NEWS DELHI. केंद्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता पर शुरू की गई पहल ने विपक्षी दलों के बीच भी सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। इस हलचल के बीच कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर शनिवार (1 जुलाई) को पार्टी की रणनीति पर चर्चा की। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में संसदीय रणनीतिक समूह की हुई बैठक में समान नागरिक संहिता समेत मानसून सत्र में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा हुई। पार्टी ने बैठक के बाद कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा जब सामने आएगा तब पार्टी उस पर विचार कर अपनी राय देगी। समान नागरिक संहिता को मोदी सरकार का 2024 का बड़ा चुनावी दांव देख रही कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी पार्टियां मानसून सत्र में इस पर अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं।
UCC को लेकर क्या है कांग्रेस का रुख?
कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता की ताजा पहल पर अभी कोई आधिकारिक रुख तय नहीं किया है, मगर पार्टी ने पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कुछ दिन पूर्व यह जरूर कहा था कि अभी समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं है।
ये भी पढ़ें...
पुराने बयान को ही दोहराया
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने 10 जनपथ में हुई बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि समान नागरिक संहिता पर 15 जून को विधि आयोग की परामर्श नोटिस के बाद कोई नई बात सामने नहीं आई है। इसीलिए कांग्रेस 15 जून को जारी अपने बयान को दोहराती है। मालूम हो कि कांग्रेस ने वर्तमान विधि आयोग द्वारा शुरू किए गए परामर्श को यह कहते हुए गैरजरूरी बताया था कि पिछले विधि आयोग ने कहा था कि अभी समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं है। भारत की विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए।
बैठक में शामिल हुए यह नेता
वैसे यह भी हकीकत है कि मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता लाए जाने की हलचल तेज होने के बाद कांग्रेस के लिए इस पर अपना सियासी रुख तय करना और विपक्षी दलों के बीच व्यापक सहमति बनाना आवश्यक होने लगा है। इसके मद्देनजर ही सोनिया गांधी ने संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक बुलाई थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, दीपेंद्र हुड्डा समेत कई नेता शामिल हुए।
कांग्रेस के लिए UCC का सीधे विरोध करना आसान नहीं, आखिर क्यों?
बताया जाता है कि समान नागरिक संहिता पर पार्टी के अंदर अधिक व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत बताई गई। कांग्रेस के लिए समान नागरिक संहिता का सीधे विरोध करना आसान नहीं है, क्योंकि पार्टी में इस पर अलग-अलग राय हैं। इसका संकेत शनिवार, 1 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बयान से भी मिलता है, जिन्होंने समान नागरिक संहिता का समर्थन किए जाने की बात कही।
विपक्षी खेमे में समान नागरिक संहिता पर एकजुटता चुनौती
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ भी गहन विचार-विमर्श के बाद दृष्टिकोण तय किए जाने के हिमायती हैं। विपक्षी खेमे के अन्य दलों के बीच समान नागरिक संहिता पर एकजुटता चुनौती है। आम आदमी पार्टी और शिवसेना उद्धव गुट ने इसका समर्थन करने की सैद्धांतिक हामी भरी है।