छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस का पलड़ा भारी, टिकट कटने के डर से बीजेपी नेताओं की बढ़ी टेंशन; आम आदमी पार्टी की भी एंट्री

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Sushil Trivedi
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छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस का पलड़ा भारी, टिकट कटने के डर से बीजेपी नेताओं की बढ़ी टेंशन; आम आदमी पार्टी की भी एंट्री

RAIPUR. छत्तीसगढ़ में इधर चुनावी सरगर्मी तेज हुई है। छत्तीसगढ़ में इस समय प्रमुख रूप से कांग्रेस और बीजेपी ने जमीनी तौर पर अपनी ताकत मजबूत करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसे ही ध्यान में रखकर आम आदमी पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व यहां अपने साधन और अपनी ताकत झोंकने में लग गया है। आम आदमी पार्टी अपने समर्थकों को यह भरोसा दिला रही है कि वह छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बना सकती है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह लगातार ईडी, आईटी और सीबीआई के बढ़ते छापों का शिकार हो रही है। उसके संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों और कुछ विधायकों को ये केन्द्रीय एजेंसियां बार-बार पूछताछ के लिए बुला रही हैं।



होली और रंगपंचमी पर छापेमारी और पूछताछ के रंग



होली से लेकर रंगपंचमी तक के उत्सवी माहौल में छापेमारी और पूछताछ के रंग ज्यादा ही उड़े। कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी इन एजेंसियों के निशाने पर रहे। इस तरह के छापों और पूछताछ को कांग्रेस ने बीजेपी की चुनावी कमजोरी बताते हुए गलत तरीके से वार करना निरूपित किया है। उसका तीखा विरोध करते हुए कांग्रेस ने रायपुर में ईडी के ऑफिस पर शोरभरा प्रदर्शन तो किया ही, उसके साथ ही उसने ईडी ऑफिस के सामने एक बड़ा पंडाल लगाकर धरना देना शुरू कर दिया। इस पंडाल से भजन कीर्तन होते रहे और खाना-पीना भी चलता रहा। बीजेपी ने इस पूरे प्रदर्शन को कांग्रेस के भ्रष्टाचार का तमाशा और इसे बड़ा राजनीतिक प्रपंच बताया।



कांग्रेस में पनप रहे असंतोष में जोरदार उबाल



इधर कांग्रेस के अंदर धीमे-धीमे पनप रहे असंतोष में एक जोरदार उबाल आया। मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बीच चल रहा तनाव उस वक्त और खुले रूप में सामने आया जब मुख्यमंत्री ने दिल्ली से लौटकर रायपुर आने पर कांग्रेस संगठन में परिवर्तन के निश्चित संकेत दिए। इसी के साथ राज्य के मंत्रिमंडल में भी बदलाव की बात शुरू हो गई। सरगुजा क्षेत्र में कांग्रेस की चुनावी राजनीति और गर्मा गई जब यह बात आई कि सरगुजा के क्षेत्र के एक शक्तिशाली मंत्री को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है और वहीं के एक मुखर विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। राजनीतिक संदेश यह गया कि अगले चुनाव में कांग्रेस की टिकट बांटने में मुख्यमंत्री की पसंद ही चलेगी। निश्चय ही इससे कांग्रेस का असंतुष्ट वर्ग और ज्यादा क्षुब्ध हो गया।



बीजेपी के नेताओं की बढ़ी टेंशन



एक वरिष्ठ मंत्री ने जब अगला चुनाव ना लड़ने की मंशा जाहिर कर दी तब स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस के अंदर शक्ति का संतुलन एकतरफा हो गया है। इधर बीजेपी ने कांग्रेस के असंतुष्टों को अपनी पार्टी में शामिल होने का खुलेआम आमंत्रण दिया। इसका असर भी हुआ। सरगुजा राज परिवार से जुड़े एक सदस्य का बीजेपी से चुनाव लड़ना तय हुआ। इसके अतिरिक्त, दुर्ग क्षेत्र के कुछ प्रभावी लोग बीजेपी में शामिल हुए। दूसरी तरफ बीजेपी के केन्द्रीय नेताओं की इस घोषणा से कि बीजेपी के 40 प्रतिशत उम्मीदवार टिकट से वंचित रहेंगे, बीजेपी के टिकट चाहने वाले नेताओं के भीतर पहले से मची हुई व्याकुलता और बढ़ गई। यह खबर तेजी से फैली कि बीजेपी के वर्तमान 14 विधायकों की टिकट भी सुनिश्चित नहीं है। इस पर बीजेपी के सभी वर्तमान शीर्ष नेताओं के चुनावी भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।



