नहीं लौटाया है। इस आशय की खबरें बहुत तेजी से फैलीं कि राजभवन ने दिसंबर से लंबित आरक्षण संशोधन विधेयक को 21 अप्रैल राज्य सरकार को लौटा दिया है। राजभवन के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण विधेयक अब भी राजभवन में ही है।
मंत्री रविंद्र चौबे ने दिया बयान?
आरक्षण संशोधन विधेयक के राजभवन से वापस लौटाए जाने की खबरों को पंख तब लगे, जब उसे मंत्री रविंद्र चौबे के हवाले से बता दिया गया। मंत्री रविंद्र चौबे से इस आशय का सवाल किया गया था। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा- “मुझे मीडिया के माध्यम से पता चला कि राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक लौटा दिया है।”
झारखंड के राज्यपाल ने लौटाया आरक्षण विधेयक
यह बिलकुल सच है कि आरक्षण संशोधन विधेयक लौटाया गया, लेकिन वह रिजर्वेशन अमेंडमेंट बिल झारखंड का है और झारखंड के राज्यपाल ने लौटाया। इसे अचानक छत्तीसगढ़ से कैसे जोड़ा गया और यह फिलहाल समझ से परे है।
दिसंबर से लंबित है आरक्षण विधेयक
राजभवन में आरक्षण संशोधन विधेयक दिसंबर से लंबित है। राज्यपाल अनुसूइया उईके ने इस विधेयक पर कानूनी सलाहकार की सलाह पर राज्य सरकार से 10 सवाल पूछे। इसका राज्य सरकार ने जो जवाब दिया, वह राजभवन ने प्रश्नों से बिलकुल अलग बताया। राजभवन ने क्वांटेफाएबल डाटा की रिपोर्ट तलब की, वह राजभवन को नहीं मिली। इस मसले पर राज्यपाल ने तब राजभवन और राज्यपाल पर की गई टिप्पणी पर भी नाराजगी जताई थी। नए राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन ने हालिया दिनों यह कहा था- “मैं राज्यपाल हूं, मेरी अपनी सीमाएं हैं, यह सियासी मसला है, सीएम से बात करिए।” इस जवाब से स्पष्ट था कि राज्यपाल हरिचंदन भी बिल पर साइन नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का है पेंच
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका लंबित है। यह याचिका हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ द्वारा रद्द किए गए आरक्षण अध्यादेश के खिलाफ दायर है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई स्टे भी नहीं दिया है। आरक्षण विधेयक पर सबसे बड़ा मसला इसका 50% की तय सीमा पार कर जाना है।