मप्र में आदिवासी सीटों को साधने कांग्रेस मिलाएगी गोंगपा से हाथ, सीटों पर पेंच, गोंगपा चाहती है 10 सीटें, कांग्रेस 5 पर राजी

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Arun Dixit
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मप्र में आदिवासी सीटों को साधने कांग्रेस मिलाएगी गोंगपा से हाथ, सीटों पर पेंच, गोंगपा चाहती है 10 सीटें, कांग्रेस 5 पर राजी

BHOPAL. चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस आदिवासी सीटों का समीकरण साध रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दौरे के बाद कांग्रेस गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाने जा रही है। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। कांग्रेस एक समझौते से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों की साधने की फिराक में है। 





कांग्रेस करीब 12 सीटें गोंगपा की वजह से हारी थी





गोंगपा का असर सीधे तौर पर अधिकांश आदिवासी जिलों में है। 2018 में गोंगपा दो सीटों ब्यौहारी और अमरवाड़ा में दूसरे नंबर पर रही थी। ब्यौहारी में कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। ये सीट बीजेपी के हाथों में चली गई थी। अमरवाड़ा में गोंगपा ने बीजेपी को तीसरे स्थान पर ढकेल दिया था। यहां पर कांग्रेस हाथों सीट लग गई। बाकी जिलों में गोंगपा ने प्रभावी प्रदर्शन किया था। कांग्रेस करीब 12 सीटें गोंगपा की वजह से हारी थी जबकि बीजेपी को इसी वजह से आठ सीटें गंवानी पड़ी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रदेश में पांच सीटें देने को राजी है जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सीट देने की बात हुई है। गोंगपा की मांग दस सीटों को लेकर है। 





जयस की काट गोंगपा





साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जयस को साधने में सफलता हासिल की थी। जयस के नेता हीरा अलावा को मनावर से टिकट दिया था। अलावा ने बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रंजना बघेल को हरा दिया था। लेकिन इस बार फिर जयस आदिवासी सीटों पर जोर मार रही है। आनंद राय के बीआरएस में शामिल होने के बाद कांग्रेस के सामने और बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। इस बार कांग्रेस महाकौशल, बघेलखंड और बुंदेलखंड में प्रभाव रखने वाली गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को साधने में जुटी है। गोंगपा को साथ लाने की कमान खुद प्रियंका गांधी ने संभाली है। 2018 के चुनाव परिणामों की यदि पड़ताल की जाए तो गोंगपा को साथ मिलाकर कांग्रेस बड़े फायदे को देख रही है। गोंगपा और कांग्रेस यदि मिल जाएं तो कांग्रेस करीब 50 सीटों को साध सकती है। 





2018 में इन पांच सीटों पर प्रभावी रही गोंगपा





1. अमरवाड़ा जिला छिंदवाड़ा 





कांग्रेस के कमलेश शाह 36% वोट के साथ पहले, गोंगपा के मनमोहन शाह बट्टी को 61,269 वोट मिले और वह 30%    वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही। वहीं बीजेपी के प्रेम नारायण ठाकुर को 53,499 वोट मिले और वे 27% वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।        





2. ब्यौहारी जिला शहडोल





बीजेपी के शरद कौल 78,007 विजेता रहे। कौल 41% के साथ पहले नं. पर रहे। वहीं गोंगपा के तेजप्रताप गौंड 45,557 वोट पाकर 24% के साथ दूसरे स्थान पर रहे।





3. लखनादौन जिला सिवनी 





कांग्रेस के योगेंद्र सिंह बाबा 82,951 वोट लेकर विजेता रहे। बाबा का 39% वोट मिले। वहीं बीजेपी के विजय उइके 70,675 वोट लेकर 34% वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे। वहीं गोंगपा के इंदरसिंह उइके    40,022 वोट लेकर    19 % के साथ तीसरे स्थान पर रहे।





4. शहपुरा जिला जबलपुर





 कांग्रेस के भूपेंद्र मरावी को 88687 वोट मिले और वे 45.59% के साथ पहले, बीजेपी के ओमप्रकाश धुर्वे 54727 वोट और 28.13% के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं गोंगपा के रणजीत सिंह मरावी 30955 वोटों के साथ 15.91% तीसरे नं. पर रहे।





5. बिछिया जिला मंडला





कांग्रेस के नारायण सिंह पट्टा 40.91% वोट मिले, वहीं बीजेपी के डॉ. शिवराज शाह 29.48% वोट और गोंगपा के कमलेश तेकाम 17.33% वोट मिले थे।





पिछले चुनावों में भी रही है गोंगपा की धमक





2008 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 93 सीटों पर, 2013 में 63 सीटों पर और 2018 में 73 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन कोई जीत नहीं पाया, लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी प्रत्याशी बिना संसाधन और मजबूत गठबंधन के प्रदेश की 50 सीटों पर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने में सफल रहे थे। पिछली बार गोंगपा और समाजवादी पार्टी में सियासी समझौता हुआ था। प्रदेश में गोंगपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 73 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। 22 स्थानों पर उसके प्रत्याशियों को 10 हजार से अधिक वोट मिले थे। 15 सीटों पर गोंगपा प्रत्याशियों को 5 हजार से अधिक मत मिले थे।12 सीटों पर गोंगपा प्रत्याशियों को दो हजार से अधिक वोट मिले थे।



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