सीएम भूपेश ने खोला राहत और सुविधाओं का पिटारा



राज्य में बीजेपी पहले ही सरकार की ग्रामोन्मुखी नीतियों को लेकर अपनी राजनीतिक और चुनावी कमजोरी को लेकर परेशान नजर आ रही थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य का 2023-2024 का बजट पेश कर भूपेश सरकार ने समाज के सभी वर्गों के लिए राहत और सुविधाओं का पिटारा खोल दिया। धान की खरीद के मूल्य में वृद्धि, भूमिहीन कृषि मजदूर की सहायता राशि में वृद्धि, गोधन न्याय योजना के विस्तार, मिलेट के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करने, विधायक निधि में बड़ी बढ़ोतरी करने, वन क्षेत्र में किसानों को भू-अभिलेख पत्र देने और लघु वन उपज को अधिक प्रोत्साहन देने जैसी घोषणाओं को कांग्रेस की चुनावी पूर्व ऐसी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसका तोड़ निकालना बीजेपी के लिए कठिन है।



बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ उठाया मुद्दा



बीजेपी ने कांग्रेस के विरुद्व एक मुद्दा जोर-शोर से उठाया है और वह है प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन में सरकार की तथाकथित असफलता। इस मुद्दे को लेकर बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने कांग्रेस के नेताओं के घर के सामने प्रदर्शन किया और फिर राज्य स्तर पर एक बड़े अभियान के रूप में हजारों कार्यकर्ताओं को लेकर रायपुर में विधानसभा को घेरने का भी उपाय किया। बहरहाल, मुख्यमंत्री, बीजेपी के इस आरोप को नकारते हैं। उन्होंने इस मुद्दे को ध्यान में रखकर प्रदेश में 1 अप्रैल से विस्तृत आर्थिक सर्वेक्षण कराने की घोषणा कर कहा है कि सर्वेक्षण में आवासहीन पाए जाने वाले सभी हितग्राहियों को आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। इस तरह कांग्रेस और बीजेपी के बीच 'तू डाल-डाल, मैं पात- पात' जैसी चालें चली जा रही हैं।



आम आदमी पार्टी की एंट्री



इधर आम आदमी पार्टी ने अपनी उपस्थिति का बड़ा परिचय देने के लिए रायपुर में एक रैली की। इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री विशेष रूप से शामिल हुए। इन नेताओं ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को भ्रष्ट और शासन देने में अक्षम करार दिया और अपनी जीत के बाद छत्तीसगढ़ में दिल्ली और पंजाब की भांति राजनीतिक परिवर्तन लाने की बात कही। आम आदमी पार्टी ने इस रैली के द्वारा अपनी राजनीतिक ताकत प्रदर्शित की। किन्तु यह शक्ति प्रदर्शन चुनावी रूप से प्रतिफल देने वाला सिद्ध नहीं हो सकता। दिलचस्प बात यह है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता भी चुनावी जमीन तलाशने में लगे हैं। उनकी कोशिश शायद यह है कि किसी अन्य क्षेत्रीय दल के साथ उनका गठजोड़ हो जाए। बहुजन समाज पार्टी को कोई स्पष्ट चुनावी हलचल नजर नहीं आ रही है। यह जरूर है कि सर्व आदिवासी समाज अपने समर्थन का क्षेत्र विस्तृत करने में जुटा है। ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ में अभी भी कांग्रेस का पलड़ा भारी है। बीजेपी अपनी राजनीतिक शक्ति के आधार पर इस पलड़े को झुकाने में सफल  नजर नहीं आ रही है। गणितीय आधार पर पिछले पखवाड़े की भांति कांग्रेस 6.5 और बीजेपी 3.5 अंक पर जमे हुए हैं।


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